पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/१५९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

का-डॉगवाणी लकड़ीका पोजार जिमसे धान इत्यादि कूटा आता ढेबरी (हि.सी.) डिबरी देखो। है, धान कुट्टी, ढेको। ४ एक प्रकारका यन्त्र जिसके टेममौज ( हि खो. ) समुद्रको ऊँचौ सहर । हारा भवकेसे पई उतारा जाता है, वकातुख्यन्व। ५ ढेर (Eि पु०).समूह, ज, टाल, गंज। एक प्रकारको क्रिया जो सिर नोचे पोर पैर ऊपर करके टेरना (हि.पु.) वह फिरको जिससे सूत या रसो की जातो है, कलाबाजो । कम्न या। ६ वकण्डयन्स, बटो जाता है। भबकेसे पक उतारनेका यन्त्र । देरा (जि. पु. ).१ सुतली बटनेको फिरको। २ लकड़ी ढंका (हि. पु०) १ कोल्हुमैका बॉस । यह जटाके सिरेसे या लोहका घेरा जो मोटके #पर लगा रहता है। ३ कतरी तक लगा रहता है। २ बड़ा ढेको। अोलका पड़। किका (स. स्त्री) एक प्रकारका नृत्य। टेराक (हि. मो.) एक प्रकारको मछलो। किया (हि. स्त्रो० ) डेढ़पटो चद्दर बनानेमें कपड़े को ढेरी (हिं. स्त्रो०) ढेर, समूह, टाल । एक काट और सिलाई। इससे कपड़े की लम्बाई एक ढेन ( हि पु. ) ढेमा देखो। तिहाई घट जाता है और चौड़ाई उतनी ही बढ़ जाती ढलवांम (Eि स्त्री० ) १ देला के कनेका रस्मोका एक फन्दा । दे'को (हि. स्त्री०) वेंका देखो। ढना (हि.पु.) ईट, महो रत्याटिका छोटा टुकड़ा। हूँ"कुली (हि. स्त्रो०) डेकली देखो। २ खण्ड, टकड़ा । ३ धानका एक भेद । (हि. पु०) १ काक, कौवा । २ मृत जन्तुका- ढेला चौथ (हि स्त्रो०) भादों सुदी चौथ । कहा जाता है मांस खानेवाला एक प्रकारको नोच जाति। ३ मुखं, किस तिथिको चन्द्रमा देखनसे पलक लगता है। मूढ़, जड़। ४ कपास पोम्त आदिका जोड़ा। यदि रम दिन चन्द्रामों देखा जाय तो देखनेवालोको हैदर (हिं. पु. ) रोग या चोटके कारण अॉखके डेले लोगोमे कुछ गालियां सुन लेनी चाहिए । मिर्फ गालियां परका उभग हुआ माम, टेंटर। हो सुननेके लिये उस दिन लोगोंके घरमें देला के का ढढवा (हि० पु.) एक प्रकारका बन्दर जिमका में जाता है। काला होता है, लङ्ग । ढकलो ( हो ) ढेकली देखो ढेता (हिं० पु. ) डेढ देखो। हूँचा (हि. पु०) एक प्रकारका पेड़ जो चकवड़की दो (हि. स्त्री० ) १ कपामका डोडा। २ पोस्त की तरह होता है। इसको छालसे रमियां बनाई जाती है, डोडा।३ एक प्रकारका गहना जो कानमें पहना जाता जयन्ती । है, तरको। या (हि.स्त्री०) १ढाई सेरका एक बटखरा । २ ठाई ढेपम्बिी ! १ टहनीसे लगा हुआ फल या पत्ते के गुनेका पहाड़।३ शनचरके एक गथि पर स्थिर रहनेका कोरका भाग।२कुचाग्र, बोडी। ढाई वर्ष का काल। ढपी ( हि स्त्री० ) देंढ देखो। दोकना (हिं कि०) पोना, पो जाना। ढकरो-प्राचीन डाकाण व तन्त्रमें उल्लिखित एक स्थान। ढोका (•ि पु० ) १ पत्थर या पोर किसी कड़ो वसका यह पहले कोचविहारके पूर्वाशमें था, किन्तु वर्तमानमें 'बड़ा पनगढ़ ८,कड़ा। २ कोलाका बास । यह कोव्हमें या ग्वालपाड़ा और कामरूपका पंश समझा जाता है। जाटके सिरेसे ले कर कोलह तक बँधा रहता है। मुगल बादशाहोंके ममयमें तथा इष्ट इण्डिया कम्पनीके दो डोली या चार सौ पान। . . अधिकार के प्रारम्भमे यह मरकार देकगे' कहलाता था। डीग (हि.पु.) पाखड पाइबर, कोसला । ग्वालपाड़ा जिले के अधीन गौरोपुर-रामको जमींदारो गधतूर (हि. पु० ) धूर्त विद्या, पुतता, पाखण्ड । अब भी 'टेकरी'के नामसे प्रसित है। ढोंगवाजो (हिं. जो०) पावस, पाडम्बर ।