पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३६३

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ताड़काफल-वाद प्राणियोंदि शून्य कर दिया। वापरण्य ताड़काजल करनाल। इसके संस्थत पर्याय-कर्ण दर्पण, ताटर नामसे प्रसिद्ध है। यह और इसका पुत्र दोनों ब्राह्मणको कणिका, तालपत्र, ताडपत्र गौर कर्ण मुकुर है। २ हस्ता. देखनसे ही उनके प्रति अत्यन्त अत्याचार करते थे तथा भरगविशेष. हाथमें पहननेका एक गाना । यज्ञीय वहिके धुएँ को पाकाशमें फैलता देव ये दलदलके ताड़न (सं० को०) साडि भावे त्य८१ पाघात, प्रहार, साथ वहाँ पहुँच जाते और अनेक तरहका अधम मार । २ दोक्षाविषयमें दोक्षणीय मन्त्रसस्कार विशेष । मचाया करते थे। इनके दम अत्याचारमे कोई भी यज्ञ इममें मन्त्रों के वाँको नन्दनमे लिख कर प्रत्येक मन्च कानका माहस नहीं करता। इसी प्रकार ताड़का उस को वायुवोज हारा पढ़ कर मारते हैं। ( शारदाति.) जगलमें रह कर अपना दिन बिताने लगी। बाद विश्वा. ३ गुणन । ४ शामन, दगडु, सना ५ डॉट डपट, घुड़की। मित्रने इनका दमन करने के लिए दशरथ जोकी शरण लो ताड़ना (सं० स्त्रो०) साड़न टाप् । १ प्रहार मार । २ भत्- और उन्हें मम वृत्तान्त कह कर वे गमचन्द्र और लक्ष्मण- सना डॉट उपट । ३ शासन, दण्ड । ४ उत्पीड़न, कष्ट, को अपने साथ उम तपोवनमें लाए । रास्ते में ही विश्वा तकनोफ। मित्र प्रादेशमे रामचन्द्रमोन इमे मार गिगया और ताड़ना (हि. क्रि० ) १ दगड देना, मारना पीटना। २ मारोचको वाण द्वारा बहुत दूर फेक दिया । तड़काको शामित करना डॉटना डपटना। ३ किसी बात को मारनेक समय रामचन्द्र ने विश्वामित्रमे कहा था, "प्रभो ! लक्षणमे ममझ नना, झाँपना, लख लेना। ४ मारपीट यह स्त्री है, अतः किस प्रकार इमका वध करूं।" इम कर भगाना, हकिना, हटा देना । पर विखामित्रन कहा, 'यह स्त्रो नहीं है, जो स्त्रो ताडनो (जि. स्त्रो०) ताड़न स्त्रियां डोप । अखताड़ना वोरकं ममान युद्ध करतो है, जिमने स्त्रियांक योग्य लज्जा यष्टि, कोडा, चाब क । और कोमलताका त्याग कर दिया है, सो स्त्रीको नानीय मविताड-मनोयर । गामनयोग्य, दण्ड मारनसे स्त्रीवधका प्रायश्चित्त नहीं होता। (गमायण १।२५. देने योग्य, मजा देने काविन्न । २६ म०)। २ देवदाली, एल लता । __ ताडपत्र ( म० ला० ) तालस्य पमिव नस्य ड़। कण लाड़काफम्त ( म० क्लो० ) तारकेव नक्षत्रमिव फलमस्य, ___ भूषणविशेष. कानका एक गहना। . बहुव्री । वृहदेला, बड़ी इलायची । । ताड़कायन ( म० पु. ) विश्वामित्र के एक पुत्रका नाम । ताड़पत्रि-मन्द्राज प्रदेशकै बेलारो जिलेके अधीन एक (भारत आनुअ ) शहर। १५वौं शताब्दों में यह शहर स्थापित इमा। यहाँ राम और चित्तरायके दो मन्दिर है। दोनों मन्दिर तारकारि (म.पु. ) ताड़कायाः परि. ६-तत् । ताड़- काके शत्र, श्रीरामचन्द्र। अच्छे पच्छ शिल्प कार्यो मे चित है जो देखने बहुत साड़वय ( मं० पु० ) साड़कायाः अपत्यं ठक् । ताड़काका ___ अच्छे लगते हैं। पुत्र, मारीच । ताड़बाज (हि. वि०) ताड़नेवाला, समझ जानवाला । ताड़ध ( स० पु. ) ताल हन्ति इन टक् । पाणिधताइयौ ताड़यिट (मंत्रि) ताड़-च् । ताड़नकारी, मारने- शिल्पिनि । पा ३।२।५५ । कशापात, बेत या कोड़ा मारने वाला। वाला, जल्लाद। ताड़ाग ( स० वि० ) तड़ागे भवः पण । तड़ागभव जल, ताड़धात ( स. पु. ) ताई हन्ति इन्-पण । वह जो तालाब का पानी । गुण-वायुबईक, स्वादु, कषाय और कट हथौड़पादिसे पीट कर काम करता हो। पाक । हेमन्तकालमें तड़ागका जल बहुत हितकर है। ताडा (सं० पु०) ताड़ पाः चि यस्य वा तासं परत ताडि (स• स्त्रो०) ताड़यति पर्व : योभते तड़-णिच-न् । लक्ष्यते पा- लस्य इत्व शकवधादित्वात् साधुः। १ वृक्षविशेष. एक प्रकारका पेड । ताडी देखो। २ ताल- वर्याभरणविधिव, कान में पहननेका एक प्रकारका गहना, रस।