पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/२९४

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२९. तमा मन पौर स्वाधा नामा प्रकार के दोषोंसे दूषित हो रहा वगै अष्णा, कोयम्बातुर, विहन, ( बगानम ) रापुर, है, इसलिए कोई भी इमे न पोधे ।" ईरान देशमें जहा. (बम्बईम- ) खेड़ा पोर अहमदाबाद में तमाकू की खेती गोरके भाई शाह अब्बामने भी रमो समय तमाकू बंद अधिकतासे होती है। प्रसिद्ध "लहातमाकू" गोदावरी मरने का प्रादेग दिया था। जहाँगोरन तमाकू पौनेवानां और कणा जिले में तथा विचिनापल्लो-चुरटको तमाकू के लिए "तगोर ' ( उलटे गधे पर मशार होनका) कोयम्बातुर पोर मदुग जिलेमें उत्पन्न होती है। दगड जाग किया था। युक्तप्रदेश-यहाँ प्राय: १२३८८४ बीघा जमीन पर मिग्व. प्रोवो ओर कई एक के हिन्दू, अपनी तमाकू उत्पन्न होती है । फरकाबाद और बुलन्दशहरमें धर्महानिकर होनेवो कारण तम्बाक नहीं पोते। मुमल- - ही तमाकू ज्यादा होता है । रम प्रदेगमें कहीं दो और मान लोग पहले इममे बहत वृणा करते थे, किन्तु दिन करें तोम बार तमाको फसल होती है। दिन वह लोप होतो गई । वर्तमान समयमें भारत के प्रायः। पहलो फमन । थावणमे खेतो शुरू होने के कारण । ममी स्थानों में तमाकको खेतो एक मुख्य चोज हो गई । "श्रावणो" नाम से प्रभिड है। दूसरो फमल (जेठ अषाढ़में है । विहार में तमाकको प्रियता इतनी बढ़ गई है, क फमल काटी जाती है, इमलिए । "प्रमाढ़ो" नाममे उम पर कहावतेभो बन गई हैं-- । मशहर है। "श्रावणो" फमन कट जाने के बाद उमको "जो खाय न खातमाकू पीये। । जड़ जो खेतों में रह जातो है, उमसे दूसरो मान वैशाख में सो ना बेटवा कैसे जीये ॥" और एक कमल मिन्नती है. जिसे 'रतून' फसन कहत भारतवर्ष को ताक अमेरिका वा बिनायतो तमा-, हैं। 'रतन' कमल अच्छो नहीं होती। इलाहाबाद के कको तरह व्यवमायमे उतनो आदरणीय नहीं है। हो, पश्चिमाञ्चलमें फमन जड़के पाममे काटो आतो है और १८२८ ई० में गवर्म गट को तरफसे इमर लिए कोशिश की उमके पूर्वाञ्चम्न में एक एक पत्ते तोड़ लिये जाते हैं। हम गई थी। कमान बामिल हॉनन डम विषयमें कलक: देशमें विहारको पूसा कोठोमे पहले भो गाजीपुर में तमा. सेको एग्रिहाटि कल चरैन मोसाइटीमें जमा उपदेश । कूको एक कोठो वनो थी। वहाँ जितनो तमाकू हुई दिया था, उनके अनुमार उन लोगनि मेरिन्न गड और श्रो. वह ग्लगड़ और अष्ट्रेलियामें नमूनको तौर पर भार्जिनिया तमाकूके बोजसे खेतो कर के जो तमाकू पैदा भेजी गई थी। उम समय यह ॥, मेरक हिसाबमे को थो, वह विमायतमें बर्ड आदर माथ ग्टहीत हुई। बिकी थी। विलायतो बणि कोका कहना है, कि भारतीय तमाम दमसे साबित होता है, कि हिन्दुस्तानो तमाकूको इतनो उमदा तमाकू उन्होंने और कभी भी नहीं देखो। खेतो यत्नपूर्वक को जान पर. वह अमेरिकाको समाकूम यनमाकू विनायतमें १ पोण्ड ६ गिनि ८ पेन्मक किमो में होन नहीं समझो जा मकती। हिमारमे बिकी थो ; किन्तु इम बाद अहमदाबादमे एक अयोध्या---यहाँ प्रायः ४०१२२ बीघा जमीनमे बार तमाक् विनायतको भेजी गई थो. उमका इतना समाकूको खेती होती है। सोतापुर और खेरी जिले में पादर नहीं हुआ। उमके पते ज्यादा सूखे और छोटे तमाकूको खेतो कुछ अधिकतासे होती है। थे। हिन्दुस्तान के तमाकूम धन-रेत ज्यादा होता है, पभाव -- यहाँ १८५६८८ बोधामें तमाकूकी कषि इसलिए विदेशाम व्यवमायके लिए भारतको तमाकू होता है। जालन्धर, सियालकोट और लाहोर जिले में बणिकोंमे आदर नहीं पातो । इसकी फसल ज्यादा है। इस प्रान्तमें विशिषत: लाहोर - समाकूकी सेनी-१८८८-८८ ई. में स्थिर हा कि जिलेमें, निकोटियाना राष्टिका वा कान्दाहारो वा कार देशीय राज्योंको छोड़ कर ब्रटिश अधिकारमें प्रायः लाग्व समाकू ही ज्यादा होती है। लाहोरी कमर पोर बीघा जमीनमें समाकूको खेती और उसमे करोड़ मन के शिकारपुरी कार ज्यादा प्रमिड है। इसको पत्तियाँ करीब तमा उत्पन्न होती है। भारतम मन्द्राज, गोदा! छोटी चौर गोल होती है। इसी सिवा यहाँ पर भी