पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/१४८

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गञ्ज वाणिज्यका प्रधान अण्डा है। शहर में वास करना पड़ता है। समस्त जिले में हल चलता है। अधिवामियोंको पमन्द नहीं पड़ता कारण शिल्यादिका अच्छे धान खेतोंमें धानके कट जाने पर एक दूमगे कोई कार्यान्नय नहीं है। 'उपरोक नगरोमें कितनको फमल उत्पन्न होती है। छोड़ कर निम्ननिन्वित स्थान भी उल्लेखयोग्य है। यथा ढाका जिल में अतिवृष्टि, अनावृष्टि, बाढ़ प्रभृति दैव- सुवर्ण ग्राम, यहों पूर्व बङ्गालका सबै प्रथम मुम नमानको दुर्विपाक अधिक नहीं होते हैं। देवदुर्घटनामे धानको राजधानो श्रो. फिरङ्गोनाजार. पोत गोजका प्राटि उप हानि विनकुल नहीं होतो। १७७७-७८ ई में भयानक निवेश, विक्रमपुर, माभार और दुरदरिया। शेषोक्त दो बाढ़ और उसके बाद भोषण दुर्भिक्ष हा था। १८६५ स्थानाम कितने भान पामाटादि देखे जाते हैं, लोग ओर १८७० ई०में अनावृष्टि होनकै कारण अन्न महगा उनको भुडयां पार वान राजाओं को काति बतलाते हैं। हो गया था। सम्पति कई एक वर्षांसे विक्रमपुरम इमके सिवा जिले के अनेक स्थानों में प्राचीन हिन्ट् और दुभिक्षको बातें प्रायः सुनी जाती हैं। अभी रेलपथ और मुमलमान राजानों की अनेक कोतियां विद्यमान हैं। जलपथसे अन्यान्य जिलोंके माथ संयोग हो जाने के मम्प्रति कृषि कार्य को विशेष उति नोने एवं कृषिजात कारण अन्तर्वाणिज्यको वृद्धि हो रही है । तथा घोर द्रव्यों का मूल्य बढ़ जानसे कषको को अवस्था बहत दुर्भिक्षको प्राशङ्का नष्ट हो रही है। ढाका जिले में बहुत अच्छी हो गई है। तिल. मरमो कुसमफल मन और मो बड़ो बड़ी नदियां रहने के कारण माल भर प्रायः सभो पाट आदि की खेती द्वारा अनेक कषकों को अवस्था स्थाना में जलपथमे जान आने की सुविधा रहता है । एमा सुधर गई है। करना नहीं पड़ेगा कि निर्दिष्ट वेतन कोई स्थान नहीं है जो बड़ो नदीसे दूर हो। विशेष भोगी कर्मचारी वा करग्राडो तालकदारो को इम कर जाना थाना और वाणिज्य व्यापारादि अधिकांश उबतिसे कोई मम्बन्ध नहीं है। जलपथसे हो सम्पन्न होता है। ___ कृषि-बङ्गाल के अन्यान्य स्थानोंकी नाई यहाँ भी ढाका नगरके मध्य हो कर त्रिपुरा और चग्राम तक चावल हो लोगाका प्रधान ग्वाद्य है। चार तरह के धान जो पक्की गड़क गई है, वही मब मे प्रधान है। ढाकाम विशेषकर पैदा होते हैं। १ अमन वा हैमन्ति र, २ ममनसिंह और नारायणगञ्ज तक एक दूसरो मड़क गई आउश वा आशु धान, ३ चोरो धाम तणा ४ जोधान है, जिनमेसे नारायणगञ्जको सड़क हो कर बहुत अर्थात् दलदल आदिमें पापने आप होनेवाला धान । इन- वाणिज्य होता है। ढाकासे नारायणगञ्ज और मैन मेंमे हैमन्सिक वा श्रामनध न हो प्रधान है। ढाकामे मिह तक रेललाइन गई है। शिन्यद्रव्यों में यहाँका सूतो जितना धान उत्पन्न होता उतनेमे इस जिले का काम कपड़ा, शह और मोने तथा चाँदीक बने हुए तरह नहीं चलता है। दूमरे दूसरे स्थानांस चावल को आमदनो तरहक पदार्थ, मट्टोक बरतन और कपड़े के ऊपर होती है। उत्पब द्रव्यों में ज्वार, बाजरा. जुन्हरी, अनेक पालिश करनका काम प्रधान है। पहले ढाकाके कपास- तरह उई, तिल, सरमो, रुई, सन, पटसन, कुसुम के सूतको बनी हुई अत्यन्त महीन तरह तरहको मल- फूल, जव, पान, सुपारी और नारियल प्रभृति प्रधान हैं। मल वा मस्निन जगत्म विख्यात थो। अब भी यूरोपमें फिलहाल रूई को खेतो बहुत कम गई है। पहले यहां अनेक उत्कटसे उत्कट मशीनों के रहते हुए भी की रूई बहुत प्रमिद थी, इसमें मंदेह नहीं । उसो कईसे ऐसा अाश्चर्योत्पादक मलमल नहीं बनतो भी उसकी संसारविख्यात ढाकेको माड़ी बनतो थो। इस समय खपत नहीं रहने के कारण ढाकेका पूर्व गौरव जाता तिल, मरसो, सन, पटसन, कुसुमफल इत्यादि यहांसे रहा। जो उता वस्त्र के लिये सूत कातते तथा जो ताँती दुमरे स्थानों में भेजे जाते हैं। धानका खेत अधिकांश बाढ़ः उस भुवनविख्यात मलमलको बुमते थे, वे पब एक भी के जलसे प्रावित हो जाता है। इसलिये उनमें सारको नहीं है। जिस कपाससे उसका सूता बमता था, बहु- पावश्यकता नहीं होती। रब्बोके खेतों में बहुत खाद देनी तोका कहना है कि उसका भी लोप हो गया है।