पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३८

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२४ दिमाक-टोका मन्द जलना। २ मिमिलाना । ३ मरणासम होना, स्थिर करनेको एक रीति। पसमें कन्या पक्षके लोग मरनेके निकट होना। घरके माथेमें दहो पक्षत पादिका टोका लगाते और टिमाक (त्रिो०) मिगार, बनाव, उमक । कक द्रव्य उमक साथ देने। ३ माथेका वा भाग टिरसिं स्त्री. ) टर देखो । जो दोनों भौं के बीच में होता है। ४ श्रेष्ठ मनुष्य, पिरो. टिरफिस (हि. स्त्री०) प्रतिवाद, विरोध । मणि । ५ राजसिंहासन पर प्रतिष्ठा, राज्याभिषेक, गहो । 'टमटिलामा (हि. क्रि०) दस्त पाना । ६ रामाका वर पुत्र जो उनके मरनेके बाद गहो पर टिलवा (हि.प्र.) १ गठीना और टेढ़ा मेढ़ा लकडोका बैठे, युवराज । ७ प्राविपत्यका चित, प्रधानताको छाप । रडा । २ नाटा पादमो। ३ चापलूम पादमी । ८ वह भेंट जो आसामो गजाको देते हैं। माथे पर टिन्ने ( हि पु.) समात्रा, जावा आदि टापुत्रोंमें पहननका एक प्राभूषण । १० घोड़ों के माथेका मध्य- मिलनेवाला एक प्रकारका नेवला । इसका सिर सूपरके भाग जहां मैं वरो होतो है। ११ चिड़, दाग, धब्बा । जैमा और पूँक बहस छोटो होती है। १२ शीतला रोगमे बचाने के लिये उपके चा या 'टल्ला (हि.पु. ) धका, टकोर, चोट। रस को ले कर किमी के गरोग्य मूल्यों में चुभा कर प्रविष्ट टिमवीसो (हि. स्त्री.) १ मिलष्ट सेवा, नोच सेवा। करने की क्रिया। इसका व्यवहार विशेष कर शीनला • थर्थ का काम. निठमा काम! ३ होला हवालो, रोगसे बचाने के लिये हो इम देगमें बहुत पहलेमे चला बहाना। पा रहा है। मनुष और गोक शगरम भोताला रोगक टिमुभा (हिं पु०) पाँम् । कारण जो पीप वा रस निकलता है उमोको ने कर टिकना (हि. क्रि० ) १ ठिठकमा। चौकमा। प्राचीन कालमें टोका लगाया जाता था। उमो पीप वा टिहनो (हि.स.) १ षटना। २ कोहमी। रनको बोज वा नोर कहते हैं। प्राचोन पाय ऋषि टो (मो .) मयुक्त वर्ण। लोग भी अच्छी तरह जानते थे, कि गो-नौरका टोका टोड (हि.पु. ) [टमें बांधनेको 'डिया। हो निरापद है। मनुष्य के नीर हाग टोका देना मानो टोडमो ( हि स्त्रो.) एक प्रकारको बैन। यह कक शोतला रोगको बुम्मामा है। कई बार तो इमये किसनों हीको गतिको होती पोर इममें गोल फल लगते हैं। की जान चली गई है। गानोरके टोके में वह भय इन फलोको तरकारी बनती है। नहीं है। यद्यपि इससे भी मारे शरीरमें गो वसन्त का टोंडा (जि. पु.) वह खटा जिससे जाँता घुमाया रस मिल जाता है, मगर उमका प्रकोप मनुष्य-वमन्तक जाता है। जमा भोषण नहीं है। यहाँ तक कि थोतला रोग गोक (हि. स्त्री.) १ एक प्रकारका मोमेका गहना रोकने को जो इसमें शक्ति है वह मनुष्य-नोरसे किसी जो गले में पहना जाता है। २ माथेमें पहननेका सोनेका घशमें कम नहीं है। एक गहना । ____ शीतलाके नीरको रक्षा के साथ मिश्रित कराना हो टोकन हि पु०) वह खम्भा जो किमो बोझको रोकनेके टीका लगाने का उद्देश्य है। इसका सञ्चार कई प्रकारसे लिये मोचेमें लगाया जाय, टॉड, खम्भा । होता है। शरीरके किमो स्थानमें प्रस्त्र द्वारा क्षत करके टीका ( म० सो० ) टोक्यते गम्यते बुध्यते पानया टोक. उसमें वसन्त (शीतला )-का रम देना हो टोका लगाना .धअर्थ क टाप, च। १ व्याख्यानन्य, किसो वाक्य या इमा। सचराचर वाहु और हाथमें ही टीका लगाया जाता पदका अर्थ स्पष्ट करनेवाला वाक्य । है। चमई को रद करने के लिये सूई वा तेज कुरोही टोका ( पु.) १ वह कि जिसे गोले बन्दन, केसर बाममें पाती है। संथाल पादि पनभ्य लोग पससे चतं प्रादिसे मस्तक बाहुपादि पो पर सांप्रदायिक बन करनेके बदले पागले शरीरमे ३।४ फफोले डाल कर उनके या शोभाक लिये लगात, तिलक । २ विवाह-सम्बन्ध फूटने पर मौतसाका नीर प्रविष्ट करत। फलतः