पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४०७

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साना-गान्त्रिक १०३ तानसेन सिर्फ एक अदितीय गायक हो थे, ऐमा तान्त ( स० वि० ) तम-स। १बान, बिलकुल सूखा नहीं ; वे बहुतसो नवोन नवोन राग-गगिणो भी बना हुआ । २ लान्स, थका हुषा। गये हैं। प्राशावरो, जोगिया और दरबारो कनाड़ा ये तान्तव (म० लो०) तन्तोर्विकारः पत्र । १ वस्त्र, कपड़ा। गग पन्होके चलाये हुए हैं। आसन र पाबरो ओर (वि.) २ तन्तुनिर्मित, जिसमें तन्तु वा तार हो, जिपमसे 'पादशा-नामा'में यथाक्रमसे तानतरङ्ग और विलास नामक तार वा तन्त निकल सके । इनके दो पुत्रोंका उल्लेख पाया जाता है। दोनों भो तान्तवता (सं० स्त्रो०) तान्तष-तल टाप । कठिन ट्रम्बका प्रसिद्ध गायक थे । प्रमिद्ध गायक पूरतमेन इन्हीं के वंशधर विशेष. धर्म । जिम गुण के रहनेसे कुछ पदार्थोको खोव थे। इनके वंशज प्यारमेनने कान नयन्त्र का मस्कार कर तन्तु अर्थात् तार बनाया जा सकता है, उसका नाम किया था। तान्तवता है । आघातमरित गुणके माथ सान्तवता गुणामा तानमेनके शिष्य भी प्रसिद्ध गायक हो गये हैं, कोई भी मबन्ध नहीं है। जिनमें चाँदावों और सुरजग्वाँका नाम हो प्रसिद्ध है। जिमसे पतलो पत्तो बनतो है, उमोसे पतला तार ताना (हिं पु०) १ कपड़े को बुनावटमें वह सूत जो बनता होगा ऐमा कोई नियम नहीं। लोहेका तार जैमा लम्बाई के बल होता है। २ दरो या कालोन बुननका बारीक होता है. पत्तो उतनी बारीक नहीं होती । गंगा करघा । और सोसेको पोट कर अच्छी पत्तो बनाई आ मकतो ताना ( हि क्रि० ) १ तान करना, तपाना. गरम करना। है, पर उनको ग्वोच कर तार नहीं बनाया जा मकता । २ विघलाना । ३ गरम कर परोसा करना। ४ परोक्षा- । प्लाटकम्, चांदो. ताँवा, सोना, जम्सा रांगा, सोमा इनर्ममे करना, जाँचना। | पूर्ववर्ती धातुओंको अपेक्षा परवी धातु में कनयः यह ताना (प. पु. ) आक्षेप वाक्य, व्यग्य, बोग्लो ठोलो।। गुण थोड़ा पाया जाता है । वस्तुतः प्राटिनम् अर्थात् मित ताना बाना (हिं० पु०) कपड़े को बुनावटमें लम्बाई और काच्चन नामक धातुमे तान्तवता गुण सबसे ज्यादा है। चोड़ाईके बल फैलाए हुए सूत । किमी किसोने इमका इतना बारोक तार बनाया है कि तामारीरी (हि. स्त्रो० ) साधारण गाना आलाप, गग। जिसका व्यास एक चके एक लाग्व भागमें तोन भाग सानाशाह (फा• पु. : अब्बलगमन बादशाहका दूसरा मात्र है। माम। नान्तव्य (मपु० स्त्रो०) तन्तोः सन्तानस्य अपत्य गगी सानो (रि. स्त्रो०) कपड़े को बुनावटमें वह सून जो यज । तन्तुका अपत्य, जुलाहको सन्तान । लम्बाई के बल हो। तान्तध्यायनो (म स्त्रो० ) तन्तोरपत्यं स्त्रो फ बित्वात् सानोयक ( सं० पु. ) यावनाल वृक्ष, भुट्टे का पोधा। डोष । तन्तुको अपत्य स्त्रो। सानुको-एक प्रमिह अरबी कवि । एनका दूमरा नाम तान्तुवायि (स० पु. स्त्रो०) तन्तुवायस्य अपत्य तन्तुबाय- अबूल-भाला था। ये तान क वंश थे । इनको बनाई त्र । तन्तुवायका प्रपत्य, तातोका वंशज । हुई कविताएँ प्रशसनोय हैं। तान्तुवाय्य (म पु० स्त्री०) तन्तुवायस्य अपत्य तन्तुवाय- सान नपात ( स० वि० ) अग्नि सम्बन्धीय। ख्य । सेनान्तलक्षणकारिभ्यश्च । पा ॥१११५२ । तन्तुवःयके तान नप्त (स' की• ) तन नामा देवता प्रस्य अण। अपत्य, ताँतीके वंज । वायुके लिये दिया जानेवाला दधि मिश्रित पृत, वह ताम्ब ( सं को.) १ तन्त्रविशिष्ट, वह जिसमें तार लगे दही मिला हुषा घो जो वायुको चढ़ाया जाता है। हो। २ तन्त्रशाखा सम्बन्धोय।। तान र (सं० पु० ) तन बाहुलकात् उरण,। जलावतं, तान्धिक (म• वि.) तन्त्र सिद्धान्तमधोते वेद वा तन्त्र- पानीका भँवर । २ वायुका भँवर । ३ बहुवारवक्ष, बहु उकथादित्वात् ठक। १जातसिद्धान्त, जो सिद्धान्त पार समोरा। जानता हो। २ शास्त्राभिध, ओ शास्त्र आमता हो।