पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३०५

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तट ( स्त्री० ) तलछट देखो। बन्दोबस्त है। हिन्दूममम्ममान, सिग्नु प्रभृति धर्माव- सरछा (हि.पु. ) वा खान जहाँ तेली गोबर जमा लम्बो मनुष्य यहाँ वास करते है। करता है। __गुरु रामदासजोके व गुरु अर्जुनजोने यह नगर स्थापित सरज (हि.पू.) तर्ज देखो। किया है। रस, भिवा वे नगरके मध्य एक सुन्दर तालाब सरजना ( हिंक्रि०) १ ताड़न करना, डाँटना, डपटना। और उसी बग नगे एक पिख धर्म मन्दिर निर्माण कर २ उचित पगचित कहना, बिगडमा। गये है। प्रवाद है कि जो कुष्ठरोगो सेर कर यह तालाब सरजनी (Eि. स्त्री० ) १ तर्जनो. अंगुठेके पासको पार हो सर, वह उसी समय पारोग्य हो जाता है । सो उँगली । २ भय, डर। कारण शहरका नाम सरणात गा रखा गया है। तालाब. सरजमा ( १० पु. ) भाषान्तर, अनुवाद, उल्था । के पाखंस्थित मन्दिरके प्रति महाराज रणजिसिंहको तरट ( म०पु०) चक्रमर्द वक्ष, चकवड़। अगाध भक्ति थो । उन्होंने बहुत रुपये खर्च करके मन्दिर- तरण ( सं० पु. ) तोर्यते अनेन तु करण ल्युट । १ प्लब, को अनन्त तथा इसका उपरो भाग तबिसे मढ़वा पानी पर तैरमिवाला ताता, बेड़ा। २ स्वर्ग । लो०) दिय था । उक्त रोवर के दोनों किनारे नवनिहालसिंह- भावे ल्य,ट । ३ प्रवनपूर्वक देशान्तर गमन, बेड़ा पर के बनाये हुए ऊँचे स्तम्भ विद्यमान है। यह शहर चढ़ कर दूसरा देश जाना । ४ पारगमन, नदो आदिको भाको राजधानी कह कर प्रसिद्ध है। तथा बारि पार करनेका काम । ५ निस्तार, उदार । ६ सन्तरण। दुआबका मध्यस्थल भी है। इस स्थानको इतिहासमें तरणतारण -१ पञ्जाबके अमृतमर जिलेके दक्षिण- मिखाका दुर्ग बतलाया है। अब भो यहाँसे टिश गव- भागमें अवस्थित एक तहमोल। यह पक्षा. ३११० तथा मण्ट बहुत न्यि म करती है। ३१.४० पौर देशा० ७४३३ तथा ७५१७ पू०में अव! अमृतसर साथ इस शहरका बाणिज्यसम्बन्ध है। स्थित है। इस तहसौलम सब जगह बड़े बड़े मैदान यहां लोहके अच्छे अच्छे बरतन तैयार होते है। हैं और इसके अधिकांश स्थल में ही खेती होती है। क्षेत्र यहाँसे थोड़ी ही दूर पर बारि-दुपाबको सोब्राउन फल ५८७ वर्ग मील है । इममें शहर और ग्राम मिला कर शाग्या है । इम शाखासे एक नाला हो कर तरणतारणके कुल ३४० लगते हैं । यहाँ हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई सरोवरमें जल गिरता है। यह नाला झौंदके राजासे इत्यादि विभिन्न धर्मावलम्बियोका वास है । मुसलमानी बनाया गया है। शहरमें विचारालय, पुलिस, थाना, को मख्या सबसे अधिक है। लोकमख्या प्रायः सराय, चिकित्सालय, डाकघर और विद्यालय है। प्रमत. ३२५५७६है। सर और लाहोरविभागके दरिद्र कुष्ठ रोगियोंके लिये जो इस तहसोलमें गेह, जी, ज्वार, उर्द, धान, जुन्हरी कुष्ठाश्रम प्रतिष्ठित हुआ है, वह शहर के बाहरमे पड़ता देख, रुई तथा तरह तरहको माक ममो उत्पन होती है। शहरक माप भो बहुतसे कुष्ठरोगियों का वास है। है। यहाँको वार्षिक आय प्रायः २८३८७०, रुकी है। यहाँके अधिवाःसोका कहना है, कि गुरु पर्जुनजो इस तहसोलमें एक फौजदारी और दी दीवानी अदालत इन लोगोंके आदिपुरुष हैं। । एक तहसीलदार और एक मुन्सिफ विचारका तरणि (स'• पु०) तोय त्यनन त पनि । अत मु- धमीति । करते हैं। यहाँ ४ थान है, जिनमें बहुतमे कान्सटेन और उण २२०३ । १ सूर्य । २ भेलक, बड़ा । ३ पक्ष, मदार- चौकोटार रहते हैं। का पेड़। ४ किरण रोशनो । ५ ताम्म, ताँबा। (स्त्रो०) २ तहसीलका प्रधान शहर। यह पचा० ३१ नौका, नाव। . घृतकुमारो, घोकुवार, ग्वारपाठा। २७ उ०और देशा० ७४५६' पू० पर पमतसर शहरमे ८ कण्ट्रकसेवतः वि.८ तारक, उद्धार करनेवाला । १२ मील दक्षिण में शत? पौर विपासा नदोके सङ्गम- १० शोधगम्ता, लिदा जानाला । ११ जो शत्र को बस पर प्रवखित है। इस मारम बुनिसपालिटीका उत्तोण कर वर्तमान हो। Val. Ix76