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विश्वनाथ पण्डित-विश्वपात
नैयायिक। ये १७वीं शताब्दीके मध्यभागमें विद्यमान | रूपमें नियुक्त रह कर उक्त प्रन्यकी रचना की। इनके .
थे। इन्होंने छन्दोसूत्रको पिङ्गलप्रकाशिका नानो पिताका नाम नरसिंह सेन और पितामहका नाम तपन
टीकामें
था।
"विद्यानिवाससूनो कृतिरेषा विश्वनाथस्य" विश्वनाथाश्रम-तर्कदीपिकाके प्रणेता, महादेवाश्रमके
___ अर्थात् विद्यानिवासका पुत्र कह कर अपना परिचय | शिष्य।
दिया है। राढीपत्राह्मणकुलप्रन्यसे जाना जाता है, कि विश्वनायोन ( स० वि०) विश्वनाथसम्बन्धीय, विश्व :
सुप्रसिद्ध आखण्डलयंद्यवंशमें विश्वनाथका जन्म हुआ। नाथ प्रोक्त या तल्लिखित ।
इनके पिताका नाम काशीनाथ विद्यानिवास तथा पिता- विश्वनाम ( स० पु० ) यिश्चं नाभौ यस्य । विष्णु, .
महका नाम रताकर विद्यावाचस्पति था। ये विद्या- परमेश्वर ।
वाचस्पति सुविख्यात वासुदेव सा भीमके छोटे भाई विश्वनाभि (सं. स्त्री०) विश्वस्य नामि। विश्यका
थे। सव्वाचस्पति और नारायण नामक विश्वनाथके ' नाभिस्वरूप, पर्यादिका आध्रपभूत, विष्णुका चक्र। ...
दो व सहोदरका नाम मिलता है। भाषापरिच्छेदका इसी चक्रका माश्रय कर सूर्यादि प्रह अवस्थित है। .
कारिकावली तथा न्यायसिद्धांतमुक्तावली नामकी रीका, ।
। भागवत २२२२२५) ।
न्यायतत्वबोधिनी या न्याययोधिनी, न्यायसूत्रवृत्ति, पदा विश्वनामन् ( स० पु.) १ ईश्वर । २ जगत्, संसार। .
र्थतत्वावलोक, पिङ्गालमतप्रकाश, सुवर्थ तयावलोक, विश्वन्तर ( पु.) १ युद्ध । २ सौपद्मनका गोत्रज .
तर्क भाषा आदि प्रन्थ इनके वनापे मिलते हैं। 'न्याय- | राजपुतमेद । (ऐतरेपग्रा० ७१२७)
शब्द' में इनके अन्यान्य प्रन्योंका परिचय दिया गया है।
'
न्याय शब्द देखो।
विश्वनाथ पण्डित-योरसिंहोदयजातकके रचयिता।
( शक्तिरनाकर०)
विश्वपति (स'. पु०) विश्वस्य पतिः। विश्वका पति, -
विश्वनाथ वाजपेयी-तुरगसिद्धिफे प्रणेता।
गिश्वपालक, महापुरुष, कृष्ण ।
विश्वनाथभट्ट-१ गणेशात तत्त्वप्रबोधिनीको न्याय :
बिलासनानी टोकाके प्रणेता । २ शृङ्गारयापिका नाग्नी ,
। विश्यपति-१ घेदाङ्गतीर्थकृत माधयविजयटीकाकी पदार्थाः
नाटिका रचयिता । ३ मोर्ध्वदेहि काक्रिया वा श्राद्ध
। दोपिका गाम्नी टीकाकार। २ प्रयोगशिखामणिके .
प्रणेता। इनके पिताका नाम केशय था!
पद्धतिके प्रणेता । ४ श्रीतप्रायश्चित्तचन्द्रिका रचयिता।
. .
५ तकतरङ्गिणीनाम्नी तर्कामृतटोकाके प्रणेता। विश्वपद् ( स० वि० ) विश्वपाता, जगदीश्वर। । ।
विश्वनाथ मिश्र-मेघदूतार्थमुक्तावलीफे प्रणेता।
__ (हरिवश २५६ म०)
विश्वनाथ रामानुजदास-रहस्यत्रयविधिके रचयिता। विश्वपर्णी (स'• स्त्री०) भूम्यामलकी, भूईमावला।
विश्वनाथ सिंहदेव-रामगीताटोका, रामचन्द्राहिक और
(राजनिक)
उसको टीका, राममन्त्रार्थनिर्णय, घेदान्तसत्रभाष्य, सन | विश्यपा ( स० पु०) विश्व पातीति पा-विच । विश्व ।
सिद्धान्त मादि प्रन्योंके प्रणेता । आप प्रियदासके शिष्य पालक, परमेश्वर । '
और राजा श्रीसीतारामचन्द्र बहादुरके मन्त्री थे। कोई : विश्वपायक ( स० पु. ) विश्व पाचयति पव-णिच : .
कोई प्रन्थकारको राजकुमार कहते हैं।
ण्वुल । भगवान् विष्णु, परमेश्वर ।
विश्वनाथ सूरि-आयविज्ञप्तिका रामार्यविश्चप्ति काध्यके ।
(मार्या पु० ६६६)
प्रणेता। ........... .: विश्यपाणि (स.पु. ) ध्यानिदोधिसत्त्वभेद ।
विश्वनाथसेन--पथ्यापथ्यविनिश्चय नामक पैद्यक अन्धके विश्वपात (स. त्रि०) विश्वस्य पाता । १ विश्व के
प्रणेत।। इन्होंने महाराज प्रतापरुद्र गजपति राजवैध पालनकर्ता, परमेश्वर । (पु०) २ पितृगणमेद। वर,
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/७१०
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