पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/८५१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पीजगणित ७४३ टारियानो नामक एक गणितथिने इसका दोष खण्डन समाजके सामने रखा । उनके पूर्व भी फुरियार नामक र इसके दूसरे वर्णमे पुरस्कार पाया था। एक गणितविने इस विषयमें भाषण किया था। उस • गृटिश एसोसिपेशनको रिपोर्ट के पांचवें भागमे सर । समय उन्होंने कोई प्रग्य गही लिखा । इससे घुदन ही ब्ल्यू मार हेमिल्टनने विपमासित करण प्रणालीकं । प्रणालीके भादि रचयिता कहे जाते हैं। किन्तु सच सम्बन्धमेपक गवेषणापूर्ण मन्तव्य लिखा है । उच पर्याय- पात तो यह है, कि इसके लिये फुरियार हो सर्वोच आसन के समीकरणको चतुर्दा पर्यायमें परिणत करनेमे यह | पाने योग्य है। पयोंकि सन् १८३१ ६०में नेभियारने मम्पूर्ण अक्षम है। जो हो, रहेन कटाके रहते हुए भा | Analyse des equations deternitunees नाम रस्त्र नाना तरहसे यह प्रणालो मूल्यवान है। ! कर फुरियारसे बड़े प्रन्धका प्रचार किया। समीकरण- __पहले तो विशर विशर आकारमें परिणत कर उथ । के मूल निर्धारण सम्बन्ध मति संक्षेपमें फुरियारने जो पायफे समोकरणों का समाधान हो सकता है। हाय- दो उपपाय लिपिवद्ध किये हैं, उनमें एकको फुरियारका मारने सन् १७३७ ई०में फिलोसफिकेल द्राधाकसन' उपपाद्य कहते हैं। इसके सिवा उन्होंने अवएडोकरण मामक पत्रिकामें एक तरहके समीकरणका समा- | नामक मोर एक उपपाधका आविष्कार किया। यह उप. भानप्रणाली लिपियत की है। गणितज्ञ गस द्विपद- पाद्य अन्धकारके Theoric de la Chaleur नामक उत्कट समीकरणकी सम्नति कर गपे हैं। भाएदारमोण्टेने इस प्रयमें यथायमाघसे मालोचित हुआ है। बुदान और विषयमें जितगी उन्नति की थी, उन्होंने उसकी अपेक्षा । फुरियरको प्रधावली प्रकाशित होनेके मध्यकालमे सन् हुत मधिक माविष्कार किया है। इनके रचे १८१६ ई० में 'फिलसफिफेल द्राआयमन पाव दो रायल Discquisitiones Arithmeticac नामक प्रामें इम सीमाटी' नामक पत्रिकामें इस विषय में एक प्रबंध विषयका प्रमाण मिलता है। यह प्रन्ध सन् १८०१०- प्रकाशित हुभा। इस प्रबन्धके लेखक यठल, जी हार में पहले पहल प्रकाशित हुभा। इनके बाद वरचुके हैं। उन्दोंने इस प्रबन्ध गणितविषयक समीकरणको रहनेवाले गायेल नामक एक गणितविदुने चर्चा आरम्भ एक अभिनव प्रणालीको मालोचना की है। क्रमसे कर दी और गसने जो आविष्कार किया था, उसो ये लोग इनारकी इस प्रणाली पर श्रद्धाग्विन हो उठे और 'उत्कर्ष साधन कर गपे हैं। सन् १८३६ ई० में खुष्टि- किसी किसी विषयमें यह फुरियरकी प्रणालोके प्रायः यामा शहरमै भावेलकी सारी पुस्तके एकल प्रका- , ममतुल्य और उत्कृष्ट ममझो गई। सन् १८३८ में शित की गई। इस प्रथमें द्विपद समीकरण और Memoires des savans etrangers नामक पत्रिकामें मन्यान्य गणिताशय सम्बन्ध आदि देखनेको मिलते। एक नई प्रणाली प्रकाशित हुई। सरलता, सम्पूर्णता और सव विषयों मे प्रयोगयोग्यताके सम्बन्धमे बाला- , केवल ममीकरणके समाधान के लिये जो वर्तमान चना कर देखनेसे यह शेपेोक्त प्रणाली ही समीकरण शताब्दमें बीजगणितके अङ्गको पुष्टि हुई है, ऐसा नहीं। मूल भयधारणमें सर्वोत्कृष्ट समझो गई। पम टार्म कहा जा सकता । समीकरणोंका समाधान करने नामक एक फारसीसी पण्डित उक्त प्रवन्ध लेखक हैं से पहले इनका मूल किस तरह विभक्त किया जा | जेनेवा नगरमें इनका जन्म हुभा था। इनके आविष्कृत मकता है, उस विषयमें उसी समयसे लोग यनवान् । उपपाधने पीजगणितमें उच्च स्थान अधिकार किया है। होने लगे। इस विषयमे जिन्होंने पहले प्राय लिख सन् १८२६ ई०में एमंगने उक्त प्रयाध "पकादमी" . तस्योको प्रकाशित किया, उनका नाम वुदन है ।। स्थापित किया था। . निद्धारप-प्रपाती। सन् १८०७ ई० में उन्होंने Nourelle methode pour la, ___resolution tles equations numeriques नामक प्रथम पायके .समसामयिक समीकरणको समा एक पुस्तक प्रकाशित करा उक्त विषयों को जन , धानप्रणाली ऐसे कई भग्नांशोंके आकार में रखी जा