पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/२१९

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२१५ माम. कपिल कोसंख्या १०८० योग २८.१२० ५.०५ ५.०० २३५३३ शेखर, ५७ गोविमर्शिनी, ५८ मंत्रमुलावली, ५८ . तत्वकौमुदी, ६० तन्त्रकौमुदी, ६१ मन्नतन्त्रप्रकाश, ६२ | रामा नचन्द्रिका, ६३ शारदातिलक, ६४ जनार्णक, ६५ | सारसमुच्चय, ६६ कल्पद्म. ६७ ज्ञानमाला. ६८ पुरस- रणचन्द्रिका ६८ पागमोत्तर, ७० तत्त्वमागर, ७१ सार- संग्रह, ७२ देवप्रकाशिनी, ७३ तन्वाण व ७४ क्रमदी. पिका, ७५ तारारहस्य, ७६ श्यामारहस्य,७७ तम्बरन, ७८ तन्त्रप्रदीप, ८ तागविलाम, ८० विश्वमाटका, ८१ प्रपञ्च मार, ८२ सन्त्रसार और रखावली । इनके अलावा महा. मिहिसारस्वतमें सिहोखर, निस्यतम्ब, देव्यागम. निवन्ध सम्ब, राधातंत्र कामाख्यातन्त्र, महाकालतन्त्र, यन्त्रचिन्ता मणि, कालीविलास और महाचीनतम्बका उल्लेख है। उपरोक्त तन्त्रोंको छोड़ कर और भो कुछ तंत्र तान्त्रिक ग्रन्य प्रचलित हैं। यथा-प्राचारसारप्रकरण, प्राचारमार- तन्त्र, श्रागमचन्द्रिका, पागममार, अबदाकल्प, ब्रह्मज्ञान- महातन्त्र, ब्रह्मज्ञानतन्त्र, ब्रह्माण्डतन्त्र, चिन्तामणितन्त्र दक्षिणाकल्प, गोरोकञ्च निकासन, गायत्रोतव, ब्राह्मणो लाम, ग्रहयामलतन, ईशान हिता, जपरहस्य साना मन्द सरङ्गिणी, ज्ञानतंत्र, कैवल्यतत्र, ज्ञानमलिनो नत्र, कौलिका,नदीपिका, क्रमचन्द्रिका, कमारोकव चोलास, लिङ्गाच नतत्र, निर्वाणतव, महानिर्वाणतत्र वृहनिर्वाणतंत्र, वरदातंत्र, माटकाभेदतंत्र, निगमकल्पष्टुप. निगमतत्वमार, निरुत्तरतत्र, पिच्छिलातत्र. पीठनिगाय, पुरश्चरणविवेक, पुरचरणरसोलास. शकिसङ्गमरव, मर- खतोतंत्र, शिवसंगिता, श्रोतत्त्वबोधिनी, स्वरोदय, श्यामा- | कल्पलता, श्यामाच नचन्द्रिका, श्यामाप्रदीप, तारा- प्रदोप, शातानन्दतरङ्गिणी, तत्वानन्दतरङ्गियो, त्रिपुरा- मारसमुच्चय, वर्ण भैरव, वर्णोद्धारतत्र, बोजचिन्तामणि, मणितंत्र, योगिनोहदयदीपिका, यामल इत्यादि। वाराहीतन्त्रमें तन्त्रों के नाम और उनको श्लोक संख्या इस प्रकार लिखी है.- तंत्रका नाम । श्लोकसंख्या मुलाक धारदा १६०२५ प्रपत्र (१म) १२३०० प्रपक्ष ( श्य) ८०२७०

प्रपा (श्य)

५११. ११५०३ ८८.५ ७१०५ २००६ २५३०० २२... २४.२० ६४६५ १०३२२ १२००० कपिल अमृतसहि वीरागम सिद्धसम्बरण योगडामर शिवडामर दुर्गाडामर सारखत ब्रह्माडामर गान्धर्व डामर अादियामल ब्रह्मायामल विष्णुयामल रुद्रयामल गणेशयामल आदित्ययामन नीलपनाका शमकेश्वर मृत्य अयतन्व योगाणव मायानन्द दक्षिणामूर्ति कालिका कामखरोतन्त्र सम्बराज हरगौरीतन्य (१म ) हरगौरोतन्त्र ( २य) तन्वनिर्णय कुनिकातन्त्र (१म) कुनिकातच (२य) कुनिकातन्त्र (श्य) कात्यायनो तब २५ १२२२० ८३०७ ११०००. ५५५. ११.१ ८०८० २२०२० १२००० २८ २४२०.