पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३९०

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३८६ साहितवाचविह ताको लाइनके दाग दूसगे मसन पर पहुंच जाता टेलिग्राफ-कार्यालयमें और भी कुछ यन्त्र रहते हैं। है। इस प्रकारमे संवाददाता इच्छानुमार हेगड नको नोचे उनका वर्णन लिया जाता है। कम वा अधिक ममय तक दाब कर. तार हारा कम वा रिले ( Relay )- यह यन्त्र प्रायः निर्देशक-यन्त्रक अधिक ममय त ताहितप्रवाहको प्रवाहित व माता ममान हो है, पर यह उमको अपेक्षा अनेकांशोंमें सूक्ष्म है और दमगेशन पर बिन्दु वा रेखा प्रनित कर मकत और अपनात होणता ताड़ितप्रवाह हारा परिचालित हैं। दो मृ गनौका परस्पर किम प्रकारमं मम्मन्ध रहता हो सकता है। तारका ताडितप्रवाह स्वभावतः क्षोण है, इम धातको समझानके लिए नोचे एक मामूली चित्र है, जिममें अधिक दर गमन करते करते नाना कार- दिया जाता है। गणों और भो योगास होता है।सतगं वह निर्देशक यन्त्रको तेजों में माथ परिचालित नहों कर मकता और न हममे कागज पर अच्छी तरह दाग हो पड़ता है। इमी लिए प्रत्येक स्टेगन पा के वन्न स्थानीय निर्देशक यन्त्रम प्रति मवाद मद्रगर्क निा ए5 पुगक ताड़ित कोप रस्ता है। इस ताडितोषके दो मरुयोम मे एक कानात्पपे निर्दै गक यन्त्र माय मलग्न है; दूसरा इम चित्रमें दो मशनकि यन्त्रादि हमहू बना दिये तार के साग 'ड' रिलेयन्त्र के 'म' म्थानके मात्र संलग्न है। • गये हैं और बोच में दो तारक खमे भी लगे हुए हैं। ' और ताड़ित कोष हैं, 'क' और 'क' ये दो मवाद देने बन्न ( वा चाबो ) हैं, और मवाद ग्रहण कनिक यन्त्र ( वा निर्देशक ) हैं, भारताडित- मान यन्त्र हैं तथा 'उ' और 'उ' लाइनका सार है। '6' और इन दो ताडितकोषोका एक एक प्रान्त छ' और स्थानीय संवाद देन यन्त्र में तथा अपा प्रान्त 'छ' और ' भूगर्भ के माथ मयुना हैं; चित्रमें दाहिनो दिशक यन्त्र के ताहितीय चुम्बकको तार कुण्डलीका भारको स्टेशनमे बाई' तरफको स्टेशनमें मवाद आ दूपरा छोर ।' तार-द्वारा मत होता इमा 'a' रहा ह, भार बाई ओरको स्टेशनमें वह मयाद-निहे. दगड़क माय जा मिला है। रिल में स्थित 'न' तार कुण्डलो. शक यन्त्र में ज्ञापित हो रहा है । साड़ितस्रोत '5' ताडि का एक छोर लाइनमें जा मिला है और दूसरा जमीन निकलकर 'क' चाबीमें और ताडितमान में गड़ा है। अब यो होलादन के तारसे ताडितस्रोत यन्त्रम होता हआ लाइन ताम्म प्रवेश कर रहा है; और रिनेमें स्थित नाड़ितोय चुम्ब : के 'म' तार-कुण्डलो में हो दूसरी स्टेशन पर पहुँच कर वहांक ' साड़ितमान मन्त्रमें, कर जोनमें जाता है, त्यो हो वह ताड़ितोय चुम्बक 'क' होता हुआ चाबी में प्रवेश कर रहा है। 'क' चाबो दण्डको प्राकर्षण करता है बार उसका 'न' प्रान्त 'न' 'क' निर्देशक-यन्त्रमें सलग्न होन कारणा ताड़ितप्रवाह के साथ संयुक्त हो जाता है । सुतगं स्थानीय ताडितकोष वहां जा कर मवाद ज्ञापन कर रहा है और अन्त में के दोनों मेरुक सयुक्त होने पर, उसका प्रवल घर स्थानमे भूगर्भ में प्रवेश कर रहा है। ताडितमान ताड़ितप्रवाह विना वाधाक 'कन, न, व, मार्ग निर्दे- यन्त्र मानसे इतना हो मान्नम होता रहता है कि ताडिः शक यन्त्र हो कर गमन करता है और उसे काय कारो तप्रवास जा रहा है या नहीं। इस तरह एकहाँ तारसे बनाता है। और ज्यों हो लाइन तारमै ताड़ितप्रवाह संबाद मेजना पौर ग्रहण करना दोनों काम होते हैं। बन्द हो जाता है, त्यों हो 'ब' मिड के जोरसे पर