पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४१४

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इसके सिवा सापके और भी अनेक फल है। साप मेरजन होता है। इस तरह नियय होता है कि 'श रामायनिक मयोग और वियोगका एक प्रधान, उत्तेजक प्रमाण एक मेर बर्फ गन कर • प्रमाण एक मेर है। तड़ित नम्बकाकर्षण सम्बन्ध में तापके फल पोळे जन हाने में जो तेज अन्तर्षित होता है, उनके द्वारा एक लिखें जायेंगे। मेर जनको उष्णता ८० अंश बढ़ाई जा भकतो है। __ ताप के कारण जडवस्तुओं की अवस्थान्तरोत्पत्ति --उत्तापसे अन्यान्य कठिन द्रवों के द्रव होते ममय भी ऐसा हो कठिन द्रव्य द्रव होते हैं । काठ, कागज पोर पशम प्रभृत हुा करता है। किन्तु ममस्त द्रव द्रवाांक अन्तर्गत पप- द्रव्यांकी द्रव नहीं किया जा मकता। उषण करनमे त्यक्ष प्रच्छन तेजका परिमाण ममान नहीं होता। इना ममम्त उपादान पृथक् हो पति है। बहतांकोश परिमाण उण होने पर जिम प्रकार बफ धारणा है कि अङ्गारादि कतिपय द्रव्य गनायं नहीं जा गलकर उसका पानो हो जाता है. उसो ताह ० परिमाण भकत । किन्तु यह मिहान युक्तियुक्त नहीं मानम पड़ता। गोतल हनिमे पानो जा कर बफ हो जाता है। वफ के अङ्गार कोमल अवस्थामें परिणत किया गया है। द्रव होते समय जितना तेज प्रतरित होता है, जल मम्भव है कि कालान्तरमें यह द्रवीभूत भो किया जा जमते ममय ठोक उतना हो तेज विनिगत होता है। मकेगा। द्रव्यमान एक एक निर्दिष्ट परिमाणको उपणतामें तात्पर्य यह है कि जितनो उगातासे कोई वस्तु द्रव द्रव होते है। . (अथवा ३२ फा• परिमाण) उषातामें होती है. ठोक उतनो हो उष्णतासे तदुत्पत्र ट्रव द्रवा धर्फ गम्म कर पानो हो जाता है । भूतनस्य मभो द्रव्यों पुन: घनीभूत होता है । और गलते समय जिस परिमाण पर वायुराशिका दबाव है। मागरपृष्ठका वायुराशिका में तेज अन्साहित होता है जमते ममय भी उतना हो दबाव प्रायः ३० पलके समान है। ३० उच्च दबाव और तेज निगत होता है । इमीलिए शोतप्रधान देशों में जब • उष्णतामे बफ गल जाता है, विन्तु अधिक दबाव दारुणा शोतकं प्रभावमे जलाशयाटिका जन्न जम कर होनेमे ममधिक सपणताके बिना नहीं गन्नता। . बर्फ होने लगता है, उस ममय उम हिममय जलके द्रवमाण वस्तुमें किसमा ही साप क्यों न दिया जाय । अन्तर्गत छिपा गूढ़ तेज प्रकाशित हो कर दुरन्त शोतका उमको उपाता किमी तरह भी नहीं बढ़ती। पराक्रम कुछ खव कर देता है। और भी देखने में पाता है कि, द्रवमाण ट्रया तथा उममे द्रवोभूत होनेमे द्रवादिके पायतनको हृद्धि होता उत्पन्न द्रवाको उष्णता समान होती है। 'श, अथवा है। १०० धन रच गन्धकको गलाने मे वह १०५ धन इन ३२ फा परिमित उष्ण होने पर बर्फ में कितना भी ताप हाता है, किन्तु बर्फ द्रव होनमें मकुचित एवजन क्या न दिया जाय, उमके सापको वृद्धि नहीं होता। किन्तु जमने पर प्रभारित होता है। अन्यान्य तरल द्रवा जमने दमो नापक प्रभावमे अफ द्रव हो जाता है। दुवमागग पर भारो हति हैं, किन्तु जल जम कर बफे होने पर . बर्फ से जो जल उत्पन होता है, उसको भो उमणुता . हलका हो जाता है, मोनिए वह जलमें तैरतो है। अथवा ३२'फा होती है। जल जमते समय विम्त त होता है, इसोसे शांतप्रधान अतएव यह निश्चित है कि बर्फ को श जलमें देशोय नर, नदी. द. समुद्र आदिका जल जम कर बर्फ परिणत करने के लिए कुछ तेज भन्साहित होता है। यही होने पर वह अपर तैरा करता है एवं निममें ४०'श भन्हित तेज जलके अन्तर्गत अप्रत्यक्ष प्रच्छन या गूढ प्रमाण उष्ण जल रहनेसे मत्यादि जलचर जीवगण जलके तेज कहलाता है।०'श प्रमाण उपण एकमेर जनक प्रभावसे मरते नहीं। जल जम कर जब बर्फ होता माथ • प्रमाण उषा एक सेर जन्म मिलानसे ४.श , तब उसकी पायतन वृद्धि के कारण प्रसारणशक्तिको प्रमाणका दो मेर जल प्रसत होता है। भो पाश्चय जनक वृद्धि होती है। यदि किसी जलपूर्ण किन्तु ८० प्रमाण उष्ण एक मेर जलमें 'श प्रमाण लाहकी बोतलका मुख बन्द करके किसी प्रतिपय एक सेर तुषार-चूर्ण मिला देनेमे प्रमाण व दो बोतल पदार्थ के भीतर कुछ के लिए रक्का जाय, तो