पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/७०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

६२१ विश्वनाथ भावार्या--विश्वनाथ पञ्चामन भट्टाचार्ग यादटीका और 'व्युत्पतिवाटोकाके रचयिता । ११ विश्वनाप चक्रवती-उबलनीलमणिकिरण, गौराग- काव्यादर्शको रसिहरजिनी नाम्नी टोकाके प्रणयनकर्ता। ममरणकादशक, मकिरमामृतविन्दु, मागवतपुराण टीका १२ रुद्रपद्वतिके रचयिता । १३ यात्मीकितास्पर्वतरणिराधामाधवरूपचिन्तामणि, साध्यसाधनकौमुदी, स्मरण- . नाम्नी रामायण टोकाकार। १४ विदोपदनिर्णयके | क्रममाला, हसदूतटोका आदिफे रचयिता। कोङ्गलफे प्रणेता। १५ श्रौतप्रयोगके प्रणेता। १६ सङ्गीतरघु- श्रीधद्धन नामक स्थानमें इनका एक मठ विद्यमान है। नन्दनके रचयिता । १७ सारसंग्रह नामक पैद्यक प्रधफे विश्वनाथ चित्तपावन-प्रतराज नामक अन्य प्रणेता। प्रणेता । १८ प्रतप्रकाश या प्रतराज नामक प्रग्यफे प्रणेता। पे १७३६ में विद्यमान थे। इनके पिताका नाम इन्होंगे १७३६ ई०को काशीमें बैठ कर उक्त अन्य समास | गोपाल था। किया। इनके पिताका नाम था गोपाल। ये सङ्ग विश्वनाथ चौथे-मागयतपुराणसारार्थशिनीके प्रणेता। मेश्वर नामसे भी परिनित थे। १६ अन्त्येष्टिपद्धति, विश्वसाय तीर्थ-सिद्धान्तलेशसंग्रहण्यापया कर्ता। गन्त्येष्टिमयोग, मशौचतिशच्छ लोकीटोका, भौन- विश्वनाथ दीक्षित 'ज-प्रतिष्ठादर्श नामक दीधितिक देदिक कल्पवालो, औदु देहिकपद्धति और क्रियापद्धतिः। प्रणेता। प्रथये रचयिता । २० वृत्तकौतुकके प्रणेता, चतुर्भुजके विश्वनाथ देयमृगाङ्कलेखनाटकके प्रणेता । २ कुएष्ट- पुत्र। २१ कोपकल्पतरु नामक अभिधान और जगत् । मण्डपकौमुदी, कुण्डविधान गोत्रप्रपरनिर्णय आदि प्रन्धी. प्रकाशकाव्य तथा शनुशल्यवरितकाध्यके प्रणेता। के रचयिता। श्रीमन्महाराजाधिराज शव शल्यको जीवनी पर २२ सर्गः विश्यमाय देवक-एक यिष्यात ज्योतिर्गिद, दिवाकर में शेषेति प्रध तथा मेदिमोकोपके भाधार पर इन्होने ' देवाह पञ्चम पुन । आप १६१२-१६३२ ई० के मध्य, कोपालातरुझी रचना फो। घे नारायणके पुत्र थे। एशोधन, केशयमातकपद्धत्युदाहरण, कंशयी-गवी. २२ एक प्रसिद्ध पण्डित, पुस्पोत्तमफे पुत्र। इन्होंने टीका, प्रहकोतहलोदाहरण, प्रहलाघयवियरण, ग्रालाय. १५४४ ई० में विश्वप्रकाशपद्धति प्रणयन को थी । २३ पट: । पोदाहरण, चन्द्रमानतग्नटीका, ताजिकपद्धतिटोका, तिथि. चप्राविनिटीका नामक एक तांत्रिक प्रयके प्रणेता।। चिन्तामणि-दाहरण, मीलकण्ठोटीका, रातसारणी टीका, २४ मतलहरोकाय के रयिता, कुण्डरनाकर और पहनातकटीका, वृहत्संदिताटोका, सुल्यसिद्धांतटोका, उसकी रोकाफे प्रणेता। ।। .. .ग्रहातुल्योदाहरण. करणकुतूहल, मिताडू, मुहमणि, विश्वनाथ गात्रार्य-काशोमोक्षनिर्णयके प्रणेता। रामयिमोदोदाहरण, तम्नप्रकाशिका, यपद्धनिटीका, विश्वनाथ उपाध्याय- दत्तकनिर्णयके रचयिता। वसिष्ठसंहिताटीका, विष्णु करणोदाहरण, श्रीपत्युदादरण, विश्वनाश कवि-प्रमानाम्नो वृत्तानाकरटाका प्रणेता। विश्वनाथ कविराज-एक अद्वितीय भालङ्कारिक । पोडशोगाध्याय, सशातावप्रकाशिका, सिद्धान्तशिगे. मणि उदाहरण गहनाप्रकाशिकानाम्नो सूर्णमिद्धारत- यंगाल के पण्डितोंका विश्वास है, कि विश्वनाथ पङ्गाली टीका, सूर्वसिद्धान्तोदाहरण, मोमसिद्धांतटीका, होरा तथा पैशोभय थे, किन्तु यथार्थमें ये इस देशके नहीं थे। उरकलयासी और उत्कलनेणोके ब्राह्मण थे। मकरन्दोदाहरण आदि लिख गये हैं। १३वीं मोमे, उत्कल के सुप्रसिद्ध गङ्गवंशीय राजा भानु. विश्वनाथ नगरी (सं० स्त्री०) विश्वनाथस्य नगरी, विश्य देवका समामें ये तमा इनके पिता चन्द्रशेखर विद्यमान मागको पुरी, काशी विश्वनाथ महादेयने इस पुरीका ये। उत्कल राजसमामें असाधारण कवित्यशक्तिके निर्माण किया, इसीसे इसको विश्वनाथनगरी कहने हैं। प्रभारसे इन्होंने 'कधिराज' की उपाधि पाई थी। आप . .. : काशो मा धाराणसी देशो। कुषल पाश्चरित, चन्द्रकला, प्रभावतो-परिणय, प्रशस्ति- विश्वनाथ नारायण-शिवस्तुतिरोका प्रणेता। : खायलो, राधयविलास और साहित्यदर्पण आदि अन्य विश्वनाथ न्यायालङ्कार-धातचिन्तामणिके ना। लिख गये हैं। पायली में इनका उल्लेख है। विश्वनाथ गयानन मट्टाचार्गङ्गालके एक अदितीय • Vol. xxI 156