पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/२०९

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तालुकं । यह पक्षा. १५३५ तथा १६५८७७० पौर नभ्राणनपान । पाद: । पति निवासमात्न खोपा वा देशा०८५ २३ तथा ८१ ५० पू०में प्रवस्थित है। तन न त पति-पद-किर । १ अम्बि, पांग । २ प्रजा- इमका क्षेत्रफल ३७१ वर्ग मील मथा जनसंख्या लगभग पतिक पौत्र । ३ चित्रकल, चौता । (सो०) ४ घृत. धो। २३८७५८ है। इसमें १७४ गांव हैं। यहाँको जमीन ५ मक्खन । । अन्य हश्यक प्रयाजभेद । उपजाज है। गोदावरी नदोके जनसे यहाँको जमोन समनट (सं० पु०) तनोति सन: परमात्मा तस्स नमा पोत, मींचो जाती है। चावल यहाँ प्रधानतया उत्पन्न होता ६-तत । वायु, तन हो परगना है, परमानासे पाकाण है। इसके अतिरिक गया और रोगनदार वीज भी उत्पत्र हुमा है, पाकाशसे वायु, रसोलिए वायु परमामा- (बावर) पैदा होता है। के पौत्र हैं। श्रुति पोर घेदान्तदर्शनके मतसे पहले तमा-पतनु तनु करोति तनु प्रभूततकावे वि परमात्मामे निखिल जगत्का नपादान पाकाथ, उत्पन लोऽनु प्रयोगः। अल्पोकरण, छोटा बनाना। हुआ तथा प्राकाशसे वायु प्रभृति निकली है। तम कत् (म० वि०) तनु-ज-क्लिए । पुत्ररूपशरीरकारी। तन पा ( स० पु. ) तन पानि पाक्षिप.। १ जठराग्नि । सनलत ( म त्रि.) सन ककर्मणि त । १ सष्ट, छोसा इसके द्वारा ग्वाया हुआ अब पच जाता है और इसका हुआ। मारीशसमांसाटिरूपमें शरोरमें परिणत ओकर मन कथ (सं० पु० ) पुत्रके लिये स्तुति । देशको पोषण करता है, मौलिके जठराम्बिका नाम तन ज ( म० पु. ) सन्या: देहात् जायते जन् । पुत्र, सनपा पड़ा है। २ देख्यालकमात्र, वह जो केवल बेटा। शौरका पालन करता है। तन जनि (म० पु. ! तन्याः जनिः, ५-तत्। १ पुत्र, तन पान ( स'• त्रि.) शरोरपायक प्रकारचक, जो शरीर. बेटा । (स्त्री०)२ कन्या, बटो। का रक्षा करता है। सन जम्मन् (स' पु०) तन्वा: जम्म, ५ तत् । पुत्र, बेटा। नन पावन् ( स० नि ) तन् वा जोवमरक्षाकारी, सरोर ( स्त्रो०) २ कन्या, बेटी। या प्राणको रक्षा करनेवाला। तन जा ( स स्त्री० ) तन ज-टाप । कन्या, बेटौ। सन पृष्ठ ( स.. पु०) मोमयागका एक भेद । तन जाग (म० की०) पक्ष, पंख, पर। सोमयाग देखो। सन तल (संपु०) परिमाणभेद, एक व्याम । तन बल (म'क्लो• ) परोरबल, ताकत, जोर । तन त्यज (स• वि. ) शरोरत्यला, शरार छोड़नवाला। सनर (प० पु० ) तंवर देखो। तन दूषि (सं.वि.) शरीरदूषण, शरीरका नाश करने- तन रुह ( स० को. ) तन्वां मिति रह-क। सोम, वाला। रोम, रामा। २ पक्षियोंका पर, पंच। पुब, बेटा, तन देवता (सं० पु. ) अग्निमूर्ति भेद, अग्निको एक लड़का। ४ गरुत् (हेम ) मूर्ति का नाम । तन महागुर ( स० को.) सोम, रोपां। तन देश ( स० पु०) अप्रत्यङ्ग, शरीरका हरएक अंग। तन ज(स० पु०) उत्तममनुके पुत्र एक राजा। सन अव (सं० पु०) तनोमवति उद-भू-अच, ५-तत् (हरिव ७०) १ पुब, बेटा। (स्त्रो०) २ कन्या, बेटो। तम वगिन (म'• पु.) पम्बि, पाग। तनन (सं० लो०) सम्वा जन । वायु, हवा। सम राम (सं• वि.) शरीरभूषक, घरोरकी शोभा सनम ( को०) तन्वा जन लपाति पा-क । एता बढ़ानेवाला। धौ। धी शरीरको मजबूत बनाता है इसलिये इसका सन् विम ( को०) वैदिक सन रूप हविः । वेदमन्च माम तन मप पड़ा है। हाग सस्तात धो इत्यादि हवन करनेकी बस्तु । सानपात् (स• पु०) तन न पातयति पत-वि.faq.. सनद-संवाद देखो। Vol. Ix. 52