पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/१२७

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मै १२४१२५ में पलित है। रसके उत्तर डेनमार्क की साड़ी वर्णव देशमें बहुतसी सागरः स्कागारक उपसागर, पूर्वमें काटिगट और माउणप्रणालो शाखायें प्रविष्ट । उत्तर भाग लिमजोर्ड खाड़ी सबसे तथा बालिक सागर, दक्षिण जर्मनीके की एक पंश बड़ी है। १८२५ मसकी पत्रिम भाग हट फट एवं पश्चिममें जमनसागर या पचिम महासमुद्र। जानसे यह जर्मन सागरके साथ मिल गई। डेनमार्क जिलण्ड, फिउनन्, लालाण प्रभृति होप, जटलाण्ड में शेटो छोटी पक्ष भोल, किन्तु एक भी ऊंचा उपहोप और बालिक-सागरस्य वर्ष होलम होप ले कर पर्वत पोर पडो नदी नहीं है। यहां बहुतसो शेटी यह राज्य संगठित हुआ है। पहले बसभिग होगष्टिन छोटो मदिया, छोटे छोटे पहा और सबिम खाड़ी है। पोर लोयेनवग नामक दो प्रदेश भी डेनमार्क के पन्त- समुद्र के निकट रहनेमे डनमाक में गोल गोषका गत था। १८१६ में जर्मनी के साथ युद्धमें डेनमाकने प्रकोप उतना अधिक नहीं है। वायु पनि समय सरस उक्त दो प्रदेशको खो डाला। वर्तमान राज्यका परि पोर मनोरम रहती है। बड़े दिनके पहले तथा माणफल १६८५८ वर्ग मील है। अधिवासियों में प्रायः फाला नके बाद शीतको प्रखरता प्रायः नहीं रहती है। संकड़े ३६ कषिजीवो हैं और प्रायः ६४ शिल्प तथा कभी कभी गोभकालमें यहां बहुत गरमो पड़ती है। वाणिज्य पादि द्वारा जीविकानिर्वाह करते हैं। लोक. यहांकी जलवायुको अवस्था अत्यन्त परिवर्तनशील है, संख्या प्रायः ३२०००००है। वृष्टि तथा तूफान प्रायः पाया करता है। राजधानी इसका जटलण्ड उपहोप य रोपखण्डके साथ संलग्न कोपेनहेगनका तापांश योतकामा २२८, वसन्त काल- तथा उत्तर दक्षिण तक विस्त,त है। इसकी लम्बाई में ४३५, पोपकालमें १३५ और सरतकालमें ४८ उत्तर-दक्षिण में प्रायः ३०० मील है और घोड़ाई पूर्व फा० रहता है। पश्चिममें भित्र भित्र स्थानोंम भित्र भित्र प्रकारको है; यसको भूमि सीमें गई, जौ, राई प्रति किमो स्थानमें केवल ३० मोल पौर कहौं १०० मोल है। सरह तरह के अनाज उत्पन होते । केवल जिललहीप- इसके उपकूल भागको लम्बाई प्रायः ११०० मोल है, में फल शाक प्रत्यादि उपजते । प्रतिवर्ष प्रायः२५... किन्तु इस सुदीर्घ उपकूलका अधिकांश बिछला है पोर से २८००० घोड़े विदेश भेजे जाते. विशेषत: इममें कई जगह टापू हो गया है। छोटा होप और दूधके लिये ही यहांके लोग गाय मेंस भादि पालते है। बालूका बांध रहनेमे वाणिज्यमें बहुत असुविधा होती है। खाड़ी और नदी में मछली यपष्ट मिलती है। कहीं कहीं सभो दीपों में जिलण्ड बड़ा है। राजधानो कोपनहेगेन मछली पकड़नेका नियत खान भी, चौर रस पाम: पसोहीपमें अवस्थित है। इस होपको भूमि नीचो और दनो बहुत होती है। नदौसे सौप भी निकालो जाती प्रायः ममतल है तथा समुद्रपृष्ठसे कई फुट अंचा पर है। है, किन्तु यह राजाके प्रयोग है। जटलडके उत्तर कहीं कहीं दो एक पहाड़ भी देखे जाते हैं, जिनकी भागमें वाड नामको एक प्रकारको बड़ो मछली पाई अचाई समुद्घष्ठसे ५०० फुटसे पधिक नहीं है। जिलगड़ जाती है, जिसको पीसे तैलरत्यादि तयार होता है। और जटलण्हके बीच फिउनन दीप पवशित है। ललाख, तिमि मछलो भी यहां मिलती है। डिनमा खान सोलाण्ड, फलष्टर, मोयेन पादि छोटे छोटे होप फिस- बहुत कम है। वर्णहोलम होपमें पथरिया कोयला बहुत मन और जिला के दक्षिण पड़ते। इसकी प्रति कम मिलता है। यहांका काठ भी पछा नहीं तथा निकटवर्ती समुद्रकी कम गहराई देख कर मनु- होता है। मान किया जाता है, कि बहुत पहले के समस्त होप यहाँ कृषि पौर शिल्पको पवखा मामयः बढ़ती जाती पूर्व में सुडेन और पश्चिममें जटसह तक विस्त त एक शस्थ, मक्खन, पनीर, नमकीला मांस, शराब बकरा, बड़ा भूषण था। कालमामसे एथक, पृथक हो कर वे भेड़ा, घोड़ा. गाय इत्यादि पय, चमड़ा, पर्बी, रोपां पौर की एक छोटे शेटेडीयौमे परिवत हो गये। सतराको मासी तथा कापौर तिमि मलीका तमा