पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/१०४

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गाडी-कोस दूरीको चिसो होने पर भी मिफ एक पेन्स खर्च देकर | डाकावनी ( किलो ) उकतो करनका काम, बटमारी। भेजनेको सन्मति गरजौसे लो। युरोपके दूसरे दूसरे डाकिन (fe'. स्त्रो०) डालिनी देखा । .:. देशमें भो थोड़े हो समयमें सभीने राउलगड-हिलका डाकिमो (स.सो.) डाय भयदानाय प्रकृति प्रति- पच अवलम्बन किया। भारतकं अंगरेज शामनकर्ता डाय प्रक-इनि वा डाकामा समूहः इति डाक पनि । बलाट डलहौसीने यह सबसे पहले सार्वजनिक डाक- स्खलादिभ्यनिर्वतव्यः । पा ९५१ गानिक। १ कालीके विभाग स्थापन किया। एक गणका नाम। १८७० ई० में अष्ट्रियासे सबसे पहले पोस्टकार्ड प्रचः | "सार्द्धश्च डाकिनीनाश्च विष्टानां त्रिकोटिमिः।" (ब्रह्मपु.) लिस हुमा । बाद वह भी बहुत थोड़े दिन में ही जगत्। २ पिशाची, यह किसो मनुष्य को देखने से हो उसका के समस्त सभ्य देशों में चलाया गया। अनिष्ट करतो है। ३ खोविशेष, डारन । ४ शिव पोर पहले देश भेदक अनुसार डाकखर्च भी लगता था। पाव तोका अनुचर । रसको सहार-शक्षिका प्रश १८७४१ में जबसे पान्तर्जातिका डाक-सम्मेलन ( In- | विशेष कहा जाता है। यह मारण, वशीकरण प्रभृति ternational Postal Union ) स्थापित हुमा, तबमे | कार्याका तथा उनके मन्त्रका उपास्य देवता है। विदेशको चिट्ठी भेजनमें खर्च की जो गड़बड़ी थी वह "डाकिनी शाकिनी भूतप्रेतवेतालराक्षसाः।" (काशोख ३० अ०) जाती रही। __भोटदेशवासो अभी भी डाकिनोको उपामना प्रभो सभी सुसभ्य देशों के प्रधान प्रधान नगरों और करते है। ग्रामों में डाकघर स्थापित हो गया है। डाकसे सब डाकी (दि. स्त्रो०) १ उलटो, के, वमन । (पु.) २ पेट , लोगोको समान सुविधा मिलने पर भी डाक विभाग | बहुत खानेवाला। देशक राजाके अधीमी। | डाकू (हिं पु० ) १ वह जो बलपूर्वक दूमरेका माल डाकगाड़ी (हि.स्त्रो०) चिठी पत्री ले जानेकी रेलगाड़ो । ल ट लेता है, लुटेरा, बटमार । २ वह जो बहुत खाता इसका मतजाम सरकारको बोरसे है। यह और । हो, पेट । गाड़ियोंसे तेज चलता है। अधिक महसूल ले कर इम- | डाकेट ( पु.) किसी पत्रका मारांश, चिट्ठीका में पादमी भी बैठाये जाते है। खुलासा। डाकघर (हि.पु०) डाकखाना देखो। डाकीत- एक ब्रामण जाति। ये लोग कहीं डाकोत डाकमा (हि. क्रि० ) १ उलटो करना, के करना। २ कहीं भरी कहीं भड़लो, कही जोतगो, कहीं दिसन्त्री, लांघना, फांदना, कूदना । कहीं जोषी, कहीं शनिश्चरिया, कहीं ग्रहविप्र, कही डाकबंगला ( हि पु. ) एक स्थानसे दूमरे स्थान जनिमें ज्योतिषीजी, कही भक्षवजीवो और कहीं थावरिया राजापुरुषों या चमणकारियों के सुविधार्थ पौर विश्रामार्थ | कहलाते हैं। प्रवाद है कि प्राणके वोय व भडतो घर। ईस्ट इण्डिया कम्पनीके समयमें इस प्रकारके घर नामको एक शूद्राके संयोगसे जो सन्तान उत्पन्न हुई

स्थान स्थान पर बने थे। रेल होने पहले ही स्थानों | वह डाकीत वा भड़री कहलाई। पाज कल असे अन्य

पर डाक ली जाती और बदली जाती थी। माणगण मन्दिरीके पुजारी है, तेसे हो ये डावोस डाकराग्यो (हि. पु०) वह पुरुष जिसके हाथ डाकघर लोगभी शनिदेव मन्दिर के पुजारी । का तजाम हो, पोस्टमास्टर। ___यथा में यह जाति डा ऋषिको सन्तान महा- जाकर (जि. पु०) सूखे हुए तालाबों को चिटको दुई मही। भारतके अनुशासनपर्व में लिखा है कि गुजीके गुणों के पव्यय (हि.स.) डाकका खर्च, डाक महसूल।। समाम चबम, वनौष, सचि, शत्र, वरीय पोर विभु- डाका ( पु.) किसीका धन होननेका भाक्रमबमबम ये सात उनके पुत्र पैदा हुए। वहीं समाचार्य के बटमारी। | निरपोर नीयम