पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/८४५

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०३६ वीजगणित तत्त्व निष्पादित नहीं होता था। प्रत्युत इन प्रश्नोंसे । निर्दिए दिनको प्रतियोगिताके मैदानमें उपस्थित हो कर - विज्ञानके उत्कर्ष ज्ञापक उच गणिताडूका लक्षण भी दोनों पण्डित आपसमें प्रश्न पूछनेमें प्रवृत्त हुए । फ्लेरियो हो देना जाता था। वर्तमान समयमें इस शासक ने ऐसे प्रश्न पूछे, फि फिरियासकी एक ही प्रणालो जानने- साहाय्यसे प्रतिपाद्य विषयों के क्षेत्रमें जितमा प्रसार | से उनका उत्तर दिया जा सकता है। दूसरी ओर टार- हुगा है, उस समयके लोगोंको उतनी धारणा करनेशी । टालियाके प्रदत्त प्रश्नों का उत्तर केपल उनके अपने उदा. भी क्षमता न था। वित तीन नियमों में किसी एक नियम द्वारा दिया जा ____यह पहले ही कहा जा चुका है, कि यूरोप में पहले सकता है। इसके सिवा अन्य नियमोंसे यह सम्पन्न पहल इटली देशमें वीजगणितका प्रचलग हुमायो।। करना सम्भवपर नहीं है। पनरिडोको जो नियम मालूम सन् १५०५३० में दोनोलियाफे अशाखके एक अध्या था, उसके द्वारा इन प्रश्नों का ये ठोक ठोक जवाब देन पक सिपियो फेरिरास तृतीय पर्यायकं समीकरण! सफे। सुतरां इस विद्यायुद्धमें उनकी ही पराजय हुई। सम्पादन करने में सक्षम हुए। इस आविष्कारके होनेके रारालियाने दो घण्टे में ही उनके सब प्रश्नों का ठीक ठीक · बाद ही लोगोंका मन पीजगणितके प्रति विशेषभायसे उत्तर दे डाला। मारुष्ट हुमा। तब तक वहुनेका यह ख्याल था, कि . विख्यात पण्डित कार्टन टारटालियाक समसाम- योजगणितो तृतीय पर्यायका समोकरण बड़ा कठिन | यिक थे। ये मिलान नगरके गणितशास्त्र के अध्यापक है। किन्तु जब इस कठिन साध्यका समीकरण हो | थे और यहा घे.चिकित्सा भी करते थे। इन्होंने विशेष गया, तब इस विभागके पण्डित और भी कुछ नये ध्यान दे कर पीजगणितकी चर्चा छेड़ दी। टारटालिया. माविष्कार करने में यत्नशोल हुए। के आधित विपयाँका अभ्यास कर काटनने अपनी टारटालिया। उद्भाधनीशक्तिफे थलसे इससे कई नये तथ्यांका माधि- ' सन् १५३५ ई० मेनिस नगरमें वासस्थान स्थापन कार किया। चौधे पर्यायका समीकरण करनेके लिये कर पिलरियोंने इस स्थानसे प्रेसियापासी टारटालिया टारटालियाने जिन नियमोंका आधिकार किया था, सच मामक एक पण्डितको घीजगणितके नियमानुसार करें। पूछिये, तो वे नियम सर्वथा ठीक न थे। फाईनने सम्पाका समीकरण स्थिर करने के लिये बुलाया। इस उनके द्वारा बनाई प्रणालियोंकी आलोचनामों को पढ़ते विधायुद्ध में पलरिडोने इस तरहके कितने ही प्रश्नोंको पढ़ते उससे एक ऐसा नियम माविष्कार किया, कि तैयार किया था, कि फेरियासकी आविष्कृत प्रणालीके | उस नियमसे चौये पर्यायका कोई भी समीकरण सहज सिवा किसी दूसरे उपायसे इनकी मीमांसा हो नहीं हो निष्पादित हो सकता था। इसके बाद उन्होंने मकती थी। 'टारटालिया इस घटनाके पांच वर्ष पहले अपनी प्रतिज्ञा मग कर सन् १५४५ ई० में अपनी माथि- चीजगणितके आविष्कारपथमें फेरियासके साथ बहुत ! कृत प्रणालियोको प्रकाशित किया। इसके छः वर्ण 'दूर भागे बढ़ गये। सुतरां उनकी युद्धिवृत्ति फ्लरिडोको पहले पाटीगणित और चीजगणितर्फ सम्बन्धमे उन्होंने ' अपेक्षा अनेकांशमै उत्कर्ष प्राप्त हुई थी, यह सहज हो, जो एक दूसरी पुस्तक प्रकाशित की थी, यह उसीका अनुमेय है। इस प्रतियोगिताके मैदानमें टारटालियाने परिशिष्ट था। योजगणित विषयफे मुदित प्राचीन पलरिडोका निमन्त्रण स्वीकार कर लिया गौर परस्पर प्रन्यायलियों में यह दूसरी हैं। इसके एक वर्ष याद नोम प्रश्न पूछने के लिये एक दिन निश्चित हुआ । इस टारटालियोंने इङ्गलैएडफे राजा आठवें हेनरोके गामसे • निर्दिए समय से पहले ही टारटालियाने चतुर्थ पर्यायके उत्सर्ग कर एक वीजगणित प्रकाशित किया। दुःखका ममीकरणको चर्चा छेड दो दौर पूर्वविदित दो नियमांक ! · विषय है, कि जो प्रथम याविष्कारक हैं, इस जगत्में सिंवा अन्य दो प्रतिक्षा सम्पादनकालमें थे और एक नई उनकी ख्याति प्रायः नहीं सुनी जाती। पर जिस , ' प्रणालीका भी भाविष्कार करनेमें सक्षम हुए । जो हो, ! व्यक्तिने उनसे विद्याशिक्षा कर उसोसो - परिमार्जित