पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३७६

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३७२ मादित कर वावरत होता है । ६ गन्धकद्रावक में एक अम्त का धारा के साथ और कोषजात प्रवाहको प्रायः समभूमि और एक अन्य धात्क दा वडा रहता है। यह पर धार प्रवाहमान विशाल नदीक स्रोतके माथ तलना हितोय धान विभिन्न कोषा: विभिन्न रोती है। इममें हो सकती है। यन्त्रका प्रवाह मानी नायाग्राका जल- मानिसमट था जमा हप्रा कोयला तक प्रवाह है और कोषका प्रवाहमानो भागोरथीका स्रोत। वावरताना: धातदगडको तार हारा जम्त के (२) एक ताँबे पार एक लोहके तारके दोनों कोरो- माया और उनमें उतार तःस्तिका सात बहता है। को जोडकर यदि एक सन्धिस्थलमै उत्ताय और उसरे. जम्त क्रमम: गन्धकद्रावक माथ मायनिक मिश्रण को ठगड़ा रक्खा जाय, तो दाना तागर्म ताडित-प्रवाह मिल कर क्षय को प्राप्त होता है । इमरामायनिक प्रक्रिया- चलने लगता है। कोषज प्रवाह रासायनिक शक्ति भो में हाइड्रोजन वायु उड, ति हो कर तोच या तविध अन्य ऐमो हालतमें प्रवाह-तापसे उत्पन्न होती है। किमो सौ पातु के कोषमें रहती है, उनके गावमें उत्पत्र इम प्रवाहको उहाति बहुत कम होतो है, हाँ, दोनों होता और ताइितप्रवाह का क्रमशः क्षोण करतो है। इस मन्धियों के बीच में उष्णताका यत्मामान्य इतरविशेष होनसे निए रम हाडछाजन वायु को जला देने को जरूरत पड़तो हो थोड़ा बहुत प्रवाह दोख पड़ता है । तॉब और लोहे के है। प्लाटिनम् अथवा कोयलाको इमो लिए एक मिट्टी के बदले अन्य दो धातु विशेषतः एण्टिमनि ( रसाखन) भाइमें नाइट्रिक एमिड( यवक्षारट्रावक ) हाग भिगो और विसमथका व्यवहार किया जा मकता है। दोनों रखनेको रोति है । उन्ना द्रावक हाइड्रोजन वायुको जला मन्धियोंमें उष्णता सामान्य तारतम्यसे यह ताड़ितप्रवाह देती है। . उत्पन्न होता है, इसलिए यह प्रयाह उष्णताक भावि. साडितप्रवाह के लिए विविध कोष प्रचलित है । दानिः कारके लिए व्याहत होता है। जहाँ उष्णता तना येलके कोषमै तोमा और जम्ता, प्रोव कोषमै साटिनम् कम हो कि जो साधारण पारदघटित तापमान-यन्त्र भी और जम्ता, उनमेनक कोषर्म कोयना पोर जस्ता वावः पकड़ी नहीं जा सकतो, वहाँ भी इम उपायसे वह पक. हत होता है । दानियालका कोष बोरोंमे कुछ कमजोर डाई देतो है। चन्द्र और नक्षत्रक पालाकके उत्तापको होता है। तोणप्रवाह उत्पादन के लिए उमका वावहार सान के लिए इस यन्त्रका व्यवहार होता है। किया जाता है। हारड्रोजन जलान के लिए नाट्रिक (३) आजकल प्राय: विविधकामि पत्यश्च उहाति- बदले बाईक्रोमिक एसिड आदिका भ! वाव हार होता है युक्ता पर परिमाणमें भो प्रबल, ताड़ितप्रवाहका प्रयोग बाहरम ताडित-स्रोतका प्रतिबन्धक अधिक होने पर किया जाता है। यन्त्रज, कोषन वा तापज प्रवाहमे भो कुछ कोषों को बराबर बराबर सजा कर एकका तौबा ये काम नहीं होते। डाइनामो नामक यन्त्र द्वारा इन दूरका जम्ता, इम तरह क्रमसे मनग्न करके बैटरो उग्र प्रबल प्रवाहको उत्पत्ति होतो । एक चुम्बकके बनाना चाहिये। बाहर में प्रतिबन्धक अधिक न होने पास तोबे का तार धुमाते रहने से उसमें भो ताड़ितप्रवाह पा एक कोष हो दश कोषका काम देता है, क्योंकि उत्पन्न होता है। डायनामोके विषयमें विशेष विवरण कोषांमें भी कुछ कुछ प्रतिबन्धक समता मोजद है । संख्या पीछे दिया जायगा। जदान में प्रतिबन्धक भो बढ़ेगे। ताडित प्रवाह बहने के नियम । -ताडितप्रवाह प्रपरि ताडनयन्त्रसे तातिस्रोत उत्पन्न करनेमे उस ताडित- चालक पदार्थ मसे नहीं बह सकता और इसीलिए इससे का परिमाण अधिक नहीं होता, किन्तु उममें ,नि साडित स्फ.लिङ्गपादिके तमाशे अच्छी तरह नहीं दिखाए बहुत ज्यादा होता है । कोषसे जो प्रवाह उत्पन होता आ सकत। इसको पति यन्वज ताडितको अपेक्षा है, उसको उडति उम के सामने बहुत कम है. किस बहुत कम है। हाँ, यह परिचालक मात्रके भोतरसे पना. प्रयागत ताडितका परिमाण अधिक होता है। यच यास हो जा सकता है। सब धातुओं में परिचालकता जात प्रवाहको ऊँचे स्थानसे पतनशोख संवेग कोण जस- समान नहीं होतो। जिसमें परिचालकता कम, इस