पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४१८

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४१४ चाहिए । यस परिवहन रोपात वायु पनाहों का एक ठोम पारे या ऐमा हो किमी बर्फ से ठगडी वस्तु निकट प्रधान कारण है। बागि यु. मोसमी वायु आदि रख दिया जाय तो उसपे भो इतना तेज निकलता सभी वायप्रवा: इमो न जपत्र होते हैं। है कि उम निममा परिको उणत की वृद्धि होतो ताप-विकि --य: किमो धातुद्रष्यके जपर कोई 1 है। जो वस्तु जिता तेज विकीर्ण करती है उसके अय:पिगड रकवा जाय, ता उम। ताका कुछ पंग पर अन्यान्य पदामि यदि ठ क उसो परिमाणका आधा द्रवा हारा परिचालित होता है, कुछ अंग चागं तेज विकोण हो कर पतित हो तो उसकी उष्णता. और स्थित वायु द्वारा प्रवाहित होता है तथा अगष्ट में किसी प्रकारका परिवर्तन घटित न होता, अश किरगारुपम चारों ओर निक्षित हो कर पाच वर्ता दमके अन्यथा होने मे हो न्य नाधिक्य होता है। समस्त ट्रयादि हारा परियडीत होता है। इस कारण व तत्र पढाथ तेज विकिरण करने के बाद शोतल हो जाते अय:पिण्ड क्रमश: गोतन हो कर चारों अारको वायुके हैं। इसका कारण यह है कि चारों पोरके पदार्थो मे ममान उपण हो जाता है। जिम क्रिया के द्वारा द्रवादि- उत्तन ट्रन्य जिस परिमाणमें तेज को किरणों पाते हैं, का तेज किरणाकारमें चतुर्दिक विकीर्ण होता है, उम उमको अपेक्षा अधिक परिमागा में तेज उनके द्वारा चारों विकिरण कह सकते हैं। अग्निक मामग खड़ होनसे और विक्षिप्त होता है। उमकी तेजस किरणों के शरीर पर पड़न तथा शगेर हाग यहां पर विवेचना कर देखने में प्रतीत होगा कि परिशोधित होनसे उषाताको उपलब्धि होती है । सूर्य का केवल उष्ण पदार्थो के स्पर्श से ही द्रव्य उत्तम नहीं होते, तेज किरणके रूप में पा कर पृथ्वी पर पतित होता है। वरन् गरम वस्तुओंसे दूर रकर्व जाने पर भो ठण्डे पदाथ परिचालित या परिवाहित हो कर नहीं आता। गरम हो जाते हैं, गरम पदार्थों के तेज, परिवाहन करनेसे सूर्यको किरण वायुराशिम हो कर पृथियो पर पनन पदार्थ गरम हो जाते हैं। गरम पदार्थों क तेजका परिचालन होती हैं, किन्तु उनके हाग वायुराशिकी उष्णताको वा परिवाहन करनेमे पदार्थ जिम तरह उष्ण हो जाते हि वेसो नहीं होतो । पृथ्वो अपग्मे तेज प्रतिफलित हैं, उनके द्वारा निक्षित जम किरणका शोषण करके भो परिचालित और परिवाहित को कर उसे उष्ण करता उसो सरह उष्ण हो मकते हैं। शीतन पदार्थों के स्पर्श मे है, इसीलिए वायुमण्डन्न मा अधौदेश मात्र ही उष्ण है: उण द्रव्य जिम तरह गोतल होते हैं तेज-विकिरण हारा उध्य प्रदेश अतिशय थोतन है । सब वस्तुओं को विकि. भो वैसाही होता है। रणशक्ति समान.नहीं होती। कालिखको विकिरण- यह विकिरण शक्ति प्रोमको उत्पत्तिका प्रधान कारण शक्ति मबसे अधिक है। इमोलिए किमी द्रव्य जारी है। गत्रिमें धरातलको समस्त बस्तुओं के वायुमण्डल- भागमें कालिख पोत देनमे उमको विकिरणशक्त अधिक को अपेक्षा अधिक शोसल होनसे वायुके भोतरका कुछ प्रबल हो जाता है। परीक्षा द्वारा निरूपित हुआ है कि अंश घनीभूत हो कर शिशिर विन्दोंके रूपमें पदार्थो के मो द्रव्य जिस परिमाणमें तेज परिगोषण करता है उसकी अपगे भागमें विवर जाता है। वाष्पोय वस्तुओं के मम्ब. विकिरण शक्ति भ' ठीक उसो परिमाणमें प्रवन होती है। धमें अब तक जो कुछ लिखा गया है, विवेचना कर देख. तेज किरण उज्ज्वल और चिकन धातु द्रव्यके अपर न उससे जाना जायगा कि दिनमें मय-किरणों हारा पतित होत हो प्रतिफलित हो जाती है। मो कारण धरापृष्ठ के उत्सप्त हो जानसे वायुमै जितना वाप रह उनके हाग तेज परिशोषित नहीं होता, सुतरां उनको सकता है, रात्रिकाला तेज विकोपं कर पृथ्वोके अधिक विकीरणशक्ति भी मिसान्त पल्प होती है। ऐ. मी शोतल हो जाने पर उसके अपरको वायुमें उतना हो वाष्य है कि पतिशय उत्तप्त होने पर द्रयांसे तेज विकोण रहे, यह किमो प्रकार सम्भव नहीं। उष्णताका जितना नहीं होता। गरम हों या उगडे, ममस्त ट्रम्य, सदैव तेज हो हास होता है, वायुमण्डलमै उतना हो कम वापस विकीर्य करते है। बर्फ जो रसमा शीतल है, वह यदि सकता है, पर्थात् उतने ही पल्प वाव बारा बाबुराधि