पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/८०७

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विष्णुमक्ति-विष्णुशर्मन् ७०५ विष्णुभक्ति र सं० स्रो० ) विष्णौ भक्तिः। भगवद्भक्ति, । प्रन्थ । हमाद्विरचित व्रतखण्डमें इसका उल्लेख है। भगवत्या । | २ तन्त्रभेद। विष्णुमर--राजा विष्णुपद्धनके पालित एक ग्रामण। विष्णुराज (संपु०) राजपुतमेद। (तारनाथ) विष्णुमह-कुछ प्राचीनप्रन्धकारोंके नाम । १ नियन्ध | विष्णुरात (सपु०) विष्णुना रातः रक्षितः। राजा चन्द्रोदयफे प्रणेता, रामकृष्णसूरि अटफेड़के पुत्र । २, परोक्षितका एक नाम । कहते हैं, कि द्रोणपुत्र अश्व. स्मृतिरत्नाकरके रचयिता। विदुरनगर इनका जन्म त्यामाने इन्हें गर्म गे ही मार डाला था, पर भूमिष्ठ होने स्थान था। गिरभट्ट इनके पिता थे । ३ पुरुषा चिन्ता- पर भगवान् विष्णुने इन्हें फिरसे जिला दिया, इसीस मणिके रचयिता। इनका नाम विष्णुरात हुआ है । (भारत भाष०७० म०) विष्णुमत् ( सं० लि.) विष्णुयुक्त ( गायत्री)। | विष्णुराम-परिभाषाप्रकाशके प्रणेता। (पंचविंशना० १३३R) (विष्णुराम सिद्धान्तयागोश-प्रायश्चित्तनत्यादर्श और विष्णुमती (सं० स्त्रो०) राजकन्याभेद । (कथासरित सा०) श्राद्धतस्त्रादर्शके रचयिता । ये जयदेव विद्यायागोशकं पुन विष्णुमती-तैरभुफ्तके अन्तर्गत नदोभेद। और फयिचन्द्र भट्टाचार्य पान थे। (भविश्यमे ० सं० ४८।२६) । विष्णुलिङ्गी ( स० स्त्री० ) यत्तिका पक्षी, यठेर । यिष्णुमन्त्र (सं० पु० ) यिष्णुपूजाविषयक मन्त्र । विष्णुलोक ( स० पु० ) विष्णुपुर, वैकुण्ठपुरी। विष्णुमन्दिर (सं० ली०) विष्णुगृह, यह मन्दिर जिसमें विष्णुयत् (स त्रि०) विष्णुना सह विद्यमानः । विष्णुके विष्णुमूर्ति स्थापित हो। | साध विद्यमान । (ऋक ८३५११४) विष्णुमय ( स० नि०) विष्णुस्वरूप, विष्णुसे मभेद । विष्णुवल्लभा ( स० स्त्री०) विष्णोर्चल्लमा। १ तुलसी। विष्णमाया (म'. स्त्री०.) विष्णोमाया | परमेश्वरको । २ अग्निशिखाक्ष, कलिहारी। अघटनघटनपटोयसी अविद्याशक्ति विशेष गथया तद विष्णुवाहन ( स० क्ली०) विष्णु पाहयति स्थानांतर धिष्ठात्री देयो दुर्गा । ( ब्रह्मवैवर्तपु०प्र० ख० ५४ ५०) । नयति विष्णु-णिच न्यु । गबड़! विष्णुमिन कुमार-अक्प्रातिशाख्यभाषाके प्रणेता । उवटने विष्णुयाध (स' पु०) विष्णुर्यायोऽस्य । गपड़। इन्हें उक्त प्रधिका आदि रचयिता बनाया है। इनके | विष्णुयुद्ध (सपु०) गोत्रप्रयनक प्राचीन ऋषिमेद । पिताका नानदेयमित्र था। बहुवचनमें उनके वंशधरका बोध होता है। विष्णुमिश्र--सुपद्ममकरंद नामक पद्मनाभ दत्तकृत सु.) (यान्व० पी० १२।१२।२) गमध्याकरणको रोका और रूपनारायणरवित सुपदुममा विष्णुशक्ति ( स० स्त्री०) विष्णोः शक्तिः। १ लक्ष्मी। माससंग्रहटोकाफे प्रणेता। (राजतर०३।३६३) २ राजपुत्रभेद। (कथासरित) विष्णयतीन्द्र-गुरुपरम्परा और पुरुषोत्तमचरित्रके प्रणेता। विष्णुशर्गन् (सं० पु०) १ तान्त्रिक आचार्यभेद । शक्ति विष्णुयशस् (सं० पु०) विष्णु व्यापक यशो यस्य नारायणस्य, रत्नाकरमें इनका उल्लेख है। २ पञ्चतन्त्र नामक प्रसिद्ध पितृत्यावेवास्य तथात्यम् यदा विष्णुना प्रहीतथ्यजन्मना | सस्कृत उपाण्यान प्रत्यके रचयिता। ये ५वों सदीमें पशो यस्य । १ ब्रह्मयशाके पुत्र, माघी अवतार कलिकदेयके विद्यमान थे तथा अपने प्रतिपालक किसी हिन्दू राजाके पिता । (करिफपु० ३० अ० ) २ एक पण्डित । ये पुष्प पुत्रको नीतिकथामा उपदेश देनेको कामनासे पण्डित- . सूत्रमापाके प्रणेता अजातशत्रुके शिष्य थे। घरने यह अन्य सङ्कलन किया था। वी सदी में इसका विष्णुयामल-रुद्रयामलोक्त एक तन्त्रमन्य। पहली भाषामें अनुवाद हुआ। पीछे उसी प्रन्थके विष्णुरथ ( सं० पु०) विष्णो रथः । १ विष्णुका स्यन्दन ।। माधार पर वीं सदीको अदल्ला विम-मोकावगने २ विष्णुका वाहन, गरुड़। अरको भाषा तथा घों संदीको रुदिकोने पारसी भाषामें विष्णुरदम्य (सक्लो० ) १ एक प्राचीन पौराणिक | लिखा। सदिकोने प्रत्यानुवादफे पारिश्रमिकस्वरूपं ८० Vol XxI 177