पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३९

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इससे टीका लगानेका फल कम नहीं होता परं उससे मोपकारो विषयको यूरोपी निकाला। १७eta अधिक हो होता है। होंने परीचालन नियनिषित कई एक विषय जन- कुछ दिन पहले तक हम लोगोंके देश में मनुषा-नोर माधारण प्रकाय किये- हारा टीका लगाया जाता था जिसे देखो टीका करते थे। गो-वसन्तरोगको मनुके परीरमें मनामित कर- वर्तमान प्रणालीसे गो-नीर द्वारा जो टीका लगाया जाता ने उसे मौतमा निवासानेका डर नहीं रहता। २ गोके है उसे बारजी टोका कहनो। देशी टोकामे त शरीरमें वसन्तरोगके पलावा एक और प्रकारको पुसी स्थान बहुत जल्द सूज जाना है, ज्वर वेगसे पाता है। निकलती है जो देखने में ठीक वसन्तको सरासमतो है। पौर कभी कभी मारे शरीर में शोसला निकल पाती है। अत: उसके नीरसे टीका लगानेसे बोतला रोग होनेका देशी टीका लेनेसे जब तक टीका सूख न जाता, तब तक डर बना हो रहता है। सुविधा देख कर सभी समय अपने परिवारके मभी लोग शहाचारमे रहते हैं, निरामिष निपुण पनवेब हारा गो-गोरका टीका लगाया जा खाते हैं और कपड़ा नहीं पछारते है पर्थात् गौतम्ना सकता है। ४ एक मनुखको गो-नौरका टोका देकर रोग होने पर जो सब नियम पालन करने पड़ते हैं उसके नौरसे दूसरेको पोर फिर उसके गोरसे तीसरेको वही मच इसमें भी करने पड़ते । मसूरिका देखो । यथार्थ में इसी प्रकार बहुत से लोगों में इसका सचार कर सकते है। देशी टीका कतिम वमन्तकं सिवा और कुछ नहीं है। अन्तिम मनुषको भी उसका वैसा ही घमर पड़ेगा गो-नोरका टोका लेने में वे सब कठोर नियम पालन नहीं जैसा पालेको गो-नोरका टोका लेनेसे पड़ता है। करने पहले। टोका लगात समय निलिखित बोई विषयों पर अंगरेजो टोका. गो-वमन्त नामक स्वतन्त्र व्याधि विशेष ध्यान रखना चाहिये। पाम पासमें वसन्त रोगका शरोरमें सक्रामित हो जातो है। मसूरिकाके साथ यदि प्रादुर्भाव न रहे. तो छोटे छोटे दुवंस बोको टोका इसकी तुलना का जाय, तो इसकी मारात्मक शक्ति लगामेकी जरूरत नहीं। पेट में दर्द होता हो, पथवा बहुत सामान्य और अल्प कष्टदायक है। सम्पति यहो किसी प्रकारका चर्म रोग हो या कर्दमूल, ग्रीवा पौर टोका इस देशमें प्रचलित एषा है। गवर्मेण्टने मनुषाः कुक्षि उत्ताप माल म पड़ता हो, तो टीका लगाना नौर हारा टोका लगानको प्रथा उठा दो है और समस्त उचित नहीं है। पकसर देखा जाता है, कि एक वर्ष से प्रधान प्रधान नगर्गमें गो-नोरहारा टीका लगानिका केन्द्र- कम उमरके बही विशेष कर पीतमा रोगसे पानान्त स्थान स्थापित कर दिया है। इन सब स्थानों में अनेक होगे है। इसलिये बचा यदि मुख पौर सवस हो, तो शिक्षित लोग गांवों में टीका लगाने के लिये भेजे जाते हैं। खूब थोड़ी उमरमें ही टीका लगाना सचित। डा. इसके लिये किसोको कुछ बचना नहीं पड़ता है। कल-मिटन ( Dr. Seaton ) का कहना है कि बड़े बड़े कर्त में माधारणतः बलिष्ठ गाय या बछडे का नीर लेकर नगरों में स्व सहाय सबम्त विशको १६ मीने में ही प्रत्यक्ष भावसे टीका लगाया जाता है। अन्यान्य स्थानों में टीका लगाना चाहिये । अचाहन दुर्वस शिशुको १२ गवर्मेण्ट बारा सञ्चित नीर भेजा जाता है। कहना नहीं महीने में एवं टीका लगानका जब तक बिलकुल अनुप- पड़ेगा कि टीका लगानेको प्रथा दिनों दिन जितनी हो बुता न हो, तब तक सभी बचचो महीनमें टोका बढ़ती जा रही है उसनी हो शोनला रोगसे मृत-संस्था लगाना कर्तव्य है। कमती जाती है। सुख और सबल बई उचित टीवेसे नीर पाण. पारिजोमें टीका लगानिको भैक्सिनेशन ( Vaccina- करना उचित है। असली नीर कुछ बना रहता है। tion ) कहते है। इसका अर्थ है भैक्सिंनिया अर्थात् गो. पपक टोकेके पतले नीरसे टीका लगाना पचा नहीं। वसन्तरोगको मनुथके शरीरमें संक्रामित करना। सबसे पधिक उमरके बालक पोर बालिकाको अपेक्षा कम पाले जेनर, ( Jennar ) नामक एक चिकित्सकन इस उमरके वर्ष काजी नार समार। विशेषतः काले,