पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/८२६

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७२४ - विस्फोट–विस्मगङ्कर ' । वातपैत्तिक-यात पित्तजनित विस्फोट में बड़ी वेदना . फ्याथमें मधु डालकर पीनेसे सय तरहके विस्फोट नष्ट होती है। होते हैं । चिरैता, नीम, मुलेठी, माथा, गडूस, परयलको सान्निपातिक- दोषिक विस्फोट में स्फोटकों के पत्ती, पित्तपापड़, वसनसकी जड़, त्रिफला और इन्द्रयय मध्यभागमें नीना, अन्तमें उन्नत, रक्तवर्ण, कठिन और इन सप द्रव्योंका पयाध पान करनेसे सब तरहक, चिस- अल्पपायुक्त होता है और रोगीको दाह, पिपासा, मोह। फेोटक जल्द आराम होते हैं। .. ... वमन, इन्द्रियमोह, ज्यर, प्रलाप, कम्प और तन्द्रा उप. चावल धे।ये हुए जलके साथ इन्द्रयव पीस कर प्रलेप स्थित होता है। यह असाध्य है। . . . करनेसे विस्फोटक नए होता है । गुलञ्च, परयलकी पत्ती, रक्तज विस्फोट-रतजनित. विस्फोट पित्तजके | अडूस, नीम, पित्तपापड, खैरकी लकड़ी और माथा विस्फेरि निदानसे उत्पन्न गुञ्जा फलकी तरह रक्तवर्णका | इन सबका फ्याध पोनेसे विस्फोटक आराम होता तथा होता है । यह रोग सैकड़ों सिद्धयोगोंसे भी आराम उससे होनेवाला ज्वर भी नष्ट हो जाता है । चन्दन, नहीं होता। नागकेशर, अनन्तमूल, मारसा साग, सिरिसको छाल, इन शाठ प्रकारके घाहरी विस्फोटोंको यात कही जातोफूल इन सवका समभाग ले पीस कर प्रलेप देनेसे गई । इनके सिवा भीतर भी विस्फोट उत्पन्न होने हैं। विस्फोटकी जलन दूर होती है। नीलकमल, चन्दन, आभ्यन्तरिक विस्फोट शरीरके वहिर्भागमें निकल कर लोध, खसखसकी जड़, अनन्तमूल, श्यामालता इन प्रकाशित होने पर रोगो सुस्थलाभ करता है। किन्तु यह सबको समभाग ले जलसे पीस कर प्रलेप देनेसे विस्फोट वायुके प्रकोपसे उत्पन्न होने पर वाहर नहीं निकलता। और उससे होनेवाली जलनकी निवृत्ति होती है। . ऐसी अवस्था यातिक विस्फोटकी तरह चिकित्सा (भावप्रकाश विस्फोटरोगाधिका० ). करनी चाहिये। विस्फोटक (सपु०).१ विस्फोट, फोड़ा, विशेषतः जह उपद्रय-विपासा, श्वास, मांससंकोच, दाह, हिचकी, रीला फोह।। २ वह पदार्थ जो गरमी या आघातके मत्तता, ज्वर, विसर्प और मर्मथ्यथा पे सव विस्फोट कारण भगफ उठे, भभकनवाला पदार्थ । ३ शीतलाका रोगके उपद्रव हैं। रोग, चेचक । साध्यासाध्य-विस्फोट एक दोपोद्भय होने पर विस्फोटयर (स.पु० ) यह ज्वर जो जहरीले फोड़े फ साध्य, द्विदोपज होने पर कप्टसाध्य और दोषिक और कारण " कारण होता हो। । . : मारे उपद्रव्ययुक्त होनेसे असाध्य हो जाता है। चिकित्सा-विस्फोटरोगर्म दोषके बलावलको विस्फोटन ( स० फ्लो०) १ नाद, जोरका शब्द । २ किसी पदार्थका उबाल आदिके कारण फूट पहना । विवेचना कर यथोपयुक्त लंघन, वमन, पध्यभोजन या विरेचन का प्रयोग करना चाहिये। विस्फोटमे पुराना विस्मय (स० पु०.) विस्मि-अच। १ लाश्चर्य, अनु. मायल, जी, मूग, मसूर और अरहर ये कई गन्न विशेष भुत, ताज्जुब । पर्याय-अहो, हो। (भमर ) २ सा- हिनकर हैं। हित्यमे अद्भुत रसका एक स्थायी भाव । यह अनेक . दशमूली, रासना, दारुहरिद्रा, खसखसकी जड़, दुरा प्रकारके अलौकिक या विलक्षण पदार्थो के वर्णनके लभा, गुडची, धनिया, मोथा-इन सोका क्याथ पान कारण मनमें उत्पन्न होता है। करनेसे वातजनित विलफोट दूर होता है। द्राक्षा, गाम्भीरी . ३ दर्प, अभिमान, शेखी। ४ सन्देह, संशय, शक ।' खजूर, परवलको पत्ती, नीम, चासक, करको, बई और विगतः स्मयो गर्यो यस्येति । (त्रि०) ५ नष्टगवे, जिसका दुरालभा इनके काधमे चीनी डाल कर पान करनेस। गर्व नष्ट या चूर्ण हो गया हो। .. . पित्तजनित विस्फोट नए होता है । निरैता, वच, अडूस, विस्मयङ्कर (स' नि०) विस्मय'. कराति विस्मया. विफला, इन्द्रयध, कूटज, नीम और परवलको पत्ती, इनके 1 ख । विस्मयकारी, आश्चर्या पैदा करनेवाला। ...