पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/१६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१५६ 'दागी-पोपुर दोगी (वि०) पाखण्डी, जो झठी पाड़म्बर करता हो। डालनी (हि.सी.) बचोका झंला, पोलमा । वोटा (हि.पु.) ढोंटा देखा। ढोलपुर (धौलपुर ) गजपूतानेके उत्तर पूर्व कोणका एक दोद (हि.पु.) १ कपाम श्रादिका जोड़ा। २ कलो। देशोय राज्य। यह पक्षा. २६ २२ से २६५७ ओर ढोक (हि. स्त्री० ) १२ इंच लम्बाईको एक मछलो, देशा० ७७ १४ से ७८.१७ पूछमें अवस्थित है। यह टेरी। राज्य उत्तर-पूर्व से दक्षिण पश्चिमको पोर ७२ मोल लम्बा ढोका (हि.प.) ढोंका दखी। और लगभग १६ मोल चौड़ा है। इसके उत्तरमें पागग. ढोटा (हि. पु० ) १ पुत्र, बटा । २ बालक, लड़का। दक्षिण में चम्बल नदो और पश्चिममें करौलो तथा भरत. ढोटो ( हि स्त्री) लड़को । पर है। इसका प्रधान शहर ढोलपर है। इस राज्य में ढोढ मिश्र-प्राणवणमिश्रके पुत्र और श्रादविवेक के रचयिता। एक टिश गवर्मेण्ट के प्रतिनिधि कर्म चारो (Political ढोना (हि. कि. ) १ किमी वस्तको एक स्थानमे दुमरे agent ) रहते हैं। भूपरिमाण ११८७ वर्ग मोल है। कान पर पहुँचाना । २ उठा ले जाना। चम्बल नदी इस राज्य के दक्षिण-पश्चिमसे उत्तर-पूर्वमें ढोर (हि. पु. ) चौपाया, मवेशी । १०० मील सक प्रवाहित है। ग्रीष्मकालमें इसको ढोरा ( हि पु० ) ढोर देखो। चौड़ाई ३०० गज ओर वर्षाकालमें १००० गज रहती ढोरी (हिंस्त्रो०) १ ढालने का भाव । २ रट धन लौ। है। चम्बल नदीके समतलका प्राकस्मिक परिवर्तन हो ढोल (म पु०) कानका परंदा । जानेके कारण नदोके जपर हो कर जाने मानेमें डर होल (म.पु.) ढका सदाका लागि ला-क पृषो० लगता है। इस नदीको पार कर ग्वालियर जानेको की साधुः । १ वाद्ययन्वविशेष, एक प्रकारका बाजा, जिमके एक घाट हैं । परन्तु उनमें राजघाट हो सबसे प्रसिद्ध है। दोनों और चमड़ा मढ़ा होता है । रुद्रयामल में इस वाद्य ना इस राज्य के उत्तरमें बाणगङ्गा ( अथवा उतनगाँ) नटो नाम पाया जाता है। यह एक ग्राम्य वहिरिंक यन्त्र है। ढोनपुरमें पावती और मोर्क नामक इसको दो है: ढोलकसे कुछ बड़ा होता है। यह बाजा प्रायः गलेने पाखा नटोभो है। गोम कालमें ये तीनों मटियां कई लटका कर एक तरफ हाथसे और एक तरफ लकड़ोसे जगह सूख जाती हैं। यहांको नदियां माधारणत: देश के बजाया जाता है। (यन्त्रकोष) ममतलको अपेक्षा बहुत निम्न हैं और इनका किनारा २ रागविशेष, एक रागिणीका नाम। यह प्रोड़व, कहीं कहीं बड़े बड़े गडास परिपूर्ण है। बरारी और रेखवसे उत्पन्न होती है। ( मङ्गोतत्व. ) ढोलपुरको चौड़ाई को ओर एक लाल रेतीले पत्थर दोलक ( पु.) ढोल-स्वाथ कन्। ढोलक भाकारका का छोटा पहाड़ है। अधिवासिगण इम पहाड़से पत्थर यन्त्रविशेष, छोटी ढोलकी हिन्दोंमें ढोलक शब्द ले कर घर आदि बनाते हैं। बाहर रखनेसे यह पत्थर स्त्रोनिङ्ग में व्यक्त होता है। माह। कठिन हो जाता है भोर गिरानेस भी नहीं टूटता। ढोलकिया। पि .)वह जो ढोल बजाता है। चम्बलका रेलवे पुल इसी पत्थर का बना हुआ है । नदीके डोल् कोहि स्त्री० ) ढोलक देखो। किनारे अनेक गडोंमें कान्ड़ मिलते हैं। ढोलपुर शहरसे दोलन ( हिं० ए० ) ढोलना देखो २१ मोलके मध्य चुनेक पत्थर देखे जाते हैं। पहाडको डालना ( हि पु० ) १ एक प्रकारका ज तर । यह निकट भूमि अनुवर है। उत्तर और उत्तर-पत्रिम डोलो आकारका होता और तागमें पिरो कर गलेमें भागको बालू और कोचडमिश्रित महीमें फसल पच्छो पहना जाता है । १ दोलक राकारका एक बड़ा बेलन होती है। राजाखेरा परगनेके निकटख काली मटो यह सड़क परके ककड़ पत्थर आदि पोटनके काममें हैमन्तिक शस्यके लिये अनुकूल है। बाजरा, ज्वार, ओ, पाता है। ३ बच्चों का छोटा झूला, पालना । (नि.४ गेह' टोलापुरके प्रधान उत्पन्न शस्थ है। यहां कई और धर उधर हिलाना। ____धान भी होता है। कुएँ और तालाबसे जल लेकर