पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४११

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ताप हिसाबसे तोला नहीं जा सकता। फलतः साचात् के कठिन और सरल द्रव्य समान परिणाममें प्रसारित सम्बन्धसे तापको किसी प्रकार भी मापा नहीं जा नहीं होते, किन्तु समस्त वायवीय ट्रष्य ममाम साप प्राम सकता, किन्तु हम पदार्थोके जपर नाना प्रकारक परि होने पर प्रायः समान परिमाणमें हो विस्त,त होते हैं। माण करके तापके परिमाण निरिणमें समर्थ होते है। ताका फल-इस विषय में पहले ही कहा गया है तापमान देखो। कि घन तरल वा वाष्पोय सभो पदार्थ तापसे प्रसारित उष्णता और शीतलता-उष्णता और शोतलता कोई और शीतसे माचित होते हैं । यह प्रमरण घन पदार्थों विशेष प्रभेद नहीं है। एक वस्तुकै माथ तुलनामें जो में कम, तरल पदार्थी में कुछ अधिक और वाष्पोय पदा वस्तु उष्ण बोध होतो है, अन्य एक वस्तुको तुलनामें वही र्यो में मबमे अधिक लक्षित होता है, अर्थात् पदार्थो के फिर शीतल ज्ञात होती है। एक हाथ पति उष्ण जलमें ममम्त पण जितने गिथिलब होंगे, प्रसारण भो उतना और दूमरा हाथ बरफके पानी में डुबो रखने के बाद दोनों ही अधिक लक्षित होगा। मब पदार्थ एक प्रकार के हाथोंको गुनगुने पानी में डुबो देनम, जो हाथ उषण जलमें तापसे एकरूपमें प्रमारित नहीं होते। निमज्जित हुपा उसे शीतल और जो हाथ हिमालमें घन पदार्थों का प्रसरण इतना अल्प है कि उसे हम निमन्नित हुपा, उसे उष्णताका अनुभव होता है। देख कर ममझ नहीं सकते। हां, सूक्ष्मरूपसे परिमाण ___ तापके कारणसे जड़ वस्तुका प्रसारण-तापके कारण करनेमे वह जाना जा मकता है। द्रव्य के परमाणु एक दूमरेको दूगेभूत करते हैं। इमो लोहे का घेरा उत्सल किये बिना पहिये महों लिए तापके समागमसे द्रव्यादि प्रमारित होते हैं। उत्तल पहनाया जा सकता। इसका अर्थ इमके सिवा और कुछ होनसे कठिन द्रव्यको अपेक्षा तरल द्रव्य और तरल द्रव्य- नहीं, कि उत्तापर्म उसका पायतन बढ़ जाता है। किन्तु को अपेक्षा वाष्योय द्रव्य अपेक्षाकृत अधिक विम्त त वह वृद्धि इतनी अल्प है किम दृष्टिके भो भगीचर है। होते हैं। इसी तरह उत्तम होनेसे कठिन द्रव्य द्रव और कांच महमा उत्तल या शोसन्न होनसे सड़क जाता है, द्रव-द्रव्य वाष्प हो जाते हैं। सभी कठिन द्रव्य उत्तम क्योंकि वह अपरिचालक है। उसके सम्म र्ण भागों में ताप होनसे प्रसारित होते हैं, इसीलिए रेलकी पटरी बनाते समभाव और शोघ्रतासे परिचालित नहीं होता। ममय उनके बीच में थोड़ो थोड़ो खाँप छोड़ दो इमलिए जिस स्थलका ताप अपेक्षाकृत अधिक हो जातो है। जाता है, वह स्थल कुछ अधिक प्रमारित होनेकी चेष्टा यन्वहारा परोक्षा करके देखा गया है कि, जो शीतल करता है। इस प्रकार अमम प्रमरण के कारण वह काँच लौपदण्ड किसी छिद्रमें मनायास प्रविष्ट होता है, वह चटक जाता है। किसी वस्तु के प्रत्यास उत्तम होने पर उत्साल होने पर उसमें प्रवेश नहीं कर सकता। जो शीतल होते समय उसके मङ्कोचनमे जो बल उत्पादित कठिन पदार्थ तापके समागमसे विनिष्ट नौं होते, उत्तम होता है, वह अत्यन्त अधिक है। इसके लिए एक उदा. करनेसे वे ही क्रमश: कोमल हो जाते हैं और अन्समें हरण देना हो यथेष्ट होगा। तरल हो जाते है। कठिन द्रव्योको तरह द्रव-द्रव्य भी पैगेनगरमें किमो घरको भीत फट कर बाहरको उत्तम होनेसे प्रसारित होते हैं। मोर फ ल उठी थो, लोहटण्ह हारा घर वेष्टित किया सीलिये जलपूर्ण पाव, ताप देने से जल उकृमित । गया। इसके बाद लोहेके डण्डे गरम किये गये , खुब होता है। वायवीय सभो वस्तुएँ ताप लगनेसे अतिशय उत्तम हो जाने पर डगड स्क्र से अच्छी तरह कस दिये प्रसारित होती है। यदि किसी वायुपूर्ण चर्म मयकका __ गये। ये दगड जिस ममय कामसे शोतल हो कर मा मुंह बन्द कर उसमें ताप दिया जाय, तो वह अपने पाप चित होने लगे, तो उनके साथ भीत भी संकुचित हो गई। फमा सठती है। __तरल पदार्थीका प्रसरण हम प्रत्यक्ष देख सकते हैं। समान भागमें ताप प्राप्त होने पर भी सम्पन्न प्रकार यह दो प्रकारका -यथार्थ ( real ) और प्रत्यक्ष