पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३५७

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तानपुर-वाजमहल और पुखिया तथा दिनाजपुरके सीमान्त प्रदेश में पब सा रह गया। उन माल म पड़ा, कि शायद उन्होंने स्थित था। प्रभो इस स्थान का नाम सरकार ताजपुर राजाका कोई पनिष्ट किया है जिससे उन पर अभियोग रखा गया है। ताजपुरके पूर्व भागमें ही प्रथम मुसल- चन्नाया जायगा। रुम्बाको सुलतान के सामने लाने में उन्हें मान-राजधानो देवकोट नगर है। कालीन विद्रोही भावो विपद् को पापा हुई। म विपद से बचने के निये हो कर ताजपुरमें दिलोको सटिग सेनाके साथ कई ए वे पहले हो अपनो निर्दोषिताके अनेक प्रमाण संग्रह कर युद्ध किये। १७७० ई० में अंग्रेज गवर्म गटके अधीनमें रुम्बाको लाने चम दिये। जब वे बहतमो रमणियोंके ताजपुर जेलका मस्कार किया गया । पहले यहाँ एक माय रुम्ब को ले कर दरबारमें पहुंचे तब उन्ह माल म जजो थो, जो १७८५ ई में यहॉमे उठा दी गई है। पड़ा कि उन्हें मृत्य दण्ड को पाना हुई है। इस पर मगरसे ताजपुर तक एक मड़क चली गई है। लिकन फोरन अपने पूर्व सग्टहोत प्रमाणों को राजाके ताजपुर-युक्तपदेश के बिजनोर जिले के अन्तर्गत धामपुर सामने पेश किया । सुनतानने जब देखा कि मालिक तहसान का एक शहा। यह प्रक्षा० २८.१० उ० और प्रति बहुत अन्याय विचार किया गया है, तब वे बहुत देशा० ७६.२८ पू० पर बिजनोर शहरसे २७ मोन लज्जित हुए। बाद सुलतानने मानिकसे कहा, कि तुम्हारा दसिगा-पर्व में अवस्थित है। लोक व्या प्रायः ५०१५ जो जो चाहे सो माँगो। दम पर मालिकने बहत विनीत है। तगाव शोय परिवार का वास होने के कारण यह स्वरमे कहा, 'यदि आप मुझ पर खुग हैं, तो अपना शहर प्रमिव है। उक्त वशक बहतोंने ईमाईधर्म अव नाम चिरस्मरणीय रखने के लिये मैं एक कोर्ति स्थापन लम्बन किया है । १८वीं शताब्दोंमें यह राज्य तगा-वंशोय करना चाहता है।' मालिकका अभोष्ट सिह करनेके राजाओं के हाथ लगा था। १८५७ ई के मिपाहो विद्रोह लिये सुलतानने उपयुक्त धन दे दिया । उसो धनमे ताज के समय यहाँ के राजा वागी न हुए थे। वत्तमान राजा बावड़ी खोदवाई गई। बावड़ोको गहराई ५२ फुट है। गष्ट्रीय व्यवस्थापक-सभा सदस्य हैं। यहाँ एक ताजबोबो (फा. स्त्रो०) शाहजहानको अत्यन्त प्यारो और औषधालय और दो स्कू ल हैं। प्रमिद्ध बेगम मुमताजमहल। इसके लिये पागरमें ताज- ताजपोशो ( फा० स्त्री. ) वह उत्सव जो गजमुकुट धारण महल नामका मकबरा बनाया गया । करने या राजसिंहासन पर बैठनेके ममय किया ताजमहल अपु०) श्रागरा शहरम यमुनाके किनारे पर जाता है। स्थित जगत्प्रमिह ममाधि-मन्दिर । स्थानीय लोग इसे ताजबावड़ो एक प्रमिह तालाब। इस बावडीका दूसग रोजा वा ताजबोबोको गजा कहते हैं। पृथिवो के सात नाम ताजकारो भी है । बम्बई विभागके बिजापुर शहर- आयय जनक पदार्थो में हमको भी गिनती होती है। से पश्चिम और नगरके मकाहारसे १०० गज पूर्व वामिाज्य बादशाह शाहजहान्ने अपनी प्रियतमा पनो मुमताज. केन्ट के समीपमें अवस्थित है। इसके दक्षिणमें मृगया वन महलके स्मरणार्थ यह सुरम्य हयं बनवाया था। मुम- है और प्रवेश द्वार पर एक प्रकाण्ड मेहराब है जिसका ताजका यथार्थ नाम वा पर्ज मन्द-बानू बेगम वा नवाब दृश्य देखते ही बनता है। आलियाबेगम । शाहजहान् इनको अपने प्राणों से भी ज्यादा १९२० ई० में ताजरानो मम्मानार्थ इब्राहिम रोजा. प्यार करते थे । एकदिन बेगमने स्वप्र देखा कि, उनके के स्थपति मालिक सन्दलने यह विख्यात बावड़ी खोद- गर्भस्थ बालक रोता है । उन्होंने बादशाहको बुला कर वाई थी। इसके विषय में दन्तकहानी इस प्रकार प्रचलित कहा, "प्रियतम ! मैं गर्भस्य बालकका रोना सुन रहोई। है-मालिक सन्दल सुलतान महमूदके पन्यतम मन्त्रो ऐमा रोमा कभो किसोने नहीं सुना । मुझे निश्चय मालूम थे। सुलतान स्त्रियों को खूबसूरतोको खूब तारीफ करते होता है कि मैं अब बचूगो नहीं। किन्तु आपमे मेरो थे । एक दिन सुलतामने रुम्बाको दरबारमें लानेके लिये इतनो प्राथ ना है, कि मेरी मृत्य के बाद आप किसोका मासिक सन्दससे कहा । हुन पनि हो मालिक भोचका पाणिग्रहण न करें। पाप मेरे पुत्रों को हौ राज्याधिकारी Vol. Ix.89