पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३०२

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२९८ तमोऽन्त्यसम्पौर तमोऽन्त्य ( . ली.) ग्रहणभेद, टग तरहसे ग्रहण हो नाशक । २ अन्धकारनाशक, जिमसे अंधेरा दूर हो । मकता है, उनमें मे तमोऽस्थ एक है। (पु०) ३ सूर्य । ४ चन्द्रमा। तमोऽपर (म० ए०) नमोऽधकार अपहन्ति अप-हन-ड। नमोहरि ( स० पु०) तमसो हरिः, ६-तत्। १ सूर्य । अपे क्लेशतममोः । पा ३।२।५० । १ मूर्य । २ नन्द। २ चन्द्रमा । ३ पग्नि । ४ ज्ञान । ३ अग्नि । ४ ज्ञान । (त्रि०) ५ तमोनागक, जिसमे अंधेग तम्मा ( म सो०) तम्बति गच्छति तव-प्रच पृषो. दूर हो। मोहनाशक । माधुः। मोरभे यो गाभो, अच्छो गाय । तमोभिद (म० ए०) तमस्तिमिर भिननि नाशयति भिदः तम्बा (म० स्त्रो०) सम्वति तम्ब-अच्-टाप । गाभी, गाय । लिप १ खद्योत, जगन । (त्रि.) २ तमोभटक, सम्बिका (मत्रो०) तम्ब गवनटाप कापि अत त्व। जिममे अँधेरा दूर हो। गाभी, गाय । तमोभिद (म.पु.) तमोमिद् देखे।। तम्बोर (म पु०) तम्ब-ईन् ! योगभेद, ज्योतिष का एक नमोभूत (म त्रि.) १ अन्धकारक्षत, अँधेरा किया हा। योग । योग देखो । २ अस, अज्ञानो, जड़, मूख, नादान। तम्बौर--१ अयोध्याके सीतापुर जिलेको बिमवन तहसील का तमोमणि (म० पु०) तममि अन्धकार मणिरिव। परगना । मकै उत्तरमै खेरो जिन्ना, पूर्व, दक्षिण तथा '१ ग्वद्योत, जुगन् । २ गोमेदक मणि । पश्चिममें कुन्द्रि, बिमवन भोर लाहरपुर परगना है । भूपरि. तमोमय ( स० वि० ) तम आत्मकं तमः प्रचुर वा तमम् । माग १८० वर्ग मील है। इस परगर्नमें बहतसो नदियों मयट । १ अन्धकारात्मक, अँधेरासे घिरा हा बहती है। उत्तरमें दहावर नदो तथा पश्चिममें घर्घर', २ अजानावत, प्रजानो, मूर्ख । ३ तमोगुण युक्त । (१०) चौका और कई एक छोटो छोटो नदियों, मध्यदेशको ४ गह । विच्छिन्न करतो हैं। पम परगने में मब जगह एक प्रकारका तमोरि (म.पु. ) सूर्य । गोली महो पाई जातो है। इस कारण खेत में जल्ल मौं चर्न तमोनिन (हिंस्त्री० ) बोलिन । का प्रयोजन नहीं पड़ता है। वर्षाकालमें परगनेक तमोलिनो ( म० स्त्रो० ) तममा लिप्यते निप-क्त निगम प्रायः सभी ग्राम जम्ननावित हो जाते हैं। चौका पार नात् डोप। जनपदविशेष, एक मुल्कका नाम । इसके दहावर नदो प्रकार प्रवाहपथ बदला करतो हैं। ये पर्याय-तामलिन, बेलाकुम्ल, तमालिका, दामलिन, तमा- दोनों नदियों जिस ग्राम हो कर बहती हैं, प्रति वर्ष उम "लिनी, स्वम्वपू और विष्णुग्रह है। तमलुक देखो। ग्रामको बहुत क्षति होती है। नमानो (हि.पु. ) बोली देखो। ____ तम्बौर परगनेके कुर्मी और मुराव रहस्य षिकाय में तमोविकार ( सं पु० ) समसैव विकारो यत्र, बहुवो। बड़े सुदक्ष और अभिज्ञ है। १ रोग । सममो विकार, ६-सत् । २ तमोगुगाका विकार, इस परगमेमे १६६ ग्राम लगते है। इसमें ८० तालुक निद्रा और आलस्य पादि। तमम देखो। ३ तमिस्रा, हैं, जिनमेसे ४३ गोड़ राजपूतों के अधिकारमुक्त है। ८६ रात्रि, रात । ग्राम जमोन्दारी है, इनमें भी ४०के अधिकारी गौड़ तमोबध (म० वि० ) तमसि वा तममा वढते वृध्-किप । राजपूत है। १अँधेरी गनमें घूमनेवाला राक्षस । २ प्रज्ञान वृक्ष, भारो तम्बौर परगने में सोरा तैयार होता है। एक सड़क नादान । इम परगमे हो कर सीतापुरसे मनापुर तक चलो गई है। तमोवप (मपु०) वमोक ! . २ उता सीतापुर जिलेको बिसवम तहसीलका एक तमोहन (संवि० ) तमोहन्ति हन-विप । १ बचान- सार। यह मनापुरसे । मोल पश्चिम तथा मौतापुर नाशक । २ पन्धकारनाशक, सूर्य, चन्द्र प्रभृति। भारसे ३५ मील उत्तर-पूर्व में प्रवखित है । ७० वर्ष मे तमोहर (सं. वि. ) तमो हरति ।। पचान अधिक समय हुए, ताम्ब सोने यह नगर खापन किया