पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३३९

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तलौह-तपक्षीर २५ देखी जाती है। रम वनप्रदेशमें तरह तरह के पशु तल्पगिरि (म.पु.) दाक्षिणात्य के तिरुपतिसे समोप हो रहते हैं। विष्ण के नामसे उत्सग किया हुया एक पहाड़। तलोदाको महो काली है और उममें उद्भिद आदिका तल्पज (म० वि०) तप-जन-ड । क्षेत्रज पुत्र । मार मिश्रित है। जिम स्थानमें खेती होती है. वहाँको तल्पन (म'• लो०) तप इव पाचरति सल्य-क्षिप, ल्यूट । अलवायु खराब नहीं है। सातपुग पहाड़ के नीचे पास १ करिपृष्ठ, हाथीको पीठ । २ पृष्ठास्थिका माम, मेरु- पासके ग्रामो मोरिया रोग अत्यन्त प्रवल है। यहाँ दण्ड का माम । ज्वर और लोहा गेग अमर हुमा करता है। अप्रैल तल्प गोवन् ( म०वि०) शय्यागायो, जो सदा पलंग पर और मई माम छोड़ कर यूरोपीयगण इस स्थान निर्भयमे पड़ा रहता है। नहीं रह मकते हैं । वार्षिक वृणिपात पायः ३. ईच है। तस्य श्य तपशीव- देखो । २ उक्त तालुकका एक प्रधान शहर । यह प्रक्षा. २१. ताप्य ( स० पु० ) सल्ये भव तत्प-यत्। १ रुद्रभेद, एक ३४ उ० और देशा ७४१३ प्र. धलियासे ६२ मोल रुद्र का नाम ! २ शय्यामाधु। उत्तर-पश्चिममें अवस्थित है। लोकमब्या प्रायः १५८२ | तल्ल ( म० की. ) तस्मिन् लोयते लोड। १ विल. गटा। है। हिन्दू, मुसलमान, जैन, पारसो प्रभृति अधिवासो (पु.) २ जलाधारविशेष, ताल, पोखरा । यहाँ देखे जाते हैं। हिन्द की मख्या मबसे ज्यादे है। ३ (वि.) उममें लान, उममें लगा हुआ। ग्वान्द श जिले में तलोदा के वृक्ष का व्यवसाय विशेष प्रमिस तमज (म० पु०) तत् प्रसिद्ध यथा तथा लजतिलज-पच् । है। भिव भित्र स्थानाम बहादगे काठ यहाँ ला कर बेचा प्रशस्तिवाचक, पादरमूचक शब्द । जाता है। रोशाघास, तेल और अनाजका व्यवसाय भी ललह ( स० पु० ) कुक्कर, कुत्ता। यहाँ कम नहीं है। खान्दे शको मन्किष्ट काठको गाडी तल्ला (म० पु०) १ सामोप्य, ढोग, पाम । २ तलेको परत, इमी म्यानमें बनाई जातो है। हरएक गाडोका मूल्य ४० मस्तर, भितल्ला । ४५, क. रहता है। इस शहर म्य निमपालिटि है। हम तल्लिका ( म. स्त्री० ) तस्मिन् लोयते लोड मजायां शहरमें एक डाकघर, स्कन और दातव्य औषधालय है। कन् कापि प्रत इत्व । कुञ्जिका, कुञ्जो, तालो। तलोंछ (हि. स्त्रो.) किमी द्रव पदार्थ को वह मैन जो तला ( म० स्त्र। ) ततप्रमिद्ध यथा तथा लमति लम-ड- नीचे जम जाती है, तलछट । स्त्रियां ङोष । १ तरुणो, युवतो। २ नोका, नाव । ३ वरुण की स्त्री। तस्क ( म० लो० ) तल बाहुनकात् कन् । वन, जङ्गल । तल्लो (हिं. स्त्रो०) १ जूतका तला । २ नोचेको तलछट । तल्ख (फा वि.) १ कट, कड.वा। २ जिसका स्वाद तल्लु प्रा ( हिं० ५० ) एक प्रकारका कपड़ा, महमदो, खराब हो, बदमा । तकरी, सलम। ताखौ ( फा० स्त्रो० ) कड़वाहट, कड़वापन । सल्व ( म • क्लो० ) सुगन्धिद्रव्य के घर्षणसे उत्पन्न सौरभ, तल्प ( म०पु०-क्लो० ) तल्य-से शयनार्थ गम्यते तल-प। वह सुगन्ध जो सुगन्धित पदार्थीको रगड़नेसे उत्पन्न हो। खपशिल्पशषवापरुषपर्प तस्याः । उण ३।२८ । १ अय्या, पलंग। तल्वकार (सं. पु० ) सामवेदको एक शाखा। २ पहालिका, पटारो।३ दारा, स्त्री। तव (स' त्रि०) युभद् शब्दको ६ष्ठीका एक वचन । तुम्हारा । तल्पक (सं० पु. ) तल्प-कन् । शय्यासंस्कारक तवक (म त्रि०) तव-क। तुम्हारा । भृत्य, वह नौकर जो पलंग या खाटको मजा कर तवक्षोर (म. क्लो० ) तु-अच् तव चोरमिति, कर्म धा। रखता है। १वीरजम्ल, तवाखोर, तीखुर । इसके गुण-मधुर शिशिर, सत्यकोट (स.पु.) तल्पे शय्याया जात' कोटः । कीट- दाह, पित्त, क्षय, कास, कफ, श्वास और अनदोषनाशक विशेष, खटमल। है। २ गन्धपती, कनकपुर।