पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३२४

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३२. तर्कक-तकारी उत्पन होता है, वह उमका व्यभिचारो नहीं होता, ऐमा तक वागीश (स० पु.) तक शास्त्रवेत्ता, वह जो तर्क- नियम है। रेमो अापत्ति करनेमे धूममे वहि-भि शास्त्र अच्छी तरह जानता हो। चारका मन्द निवृत्ति हो कर वहिको व्याधि का िग य तक वितर्क सं० पु० . १ विवेचना, सोच विचार। श्रोता है। इसलिए यह तक व्याप्लिनिर्णायक है। जिम २ वाद विवाद, बहस । तक के द्वारा व्याधिमे भित्र विषका अवधारण हो, उम तक विद्या (म० बो०) तक रूपा या विद्या नस्य विद्या का नाम है विष परिशोषक । जैसे-पर्वत यदि वहिका वा। न्यायविद्या. युक्तिविद्या। गौतमप्रणोत प्रमाण अभावविशिष्ट हो, तो धूमका भी प्रभावविशिष्ट हो प्रम य प्रभृति सोलह पदार्थ रूप विद्या और कणादोक्त मझता है। इस तक मे पर्वत में वह्निका मन्दे ह नष्ट हा छह पदार्थरूप विद्या, प्रान्वोक्षिको विद्या। . कर वहिक रूप से विषयका प्रवध रण होता है इसलिए तक श (फा० पु० ) तूणोर, भाथा, तोर रखनेका चौगा। दम तक का नाम विषयपरियोषक है। (गौत। सूच) तर्कशास्त्र ( म० लो० ) तकरूप शास्त्र मध्यपदलो । करणे घञ । ८न्यायशास्त्र, तर्कशास्त्र का नामान्तर ।। १ न्यायगास्त्र । २ वह शास्त्र जिसमें ठोक तक वा विवे. इम शास्त्र में तक का विषय विशेषरू मे वर्णन हुआ है. चना करने के नियम आदि निरूपित हो। इमलिए इम का नाम तकशास्त्र है । न्यायशास्त्र चार भाग- तकमा ( फास्त्रो० ) छोटा तरकश । में विभक्त है -प्रत्यक्ष, अनुमिति उपमिति ओर शाब्दन। तर्कामाम (म० पु०) तक स्य आभामः, ६ नत् । कुतर्क, पनमें अनुमानावण्ड में हो तर्क । आधिक्य है, इमनि मा तक जो डोक न हो। उमको हो तक कहते हैं, किन्तु इन चारा 'गडमि तर्क तर्कारो ( म स्त्रो० ) त ऋच्छति -प्रणा । कर्म. प्रणानो विशेषरूपमे अवम्बित हुई है। नवदीप के गदा घण् । पा३।। डोप, च : १ जयन्सोवन, जैतका पेड़। धर भट्टाचाय आदि महामहोपाध्यायगण तक शास्त्रका पर्याय-वैजयन्तो विजया, जग, जयन्तो। ( Seshania विशेष उन्नति कर गये हैं। न्याय देयो। Aegyptiaca or rachy momene Seshan) सको १० मोमामाशास्त्र । तक मे शास्त्रको मामांमा होतो युक्त गन्तमें-जैत, बिझारमें - सन्तगे वा मेवरी, है, इसलिए मोमांमाका नाम उडिष्यामें वज जन्ति, बालमें जयन्तो वा धनिया, तके कम• त्रि०) तर्कण प्राकाझ्या कार्यात कागते के गुजर तमें-बायनिगनि, महाराष्ट्रमें-मेवरो, बम्बईम- क। १ या चक, मांगनवाला। तकनि तर्क गवल । जैत वा जनजन. द्राविड़में -चम्पई वा करुममेम्बाई तथा २ तक कारक, तर्क करनेवाला। तेलगूमें-मइमिगडा वा ममिगडा कहते है। तर्क कारिन ( सं त्रि. . तकं करोति क-णिनि । तर्क भारतमें सपर्व हो यह वृक्ष होता है; और तो क्या, कारक. तक करनेवाला। हिमालयके चार हजार फुट ऊँचाई पर भो इसमाक्ष तकं ग्रन्य ( स० पु० ) ताधिक्षतः ग्रन्थः, मध्यपदलो०। देखने में पाता है। हॉ दक्षिणदेशमें कुछ अधिक होता तको प्रधान ग्रन्य। है। कृष्णा और वे गवा नदी के किनारे, जो जो स्थान तर्क ज्वाला ( म स्त्रो०) १ वर पदार्थ जिममं उत्तेजित बाढ़ पानेसे डब जाते हैं, उन उन स्थानों पर इसके एक करनेको क्रिया हो। २ बौद्धशास्त्रभेद । एक वृक्ष २० फुट ऊंचे होते है। इसको बड़ो नरम तक गा (म. ली. ) चिन्तन, तक करने की क्रिया। होता है। इससे माथे बगैरह भो बनते हैं। इसकी तकणा (स स्त्रो०) १ विवेचना, विचार । २ युक्ति, उपाय। छालसे रस्सी बन सकती है। सर्कणीय ( स० त्रि.) चिन्तनोय, विचार करने योग्य । हमके पत्ते पौर बीज बड़े फायदेमन्द । पूय- तर्कना (हि. स्त्रो० ) १ तर्कणा देखा। २ तक करना। समय निवारणार्थ इसके पत्तोको पुलिटश दो जाती है। तक मुद्रा (सं० स्त्रो० ) तन्त्रोक्ता मुद्राविशेष, तन्त्रको एक और कोरड वा वातरोगकी सूजनमें इसका प्रयोग किया मुद्रा मुद्रा देखो. जाय, तो सूजन घट जातो। बोमोपन्य मतसे-