पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/११७

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लिए यानवान हुए। पर नियुक्त करने जाना रसके बाद जो अपने कोणा नदीके दधि- कि, नाजिरजाको सेना विद्रोह भावसे शून्य नहीं। पख भूभागका मुगल-प्रतिनिधि बसलाया। उनके इनमें नाजिरजङ्गक साथ सन्धि करेंगे, ऐसा प्रस्ताव पादेशानुसार प्रदेशका समस्त कर डुलेके जरिये कर ने उनके पास कुछ दूतो को भेजा। हुने मुगल-सम्माट के पास भेजा जाता था तथा पुंदिरोमें उन दूतोंसे नाजिरजङ्गको मेना विद्रोही हो जाय, उस जो सिके बनते थे, उसके सिवा पन्ध सिको कर्णाट प्रदेश- विषयमें चेष्टा करने के लिए भी कह दिया। दूस भी में नहीं चलते थे। १७५११ में मजफरण के निहत तदनुरूप कार्य करके लौट पाये। होने पर डुने सलावतजनको सूबेदार मान कर उनका नाजिरजनके पादेशसे फरामोसियोंको एक बाणिज्य पक्ष समर्थन करने लगे। इस समय मादलो विचिन. कटी लट ली गई थी। इसका बदला लेने के लिए इलेने पलोमें ठहरे हुए थे। दुनने फरासीमा सेनाके जरिये १७५०१०में मसतिपत्तन अधिकार करने के लिए जला- उनको हटाने के लिए चांदसाबको परामपं दिया। पथसे एक दल सेना भेज दी। उसने वह स्थान पधि- अंग्रेजीमे पभी तक किमीका भो पक्ष नहीं लिया था। लत कर लिया। महम्मद अली डर कर भाग गये । इस फरासोसियोंके प्रभावमेन्वित हो कर उन लोगोंने समय फरामोसियों के प्रसिद्ध सेनापति बूमिने चान्दमाइबके अती महम्मदका पक्ष ग्रहण किया। पबमे डोको मेना माथ मिल कर गिञ्जो दुर्ग हस्तगत कर लिया। प्राय: सभी युद्ध में पराजित होने लगी। चांदसाहब नाजिरजङ्गाने फगसीसियों की कतकार्य मे अत्यन्त भीत आखिर जान भो हाथ धो बैठे । चादसावकी मृत्यु के हो कर सन्धि करने के लिए पुदिपेगेको दो दूत भेज बाद हुने स्वयं मवावको उपाधि ग्रहण की। कुछ दिये। डग्लेने निम्नलिखित प्रस्तावानुसार मन्धि करना दिन बाद वे राजासाहबकी नवाबनी तरह सन्मान मजूर किया-"मजफरजङ्ग मुक्ता किये जाय, चान्दमाहब- करने लगे। किन्तु मुरतवापसीने ८००००० रुपये दे को कर्णाटको मवाब उपाधि मिले तथा मसलिपत्तन कर मौत हो डुलेसे नवाबको उपाधि ले लो। १७५२ और उसके अधीन प्रदेशममूह फरामोसियोंके दिये जाया" में 'ग्रेजी सेनाने फरासोसियोंका गिनि-दुर्ग पान- मण किया, परन्तु पराजित हो कर उसे भागना पड़ा। किया। वे युद्ध के लिये तैयार हुए । डुम्न ने उनके प्रधान रमसे डुलेकेदययथेष्ट पाशाका सबार हुघा, पर सके साथ जो षड्यन्त्र रचा था, नाजिरजङ्गको उससे बाहार नामक स्थानमें फरासीसोसेनाके विशेषरूपसे परा- जरा भी वाकिफ न थे। डुम्नेने टौम ( Touche )को जित होने से डुलेका पायालता सूख गई। कुछ भो हो नाजिरजङ्ग के माथ युद्ध करने के लिए पादेश दिया । युद्ध में डुग्ने बिल्कुल ही निरुत्साहित नहीं हुए। उन्होंने देखा कि, फरासीसौ सेनाने विजय पाई, नाजिरजङ्ग मारे गये और यह युग सहज में नहीं निपटेगा इसलिए वे सेना संग्रह मजफरअङ्गको सूबेदारको उपाधि मिली। मजफरजा करने लगे। १७५२१०में एक दुर्भब वोशलले मरा. ने ममलिपत्तन और उसके प्रधान प्रदेश-समूह फरामो- राष्ट्र और महिमरकी सेनामें ग्रेजोका पोड़ कर सियोंको तथा २० लाख रुपये डुओं को दिये । इस समय फरासीसियोका साथ दिया। पुंदिरोमें रणवाद्य बज और एक विपत्ति पा खड़ी हुई। मजफरने डुले से उठा । इस युधमें कभी फरासीसियों और कभी पंजी. कहा-'नाजिरजनके अधीन जो ३ सर्दार पापके साथ को जय होने लगी। १७५४१० तबसी तरह युर षड़यन्त्र, लिल थे, वे दावा करते है कि उनको उनक होता रहा। अधिक्षत प्रदेशके लिए कर माफ कर दिया जाय और इस तरहके युद्धविपहले दाक्षिणाबमें फरासीसिं- नाजिरजङ्गका धन उनमें बाँट दिया जाय । दुग्ने में इस योका प्रभाव और अधिकार बढ़ता तो जाता था, पर विषयम मध्यस्थ हो कर अनेक वादानुवादके बाद एक अधिक पव्ययके कारण कम्पनीको विशेष कुछ लाभ सन्धि कर दी। मी प सलिए कपरवारी दुधको युद्ध बन्द करनेके Vol. Ix.29