पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/८३

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यातध्याधि रोगकी अन्यान्य औषध व्यवहार करना चाहिये। रोग पुराना होती है तथा मरके सगी लक्षण उपस्थित रहते हैं, होनेसे पहले गांठ परं.किसी प्रकारका लिनिमेएट मईन । किन्तु ममाटिजम्के समान अत्यन्त धर्म अपवा हरिपएड करना तथा गांठका कुछ संचालन करना आवश्यक है। आक्रान्त होते देखा नहीं जाता । रोग पुराना हो जाने पर गांठमें मवाद हो जाने पर परिपरेटर नामक यन्त्रसे उसको पहले एक प्रन्धि सूजी हुई, वेदनायुक्त और उत्तप्त होती है। पाहर निकाल.डालना चाहिपे) : .. ... | एकसे दो सप्ताहसे प्रदाह कम होता है। किन्तु पुनः ___ रूम्पटयड माइटिस (Rheumatoid Arthritis) | थोड़े ही दिनों में ये सब लक्षण उपस्थित होते और मान्य १. इसे समाटिजम् गीर गाडटकी मध्यवत्ती. पीड़ा| सन्धियां आक्रान्त होते देखी जाती है। प्रन्थियाँ क्रमशः कहते हैं। इसमें प्रथमोक पोहाको तरह पिण्ड वक भौर विकृत हो जाती है। हाथको मांसपेशो क्षय माकान्त नहीं होता अथया शेषोक्त ध्याधिके समान सन्धि प्राप्त होती हैं। घेष्टि पालसीके साथ इस रोगका की सिप फुली हुई नहीं दिखाई देती। इस रोगमें भ्रम हो सकता है। हाथ पांयकी समी उंगलियां सन्धियां क्रमशः वियत हो जाती है। इस रोगको ऊंची, मजबूत और विस्त हो जाती हैं। इसलिए रोगी दूसरा नामः आइटिस डिफरमेन्स (Arthritis | चलने फिरनेमें असमर्थ हो जाता है। कभी कभी Deformans) है। :: ..; जबड़, की अस्थि और सार्वाइकेल पार्टिग्राफी सन्धि ___२०से ले कर ३० वर्षको सो तथा दुर्घल और माझान्त होते देखी जाती है। . दरिद्र मनुषप. साधारणतः इस पोडासे पीड़ित होते हैं। साधारण लक्षणों में पोडाफे प्रारम्भमें सामान्य शीत, ज्यर, क्षुधामाध, अनिद्रा, अस्थिरता आदि लक्षण उपस्थित .. 'टा लगने, आघात पहुचने, मनस्ताप, चिन्ता या होते हैं। रातमें दर्द बढ़ जाता है। रोग पुराना दोने मस्ति में धका. पहुंचने अथवा अन्यान्य कारणोंसे पह, पर पीड़ित व्यक्ति मत्यन्त दुर्घल और जीर्णशीर्ण हो जाता रोग उपस्थित होता है। , ' :: . .. तथा पेविसको सभी लक्षण मौजूद रहते हैं।

पीड़ित सन्धिका साइनोविएल विधान देखने में भार-

इस रोगसे गांउट और रूमाटिजमका भ्रम हो सकता रक्तिम, और स्थूल, अधिकांश कार्टिलेज और लिगमेण्ट है। इसके परस्परफी पृथय ता पहले हो लिखो जा

क्षतयुक्त, अस्यिका शेष भाग चमकोला और वियदि | चकी है।

तथा स्थान स्थान पर हाथो दांतके समान' सफेद : प्रपल पोहा प्रायः आराम हो जाती है। पुरानी । और कठिन होता है। इस पोड़ामें अनेकानेक पेश होने पर आराम होना कठिन है, किन्तु रोगो सात दिनों विशेषता डेल्टपर, स्कन्धको त्रिकोणपेशी एएटारोसाई | · तक जीता रद्द कर रोग भोग करता है। तथा फियर स्थिो नोचेको पेशी अत्यन्त भय प्राप्त रोगोको हमेशा गर्म यत्र पहनने की सलाह देनी चाहिये। . होते देखी जाती है। . :: ..:

औप!में कुनाइन, कलियर थायल, सिरप फेरो भाइको.

___ यह पीड़ा कमजोर या पुरानी 'अवस्था में उपस्थित डिस, पोटीश माइमोडिट, आर्सेनिक, गोपेकम् टि एकटिया हो सकती है। स्पेन्सरने इस पोड़ाके लक्षणों को चार रसिमोसा, टिं साइमिसिफ्यूगो, धातंय जल तथा लौह- श्रेणियों में विभक्त किया है.८.१) हपिण्डका: किया-घटित संव औषध उपहारी है। स्फोस और पेदनायुक्त . धिम्य, (२) धर्म के, विशपतः चक्षुके चतुष्पार्यमें कृष्णपर्ण स्थान रिं गाइओडि, कार्यनेट बाय साठा या लिथिया Fear मस्तकमे ..दानमागमें पीतवर्णविवर्णताका दाना लोसन तथा नाना प्रकारका लिनिमेण्ट दिया जा सकता 'पांसोमोटर नामके परिवर्तनके कारण चमड़े और मांसपेशीक्षयप्राप्त होनेसे ट्रिकनिया मौर तहित् स्रोत 'हामंकी शीतलता। (४) अंगूठे और कलाइमें वेदना व्यवहार या नियमित रूपसे मईन करना चाहिये। भोजन कमजोर होनेसे बहुत-सी. 'प्रन्धियां आक्रान्त तथा के लिये लघुपाक अपंच दल कारक गौर तरल द्रष्य देना दिखने लाल, फुटी और चमकीली होती हैं। रोगी उचित है। समय समय पर थोड़ी शराब देना मौर वोच को इन सब मयस्वाभौ घेदना और रात्री मालम! बीच में अङ्ग सामान्य मापसे संचालित करना उचित है। Vol. xxI.- 21.