पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/२९२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२६ उमाज तमाकूका इतिहास । -१४१२ ३० यूरोगियों में समान | और पारागोत्रा इन तीन देशों में तमाका किसी प्रकार प्रथम प्रचलित पर थी। कोलम्बम ने दनादनम हित भो यवहार न होता था। उत्तरपमेरिकाके पानामा पत्रिम भारतीय होपपज में पहच कर इस चीन पर लच्च योजकमे कनाड़ा, कालिफनिया, पश्चिम भारतीय होप- दिया था। उन्होंने किम होप में इसे पहने देखा था. इम- पुञ्ज आदि समस्त स्थानों में धूम्रपान का अधिकतामे प्रचार में भी बहुत गदबद है। कोई ने यह करते हैं उमका था। इसका भी प्रमाण मिलता है कि अति प्राचीन पोधा क्य वाम उन्होंने स्वयं देग था गोर कई कालमे हा यह धूम्रपानको प्रथा उन देशों में प्रचलित करते हैं, उन्हान जिन लोगों को नमेरिका मेना था. थो। उक्त 'टोबाको' नामको नलिया पर पति सूक्ष्म, उन्होंने गयानाहनो होपो ( मनमैन्नभेवर : ग्थिर हो' सुदृश्य और मनोहर शिल्पकार्य है, यह भी थोडे कर डम वस्तुको देखा था। उन लोगोंने उपदेश दिनांका उद्भावित नहीं है। मेक्सिको देशको प्रजतेक आदमो को एक पत्तों के गुच्छ को जन्ना कर उसका धयाँ जानिको कबो तथा अमेरिकाकं युक्ताराज्यको स्त प. पोत देखा था। उम देश के लोग इस पौधको “कोहिवा" गणियमिसे उक्त प्रकार के शिल्पकार्य विशिष्ट नल आविष्कृत ओर जन्नते हुए गले को 'टोबाको' कहते थे। कोन्नम्व- हुए हैं। इन पर कुछ मे जीवाको भो आकति है, जो एको हितोय यावामें (१४.98-98 में । म्येनदेशक उत्तर अमेरिकामं नहीं पाये जाते । मन्यानो रामैनो भी माथ थे. उनका कहना है, कि मनः अमेरिकाकै नाना स्थानों में दम भित्र भित्र नाम डोमिङ्गो होपके लोग “गडयोजा" वा "कोहवा" प्रचलित हैं । मेक्सिको देशम इमत्र नाम पितम ( Pet- नामक एक प्रकार के व्रत के पत्तोको लपेट कर 'टोबाको' ) वा पिटन् ! Petun ) है। इम शब्दसे हो एक नामकी नन्नो द्वारा धूम्रपान करते थे। उनके विवरणमे थेणीको तमाकूको नाम 'पिटुनिया' ( Potunia ) हुआ उक्त देशमैं नस्य ग्रहण का विषय भो मालूम पड़ता है। है। 'येटल' ( yotl ) नाम भी मेक्सिकोक किसो १५३५ ई०को मन-डामिङ्गोके शासनकर्ता हाग निम्वित किमो भागमें सुनाई, देता है। पहमें इमको 'स्यरी' गन्नालो फार्मागर्ड ज डि प्राभिडो अपनी पुस्तकम डम (Sar ) कहते हैं । 'टोबाको' नामक धम्रपानकी ननोको "मी वर्णना कर यूरोपमं मबसे पहले १५६० ई० में तमाकू पहुंची गये हैं। यह देवन में ठोक अंग्रेजो अक्षर V जैमो होतो थो। हितोय फिलिप के ममयमें फ्रादिस्को फार्नाण्डेज, थी। इसमें तमाक भग्नो नहीं पड़तो थी। आग पर मेक्सिकोके अन्यान्य स्थान प्राविष्कार करने गये थे, वे पत्तं को देते थे, उममे धत्रा निकलता रहता था, उम हो तमाकूके पत्त यूरोपको लेते गये थे। स्पं नमें कई धके ऊपर उम नली के नोचेका भाग पकड़े रहते थे वष तक धूम्रगन प्रचलित होने पर भो तमाकूका विशेष और ऊपर के दोनो मुंह दोनों नामार-धों में लगा कर उसमे अादर नहीं हुआ । अन्तमें पोतु गालसे हो इसका विशेष धुआ म्खोंचा करते थे । उक्त ग्रन्थभे यह भी पता चन्नता प्रचार हा । जियोनिको ( Genn nicot ) नाम के एक है, कि मनडोमिङ्गोके लोग भेष गुण के कारण इसका बड़ा फरामोमो दूत इस ममय पोतु गोजके दरबार में रहते थे । आदर करते थे। १५०२ ई में म्येन लोगाने दक्षिण उन्होंने एक ओलन्दाजसे तमाकू के बोज ले कर लिसवन अमेरिकाके उपकूलवामियो तनाक चबानको प्रथा नगरमें अपने उद्यानमें बो दिये। तमाकू के भेषज-गुणसे सबसे पहले देखो श्री। पदले परन अमेरिका में जितने अपने प्रादमियां के अनेक रोग नष्ट होते देख वे पाश्चर्या- भी पर्यटक गये थे, उन मबके विवरणोम एमा लिखा चित और प्रलोभित हुए। १५६१३ में उन्होंने इसे है, कि अमेरिक में दमका तीन तरहसे यवदार होता फ्रान्स के राजा क पाम भेजा। फ्रान्सको गनीने रसके गुण था, किन्तु टाइममानका क ना है, कि दक्षिण अमेरि- सुन कर इनका विशेष प्रादर किया जिससे इसको कवित कार्क लोग धूम्रपान करते तीन थे. मिफ सुचना (नस्य बहुत जल्द उबतिलाम का। उस समय इसका नाना सूंधते और तमाकू चबात थे तथा लामाटर, इगोमा प्रकार पवित्र नाम दिये गये थे, जैसे-"हावामा साटा"