पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/१७३

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कोने कहा--दिन्द्र तजकको न छोड़े, तो तकनो संगम वास्तलिये गोवंशका नाम तक हो इन्द्रको साय भस्म कोजिये। गया ।खासे १०० वर्ष पहले रस वंशने भारत पर पाना. होताने राजाको पाना पाकर तमसा मामले मण किया था। मगध तकमका पधिकार विस्तृत रूपा कर पम्निमें पाहुति दो। उसी समय समय साथ था। मकवंशीय राजा पीढ़ी तक मगध मिंहासन इन्द्र यज्ञानलकी पोर पालष्ट होने लगे। इन्द्रने भय- पर बैठे थे। इस राजयको एक पाखाके नामानुसार भीत हो कर तचकको छोड़ दिया और अपने स्थानको ही नागपुरका नामकरण मा है। टॉड सारव करत प्रस्थान किया। तक्षस भयविल हो कर क्रमशः प्रज्वकि , शेषनागका पानामय बोपासनाचतीहरके मम नित पावनशिखाके ममीपवर्ती हुपा। इमो समय सामयिक है। कहा जाता कि इस वंशके किमी पास्तोकने महाराज जनमेजयमे 'सर्पयत निवारित हो' किमी यतिने ब्राह्मणधर्म ग्राण किया था, जिनका यह भिक्षा मांग कर रसकी रक्षा कर लो। ( भारत आदि वंश पग्निकुन नामसे प्रसिद्ध है। पर्व ) परीक्षित, जनमेजय, आस्तीक देखो। तक्षकगीय राजा भारतके बहुत प्रदेशोंका शासन हिन्दपों का विश्वास है कि, तक्षक इच्छानुसार मनुष्य दण परिचालन करते थे। गुर्जर में भी कुछ समय तक शरीर.धारण कर सकता था। कनिम जैसे विहानोंका तसवशीयोन स्वाधीनतासे राज्य किया था। कहना है कि तकगण तक्षकको मन्तान है । टॉड माह भागलपुर जिलाके बहुत जगह तक्षक एक ग्राम्य । कहते है कि राजा शालिवाहनने तक्षकवंशमें जन्मग्रहण देवता है। किया था। नागा लोग भो पपनेको तक्षकक वंशधर "मसूर निम्मपत्रश्च योऽस्ति मेषगते पौ। बतलाते है। अतिरोवान्वितस्तस्य तक्षकः कि परिष्यति ।" (लिखित) यूरोपीय पुराविदोका कहना है कि, प्राचीन हिन्दुओं. रविके मेषराशि, गमन करने पर (पर्थात् वैशाख ने भनार्योको तक्षक और नाग नामसे उल्लेख किया माममें ) जो मसूर और निम्बपन भक्षण करतेनक्षम है। संसान भाषामें तक्षक शब्द सिर्फ एक व्यक्ति के लिये अत्यन्त कह हो कर भी उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता। हो प्रयुक्त नहीं हुआ है ; खाण्डवदाहके समय अर्जुनने "शक्षकः किं करिथति"में तक्षक पद लक्षणा, अर्थात् एक तचकको दग्ध किया था। तक्षक और नागवंशीय वंशाव माममें मसूर पौर निम्बपनका भक्षण सर्प-विषका लोग वृक्ष और सर्योपासक थे। पक जाति के विभिन्न वंश नाशक है। तक्षक और नाग नामम परिचित होते थे। विश्वकर्मा । (शब्दर) ३ हुममेद । (हेम०) ४ शहर ___कनिहमका कहना है कि, सर्योपामक तक और जातिविशेष, बढ़ई। सूचकके पोरस पौर विप्रकन्याक हिन्दुओं हारा वर्णित तक्षक जाति दोनोंका एक हो गर्भसे इनको उत्पत्ति हुई है। सूत्रधर देखो। ५ स्वनाम- वश था पौर पञ्जाबमें उनका वाम था। पजाबवासो प्रसिद्ध प्रसेनजितके पुत्र । (भाग. ९२२५८) नागवायु । नक अथवा तक्षकों के साथ दिलोक पाण्डवों का एक महा. (वि.) ७ छेदक । युद्ध हुपा था। उस युद्ध में परोक्षित्की मृत्यु हुई थो : तक्षकोय (सं० वि०) तक्षा पलवल नडादित्वात् छ. और सशकोंने जय प्राप्त की थी। इसको हो महाभारतमें ! कुकच । तत्रविषिष्ट, जिसमें माप हो। तक्षक दंशनसे परीक्षितको मृत्यु रूपमें वर्णन किया तक्षण (स'• को.) तच तन करणे भाव पद १ सयकरण, गया है। लकड़ीको साफ करनेका काम, रंदा करनेका काम । टॉड साहबके मतसे तक्षवाय तुरको जातिको एक "प्रोक्षणं संहतानाश्च दारवाणाश्च तक्षणं ।। (मनु ५१११५) शाखा घो। ये पहले उत्तर-पश्चिम में वाम करते २ बड़ा । १ लकड़ी पत्थर प्रादि गढ़ कर मूर्तियां थे। महाभारतीय युद्धके बादने ये लोग नामयः भारतके बनाना । नामा खान अधिकार करने लगे। इनका नातीय निद तपणे (मो .) तऽनया तय करणे स्वर Vol. Ix. 43