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वाणिज्य- .
भारतीय शिला और व्ययमाय बहुत थोड़े ही दिनों में !: विख्यात राजनीतिज्ञ नोचीन भारतीय वाणिज्यको
चौपट हो गया।
., . .:कमीको ओर लक्ष्य कर कहा था कि भारत की उर्वरभूमि-
सो तहके अत्याचारसे धोरे धीरे विदेशमें भारतीय में अधिकतासे शस्य उत्पन्न होने पर गौर नाना प्रकारके
मालकी रफतनी कम होने लगी। अमेरिका, डेनमार्क स्पेन, वाणिज्य द्रव्यको प्राप्तिको सुविधा होने पर भी यथार्थ में
पुर्तगाल, मरीच द्वीप और एशियानएडफे अन्यान्य प्रदेशों. | इस समय दरिद्र भारतका दिनोदिन अर्थामाय बढ़ रहा
भारतीय शिलाबाणिज्य-सम्बन्ध प्रायः लतमा है। सौदागरोंके अधिक दरिद्र न होने पर भी, उनके
हो गया । सन् १८०१ ई० में इस देशमे अमेरिकाको धाणिज्य-शक्ति-परिचालनका पूर्णतः अभाव दिखाई देता
१३६३३ गाँठ कपडा भेजा गया था। सन् १८२६ ई० में है। फलतः आज भारतका वाणिज्य इस तरह अपनत
यह रफ्तनी घट कर बहुत ही कम हो गई अर्थात् २५८, हो रहा है। नीचे उनका ही वाक्य उद्धत कर दिया
गांठ माल जाने लगा । सन् १८०० ई. तक हर वर्ष डेन | जाना है-
मार्फमें ग्यनाधिक ११५० गांठ कपडा मेजा जाता था। "India is a country of unbounded material
resources, but her people are poor. Itscharac-
teristics are great power of production, but
६७१४ गांठ कपड़ा भेजा था। सन् १८२५ ६०के बाद १०००
almost total absence of accumulated capital.
On this account alone the prosperity of the
गांउसे अधिक कपड़ा वहां भेजा जा न सका । सन् १८२०
country essentially depends on its being able
६० तक अरव और फारस सागरके किनारेके प्रदेशों में
to secure a large and fuvourable outlet for its
४ हजारसे ७ हजार तक गांठे भारतने भेजी जाती थी।
superfluous produce But her connection with
किन्तु सन् १८२५ ई०के बाद इस प्रान्तमे २००० गांठोंसे
Britain and the financial results of that connec.
पडा भेजा न जा सका। महम्मद रजा खाक tion compel her to send to Europe every year
जमाने में बड्डीप जुलाहे अपने देशके छ करोड़ आदमियों | about 20 millions' worth of her products
को कपडा पहना कर प्रतिवर्ष १५ करोडका कपड़ा विदेशों ] without receiving in return any di
को भेजने थे। इस समय घर्षमे घे ३ लाखका भी माल cinl equivalent. This excess of exports over
भेज नहीं रहे हैं। ऊपरफे विदरणसे. सहज हो हृदयङम imports is; he adds. the return for the foreign
किया जा सकता है. कि अंग्रेजेने भारतीय शिल्प | capital which is invested in Indin, including
वाणिज्यको नष्ट करनेमे कैसी प्रवल चेष्टा को यो। .
under capital not only money, but all advan.
.१८वी सदीके ,अन्तमें लैएडके अर्धनोतिक
tages. which have to the paid for. such as
intelligence strength and energy. on which
भाध याणिज्यके प्रसारको पृद्धिको चेष्टा करने लगे।
good administratio- and commercial prospe-
जब तक भारतका शिला-व्यवसाय नष्ट नहीं हो गया तय |
rity. depend. From these causes, the trads of
,सकस चेष्टासे विरत न रहे। मन् १८३६ ०में| India is in an abnormai position. prerenting
. भारतके अन्तर्वाणिज्य कर. उठा लिया गया। उस / her receiving the full commercial benefit which
समय देशो शिक्षा व्यवसायियोंकी देह रक्तशून्य हो गई would spring from her rast material reso.
थो। अब फिर उनमे सिर चा -करनेको ताकत न
रह गई। इसके बाद रेल निकाल कर गाय तथा अन्य ___ सन् १९०६ ६०फे बनविच्छेदफे समय से भारतमें
"सयारियोंका ध्ययसाप भी चौपट किया गया। ग्रामों में | विशेषकर बङ्गालमें स्वदेशीका जोरों पर धान्दोलन मारम्म
भी विदेशी मालीको पहुच ज्ञानेसे देशका दारिदा दिनों हुमा। रस आन्दोलनने भारत के पुराने शिवोद्धारफी
दिन बढ़ने लगा।
.. । बहुत अधिक चेष्टा की । बङ्गालके इस पान्दोलनसे भारत.
- Vol. . XXI 16
urces"
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/७१
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