पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/८३१

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७२६ विहार-विहारिन् दिया गया है। , १३यो शताब्दोफे प्रारम्ममें विहार है जिसमें २५।३० हजार लोगों की भीड होतो है। यहां मुसलमानों के हाथमें आया । उसी समयसे यह यङ्गालके , मुमलमानों के मकवरे ममजिद आदि बहुत देखे. जाते नयादके, अधीन एक सूबेके रूप में परिणत हमा। मन् हैं। ये प्रायः एक हजार वोधेमें फैले हुए हैं। सम्भवतः १७६५ ई० में इष्ट इण्डिया कम्पनीने दोवानो के सम्बन्धमें । यही स्थान ईसाके पारम्भमें विहार सम्राटों को राज. विहारका शासनाधिकार प्राप्त किया। इसी समयसे । धानी था। बिहार घनादेशमें जोड़ दिया गया। पीछे १९१२ ई० में यह विहारक (सत्रि०) विहारकारो, विहार करनेवाला । उड़ीसाफे साथ मिल कर एक स्वतंत्र प्रदेशरूपमें गिना विहारमोड़ामृग ( स० पु०.) विहारके लिये फोडामृग। जाने लगा। (भागवत ६१७ बिहार के अन्तर्गत राजगृह, गिरिएक, पटना, गया विहारण (सली ) विहार, कोड़ा। . आदि स्थानों में हिन्दू और बौद्धोंको प्राचीन कीर्सियोंके | बिहारदासी ( स० स्त्री० ) कोडादासी । निदर्शन पाये जाते हैं। पे सय स्थान ऐतिहासिक (मालतीमा० ८४) (मालतामा तखोदाटनका एक अमूल्य भाण्डार हैं। प्रत्नतत्त्वविदों / विहारदेश-विहार देखो। में विशेष उत्साह, अध्ययमायके साथ उन सब ध्यस्त | विहारभद्र (सपु० ) व्यक्तिभेद । (दशकुमारच० १८६७) कीर्तियों को खुदशा कर प्राचीन मगध, नालन्द (वड़गांव) विहारभूमि ( स्त्री०) विहारस्य भूमिः। बिहार और राजगृहके प्राचीनत्वका साक्ष्य प्रदान किया है। स्थान, फ्रीड़ास्थान। .: राजगह, गिरिएक, गया आदि शब्द देखो। । विहारयात्रा (स.सी.) भ्रमणके उद्देशसे दल बांध २ उक्त प्रदेशका एक उपविभाग। यह पटना जिलेके कर निकलना। अन्तर्गत अक्षा० १४५८ से १५ १६ उ० तथा देशा० विहारयत् ( त्रि०) विहार-अस्त्यर्थे मतुप-मस्य य । ८५ १२ से ८५ ४७ पू०के मध्य अवस्थित है । १ विहारविशिष्ट, फोडायुक्त । विहार स्व । २ विहार विहार, हिसुआ, आतासराय और शिलाओ थाना ले कर की तरह । इस उपविभागका गठन हुआ है। इसका भूपरिमाण विहारवारि (सं० क्लो०) क्रीडाका जलाशय । ७६३ वर्गमील है। (रघु १३१३८) ३ विहार महकमा या विहार प्रदेशके विहार उप. / विहारशयन (सलो०) विहारार्थ शयन, बिहारशय्या। विभागका विचार सदर । यह महकमा पटने जिले में बिहारशैल ( स० पु०) झोडा पर्वत । (रघु १६।२६) अयस्थित है। यह नगर पञ्चाना नदीके किनारे पसा पिहारस्थान (स. क्लो०) विहारस्य स्यानं। कोडा. हुआ है और बिहार प्रदेशमें वाणिज्यसमृद्धिके लिये | भाम। (भागवत ३१२२२१) विष्यात है। किसी समय पटना, गया, हजारीबाग और विहार स्वामी (सपु०) यह जिसके ऊपर मठ घा बिहार. मुङ्करके वाणिज्य द्रष्यादि इसी स्थानसे हो कर माता के धर्म कार्यको परिचालनाका भार सौंपा गया हो। इन- जाता था। भाज भी यहां शणिज्यको समृद्धि देखो । के ऊपर जो मठपरिदर्शक रहते हैं.चे, 'महाविहारस्वामी' जाती है। वस्त्र, चावल, अन्न, कई और तम्बाकू आदि कहलाते हैं। ही यहांको उपज और वाणिज्य द्रव्य है। रेशमो और विहाराजिर (सो .) विहारस्य अजिरा। विहार सूती कपड़े यहां तैयार होते हैं। हिन्दू और मुसलमान | स्थान । ( भागवत २२४५) यात्रियों के लिपे यहां एक सराय है। इसकी इमारत विहारावसथ ( स० पु०) कोड़ागृह । (भारत भादिपर्व') पेसो बड़ी है, कि इसका जोड़ा कही दिखाई नहीं देता। विहारिकृष्णदासमिश्र-पारसीप्रकाश नामक अन्यके रच- नदीके दाहिने किनारे प्रतिष्ठित शाह मकदुमका समाधि- पिता । मन्दिर भी एक दर्शनीय यस्तु हैं। यहां एक मेला लगता विहारिन (स. ति०.) पित, शीलमस्पेति यि-ह. Vol xxi, 183.