पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३१३

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राई दिनके समयमे भी बाघ पालित पशुयों पर पाक्रमण दिशायों में चली गई। सब नदियाँ अन्सको रामगङ्गाम करनमें डरते नहीं । स्थानीय बाघ इतने भयानक होते हैं गिरी है। कि मवेशी चरानेवालेको इन्हें बाधा देने का माहम नहीं हाथो. चाध, भान. चिताबाघ, सूपर, तरह तरह के होता । रस प्रदेशमें बहुतमी झोल और दनदन हैं, जो हरिण इत्यादि जङ्गप्नो जन्तु इप्त जिले में बहुत देखे तर सरनको धामोंमे पाच्छादित हैं। जिम दलदल में जाते हैं घाम इत्यादि बहुत तथा धनी रहती है, उम स्थानमें गैंडा बहुत प्राचीन कालसे तराई जिला नेपालराज्य के पाया जाता है। पार्वत्यप्रदेश के अधीन था। रोहिलामोंने कई बार अधः २ युक्त प्रदेशके नैनीताल जिले के अन्तगत टिश गव- वासियों को अत्य त कष्ट दिया था। मम्राट अकबर के मण्टके अधीन एक जिन्ना। यह अक्षा० २८ ४५ ओर राजत्व कालमें इस प्रदेशको प्राय ८ लाख रुपयेको थो २८.२६ ३० तथा देगा० ७८.५ ओर ८०५ पू में अवः ओर य: ८४ कोम तक विटन ममझा जाता था। स्थित है। भूपरिमाग ७७६ वर्ग मीन और लोक- इमोसे तराईको उम ममय नोलखिया और चोरासो मख्या प्राय: ११८४२२ है। इममें कुन ४०४ ग्राम नगर्त मौन कहते थे । १७४४ ई में इम कर ४ लाव तथा हैं । इमक उत्तरंमं कुमायूँ जिन्ना पूर्व में नपान ओर पिन्नि रोहिना ममय” २ लाख रुप में परिणत हुआ था। भित जिन्ना, दक्षिणमें बरेली, मुगदाबाद श्रोर रामपुर जब बरचाहक गार मत गण चोथ वा न करने लगे, गच्य तथा पश्चिममं बिजनोर है। जिले का प्रसार नव यह स्थान डन या भगाडना अश्रयस्थ न हो काशीपुर है, किन्तु ग्रीष्मकालमें जिले के कर्ट पतोय यग गया। अन्त न हम पावन्य राज्यको अवनति होने पर पोय कर्म चारो ने नोतालमें धार रहते हैं। वेशावक काशीपुर गानिक तः मुत्रमा देव कर बिद्रः हो हो अन्तमे कार्तिक मास तक नैनोतान्न सराई के प्रधान गये और अलमें उन्होंने प्रयाच्या नवाब को तराईप्रदेग शहरमें परिणत होता है। ममण किया। १८०२ ई में रोहिलखण्ड अंगाजकि तराई जिला हिमाल्य नोचे चव और पश्चिमको य लगा, तब नन्दराम भतीजा शिवलाल इस राज्य के हजारदार ठेदार ) थे । तराईका प्रामकुन्न, कप भग १२ मोल होगो। कुमायू के जनशून्य वनप्रटेगमें बरत इत्यादि देवन म माल म पड़ता है, कि यह प्रदेश एक मे सोते हैं। इन मोतोका जल भिन्न भिन्न दिशााले मनयममुन्नत था। हटिश गवर्मेण्टक अधोनमें इस प्रदेश- एकत्र हो कर नदोके काम ताई जिने । मब स्थानमि की अधिक उन्नति हुई है। पहले पहल गवर्मे गटने इस प्रवाहित होता है। हम जिले के नग व कोणा में प्रति प्रदेशको प्रति विशेष ध्यान न दिया था। १८५१ ई.से मौलमें १२ फुट ढाल है। उक्त नदियांका किनारा असशन तगई प्रोश' बांध पोर जन्न मांचने का अच्छा प्रबन्ध है तथा नदोगर्भस्थ स्तर भी कोचड़मय है। तृण कर दिया गया है । १८६१ ई० में तराई जिलेको मुष्टि मय प्रान्त अपर हो कर ये नदियाँ बहन हैं। हु ह तय १८३० ई. में कुमार्य विभागके पन्तत हो निम्नस्थ पहाड़प्रदेशम जो नदियाँ निकलो हैं, उनमसे जानमे इमन आश्चर्य उत्कर्ष लाभ किया है। सनिह नदी शारदा नदोके साथ मिलता है। इस जिले थारू और भूना लोग पस प्रदेशमें सवंदा वाम करते को देवहा नदी हो सबमे बड़ो है। पिलिभित के निकट हैं। दूसरे दूमने अधिवाम। कभी कभो तराई छोड़ कर वर्ती स्थानको छोड़ कर उस नदीमें नाव पातो जातो हैं। अन्यत्र चले जाते हैं। थाक ओर भूक्षा अपनेको राजपूत मुखी मदो वर्षाकालके बाद को सूख जातो है । विचहा वंशोद्भव बतलाते हैं। यहाँ एक प्रकारका संक्रामक रोग मदीका व्यार बहुत प्रबल है । कोसो नदो कायोपुर पर होता है। इ५ रोगमै पाक्रान्त होने पर मरने का डर . गर्नमें बहती है। किचा भोर कोसो नदोके उत्पत्ति- मदेव बना रहता है। किन्तु यह मामक गेग घारू स्थानमें पह, भकरा, भौर और दवका नदो भिव भित्र भोर भूखाका कोई पमिष्ट कर नहीं सकता है। इन Vol. IX. 78