पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३७

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टिपबमा विमरिमाना टिचलमा (Eि fo) पिघलना, गलना। टिंजी (हि.सी.) एका प्रहारका उड़नेवाला कीड़ा। टिचलाना (हि.जि.) विधमाना। यह दल बांध कर चलता है और रात के पेड़ पौषों और टिचन (4.वि.) १ प्रस्तुत, तैयार. ठीक । २ बत, फमलको बड़ी हानि पहुंचाता। जिम समय यह दल मुम्द । बांध कर जपरमें पड़ता है उस समय पाकाश लाल यादव रिटकारना ( क्रि०) टिक टिक शब्द करके किमो को घटाके ममान दोख पड़ता है। ये हजार दिढ़ रबार पशुको हांकना। कोस तककी लम्बी यात्रा करती है। जहां ये जाती है टिटिभ (स० पु.) टिटीत्यव्यकशद भणति भण-ड। बसको फमलको नष्ट करनी जाती है। ये पहारको पक्षिविशेष, टिटिहरो नामका पक्षी। कदा तथा रेगिस्तानों में रहती पोर बाम पारतो टिटिभक (म. पु.) टिटिभ म्वार्थे कन् । टिटिभ देखा। हैं। पफ्रिका उत्तरी य और एशियाले दक्षिणी भागों टिटिल (म. क्लो० ) मख्या विशेष, १०० नागवलका ये कई बार जातो पाती है वहींके उत्पातसे वहांको एक टिटिल माना गया है। फमन पछी तरह होने नहीं पाती है। टिटिह (हि. पु.) एक पक्षीका नाम। टिचिंगा ( वि० ) वक टेदामढ़ा। टिटिहरो (स्त्रिो०) एक प्रकारकी छोटो चिड़िया टिपिटनिका (म' स्त्री०) १ पम्प शिरोषिका. जल- मो प्रायः पानी के किनारमें हो पायो जाती है। इसका मिरिमका पेड़, दाढौन। २ जलौका. जोक। मस्तक लामा, गरदन सफेद, पर चितकबर. पोठ खैर टिगड़ा ( स० १०) क्षविशेष, टिंडा, सोरस- रंगको और चौच काली होती है। इनको बोलो कडई के पर्याय-गेमशफम्म, सिन्दिय मुमिनिम्मित और होतो है। कहा जाता है कि रातको यह अपने दोनों पर तिगिडश है। रमका गुण-रोचक, भेदक, पित्तोमा, अपर करके चित सोतो है क्योंकि उसे यह भय लगा परमरीनाथक, सुशोतल, वातल. रूम और मूत्रल है। रहता है कि शायद पाकाश न टूट पड़े। टिप (हिं. स्त्रो०) साँप काटने का एक प्रकार । टिटिघ (हि.पु. ) टिटिह देखो। टिपटिप (हिं स्त्रो०) बूँद बूंद गिरनेका शब्द । टिटिहार (हि. पु.) १ चिल्लाहट, शोरगुल । २ टिपवाना ( Eि क्रि० ) १ दबवाना, मिसवाना । २ धीरे क्रन्दम, रोना पोटना। धोरे प्रहार करवाना, पिटवाना । टिभि (म. पु०-स्त्री०) टिहोत्ययलगब्द भणति भण-छ। टिपारा ! हि पु० ) मुकुट के पाकारको एक टोपी। रस- १ पक्षिविशेव. टिटिस पक्षो । एमके पर्याय-टिटिभक और में कलगीको तरह तीन शाखाएँ एक सिरे पर पौर टिटोक । हिजोंके लिए इसकी मांस भक्षण निषेध है। बगल में निकली होती है। २ बयोदश मन्वन्तरीय इन्द्रगत दानवविशेष, तेरहवें टिपुर (हि.पु.) १ अभिमान, घमंड, गुमान, गुरूर । मन्वन्तर के एक दैत्यका नाम जो वन्द्रका शत्र था। भग- २ पाखण्ड, पाडम्बर। वान्ने मायारूप धारण कर इसको मारा था। (गरुडपु० टिप्पणी (हि. स्त्रो०) टिप्पनी देखो। ८७ म.) ३ वरुणके सभारक्षक दानवविशेष, वरुणको टिप्पन (स.पु.) १ व्याख्या, टोका। २ जन्मकुण्डसी, सभाको रक्षा करनेवाला एक असुरका नाम । ( भारत जन्मपत्री। २०१५) टिप्पनी ( स० स्त्रो• ) व्याख्या, टीका । टिभिक ( पु०) टिभि स्वार्थ कन् । टिभि, टिप्पो (जि. स्त्री.) १ वह चिज जो उगली में मंग पादि पोत कर बनाया जाता है । २ ताशकी बूटी। डा.(हि. पु.) पखयुक्ता एक प्रकारका कीड़ा। टिफिन । स्त्रो०) 'गरजीका दोपहरका जलपान । रसको सम्बाई लगभग चार पांच चंगुलको होती है । टिबगै ( हि स्त्री० ) पहाड़ीयो शेटो चोटी। रबी भेहरे या प्रकारका होता है। टिमटिमाना (हि.जि.)१ कर प्रकाश देना. मन्द .' Vol. IX.9