पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/१७९

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बमाड़ा-परवा १७५ को जनज वा तागा पहना दिया । यही सन्तान कालासा- रुपया प्रचलित हुआ है। प्रभो रुपया जिस पर्व में व्यव. में तगा ब्राह्मण कहाने लगी।" कमिशहम साहब लिखत होता है. एक समय तका शब्द भो उसो पत्र में हैं, कि गौड़ ब्राह्मण पोर गौड़तागा ब्राह्मण दोनोका प्रचलिन था । पादि स्थान उत्तर कोयल (गौडा जिला ) है, न कि वर्षमान प्रभृति राजारकारमें अवसरमा कर्मचारो, बंगाल प्रान्तस्य गौड़देश। सैनिक, अध्यापक सभापण्डित ब्राह्मणपण्डितको जो इन सब प्रमाणोंको देखते हुए यही स्थिर किया जा वृत्ति दो जाता है, उसे भो त कहते है। सकता है, कि ये गोड़ ब्राह्मण पवश्य है. पर अपने प्राचार तगाणं (म. पु.) १ भोटदेशीय अख, भोट देशका घोड़ा। व्यवहारमें कुछ गिरे हुए हैं। थोड़ा देखो। सगाड़ा (हि. पु०) लोहेका किला बरतन। दमे २ ममात प्रधान पुराणवणित एक प्राचीन जमपद । मजदूर मसाला या चूना रख कर जोड़ाई कानवालांके या वत्त मान अफगानिम्तानी निकट अवस्थित है। समीप ले जाता है। आर्यावर्त देखो। तगादा (हि.पु. ) ताजा देखो। तचाना (हिं.क्रि.) तष करना, जलाना, सपाना।। तगाना (10 क्रि०) तागर्नका काम किमान रेम कराना। तच्छोल (स त्रि.) तत् शोन' यस्य, बहुव्री० । सत. तगार (हि.स्त्रो०) १ वह गड़ा जिममें उज्वलो गादी स्वभावविशिष्ट. जो फलकी अपेक्षा न करके स्वभावके अनु सार काम करना है। जाती है । २ चूना, गारा इत्यादि ढोने का लोहका निछन्ना बरतन। ३ हलवाइयोंका मिगई बनानका महोका - तन (हि० पु०) कोचोन, मलवार, पूर्व बंगाल, खामिया- को पहाड़ियों और ब्रह्मदेशर्म होनेवाला एक प्रकारका बरतन। तगारो (Eि स्त्री० ) तगार देखो। मदाबहार पेड़। यह तमाल और दारचोनीको जातिका मगियाना (हिं.क्रि.)तागना देखो। मझोले आकारका होता है। यह मिर्फ भारतवर्ष में हो तगीर (हिं पु० ) परिवत्तन, बदलो । नहीं होता बरं चोन, समात्रा और जावा आदि स्थानाम तगीरी (हि. स्त्री. ) तगीर देखो। भी होता है। वर्षा के बाद जहाँ कड़ी धप पड़ती है वहाँ तधार (हिं. स्त्रो.) तगार देखो। यह पेड़ बहुत जल्द बढ़ता है। कोई कोई इसे और ततारी ( हि स्त्री० ) तगार । दारचोनोक पड़को एक ही मानता है, पर यथार्थ में यह सङ्ग ( म.पु.) तक-पच । १ पाषाणभेदनास्त्र, पत्थर उममे भिन्न है। इमो वृक्षका पत्ता तेजपत्ता और सज काटनेको टॉकी। २ दुःख हारा जीवमधारण । ३ प्रिय ( लकड़ो ) इसको हाल है। इममें सफेद सुगन्धित फूल लगते हैं। इमर्क फल करौंदेसे होते हैं। फलसे जो तेल विरहके लिये सन्ताप, वह दुःख जो किमो प्रियक वियोगर्म हो। ४ भय, डर । ५ परिधयवसन, पहननेका निकलता है उममे पत्र तथा अर्क बनाया जाता है। यह वृक्ष प्रायः दो वर्ष तक जीवित रहता है। विशेष कपड़ा। विवरण त्वच शब्दमें देखो। तङ्कन (सलो. ) तक भावे स्युट । कष्ट हारा जीवन तजकिरा ( अ० पु. ) चर्चा, ज़िक्र । धारण । जगरो (फा० स्त्री०) ग्न्दा तेज करने को लोहेकी पटरी। सान-मुद्राविशेष, एक प्रकारका सिक्का । यह मस्कृत यह दो अंगुल चोड़ो और लगभग डेढ़ बालिप्त लम्बो टा शब्दसे उत्पन्न हुआ है। पहले भारतवर्ष, तुर्किस्तान होती है। प्रभृति देशों में तथा प्रचलित था। अभी भी सुर्किस्तानमें तजना (हिं. क्रि० ) त्यागना, छोड़ना। महा या तङ्गा नामक मुद्रा प्रचलित है । मुसलमान राजा- तजरबा ( प्र० पु.) १ परीक्षा द्वारा प्राल ज्ञान, उपलब्ध पोके समय १४वौं शताब्दी में मोने और चाँदीका तङ्का जाम, अनुभव। २ किसी चोजका ज्ञान प्राप्त करनेको होबावात होता था। सम्पति तन पोर टाके बदले । परीक्षा ।