पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३५८

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ताजमहल अमावे। और एक प्रार्थना , अापने कहा था, कि मेरो एकान्तरमें जाने पानिके लिए बहुतमे मार्ग और इमाम कब अपर एक इम्य बनवा देंगे। आपका यह वायदा है। इस एडके प्रत्येक लदायक अपर, भीतर और बाहर भी पूरा होना चाहिये ।" वंगमको बात मच्ची निकम्नी, पति उज्ज्वल सफेद सिंगममरको जालियों लगी हुई है, प्रमव होने के बाद, १६३१ ई० में उनको मृत्य, हो गई जिनमेंमे काफी प्रकाश पहुंचता है। प्रकवरको मृत्यु के शाहजहानने भी प्रियतमाके मन्तिम अनुरोधकी रक्षा को बाद मुगल लोग शिल्पन पुण्यका कितना अादर करते थे, उन्हान फिर अन्य किमो भो ग्मणोका पाणिग्रहण न इम ग्रहको कारीगरी देखने से उमका काफो परिचय किया अवा मा भमझ, कि फिर उनके कोई मन्तान मिल सकता है। मागंश यह है, कि नाना प्रकार और शनि का बात नहीं सुनने में पाई। नामा वर्णके मुल्यवान् मणि-प्रम्तरादि हाग कितनो प्रियतमा पत्रों की मृत्यक बाद ही शाहजहान्न ताज- खबसूरतो, कितना मनोहर और कितना खाभाविक भान धनवाना शुरू कर दिया । ऐमा सुना जाता है कि, __शिल्पन पुण्य दिखलाया जा मकता है, इसमें उमकी परा- उममय भारतवर्ष में देशी और विदेशी जितने भी काष्ठा दिग्वनायो गई है । इममें नाना प्रकारक मख्य मुख्य शिल्पो और स्थपति मोजद थे, सभीन इम बहुमूल्य लान, मबज आदि रंग बिरंगे पस्थकि टुकड़े महाकाय में माथ दिया था । जड़ कर बल ब.टोका गेमा उमदा काम बना है, कि यमुना किनार प्रमिद अकबराबाद ! वर्तमान जिसको देख कर चित्रका भ्रम होता है। यहाँ तक कि आगरा । नगर में ताजमहन्न बनना शुरू हो गया। प्रमिह एक गुलाबको प्रत्ये क पग्वडीमें जितने प्रकारका रंग, भ्रमणकारी टानि याने इम अनुपम भट्टानिका को जैसा आकार हो सकता है, वहाँ उन उन रंगों के प्रारम्भ और मम्म र्ण होते देवा है। उस ममय वर्तमान पत्थर लगाये गये हैं। ज्यादा क्या कहें, मानो वे कानको अपेक्षा मानममाला और मजदूरो हदमे ज्यादा प्रतिके साँचेमें हो ढाले गये है. ऐसे मालम पड़ता है। सम्ती होने पर भो ३१७४८०२४) रुपये व्यय और लगा. मा अपूर्व मनोहर शिल्पनेपुण्य संसारमें क्या और भो कार ३० वर्ष परिश्रम करने के बाद यह महाकार्य कहीं है ? ताजमहल में जहाँ जाओगे, जहाँ देखोगे, वहीं ममाल हुआ था। ऐमो मनोमुग्धकर तसनीर तुम्हारे नेत्रपथको पथिक ___ यह महल १८ फुट ऊँचे और ३१३ फुट खतम होगो कि, जिम तुम जनम भर भूल नहीं मकतं । ज्यादा मगिडत ठोक चतुरन चमतर पर प्रतिष्ठित है। इसके दिन नौं हुए भारतवासो जिम अमाधारण शिम्पन पुण्य चाग कोन १३३ फुट ऊँचे अत्यन्त रमणीय भारतभरमें और भास्करकार्य ( पञ्चोकागे, नकागी आदि ) में अपना अतुलनीय चार मोनारोंसे सुशोभित हैं । उन्ना मफेट मंग- पाण्डित्य दिखला गये हैं, उमको तुलना और कहाँ है ? मम रके चबूतर के बीच में १८६ फुट चतुरस्र भूमि पर जगत्- ताजमहल ही उसकी तुलना है ! चित्रकरको तुलिका, प्रसिद्ध ममाधि-मन्दिर अवस्थित है । ठीक बीचमें ५८ कविको कल्पना और भावुकको भावना भी ताजमहम्न- पुट विम्त त र ८० फुट ऊँचो एक प्रधान गुम्बज है। को सशबीर उतारनमें असमर्थ है। जिमने इसे अपनो इम गुम्बजके भीतर लदाव पर मकैद मगमर्मरको बाँखामे देखा है, उमीने समझा है, वहो पिघला है, जानियों लगी हुई हैं । एमो खूबसूरत और शिल्प-नैपुण्य- उसोके हदयने इसका स्पर्श किया है। इस सामान्य मय जानियों वा धनिका ममार भरमें और कहीं भी लेखनीक हारा ताजमहलका खोचना तो दूर रहा, नहीं हैं। हम गुम्बजके भीतर ठीक बीच में बेगम मम- उसका वर्णन करना भी असम्भव है। ताजमहलको कम और उसके बगलमें बादशाह शाहजहा. बहुत दिनको बात नहीं है, ठगोंको दमन करने नकी कब्र है। वाले प्रमिड कर्नल बीमन सस्तीक एक बार इस पनुः इस मायके प्रत्येक कोने पर गुम्बजकी पालिके यम भारतीय कौति को देखने गये थे। वे स्वयं तो २६ फुटरच पायसनके दुमजले ग्रह बने समेसे मपए ही थे, जब उनींने अपनी प्रायनोसे यह