पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४२७

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को स्त्रो। वापत्रि-पापारी हटानेवे लिए बीच बीचमें तापमान द्रक्माण तुषार- तापमछुम (म. पु. ) तापमप्रिया डूम। दोप, मनिमम किया जाता है। हर एक बार तापांच कितना गुपाका पेड़। या यह याद रखनेसे क्रमशः उन भित्र भित्र परीक्षाको तापमठुमसविभा (सं. स्त्री. ) तापसहमण सबिभा हारा परस्पर कितना भेद वा यह जाना जायगा अर्थात् तुल्या ३ तत् । गर्भ दावी चुप, सफेद भटकटेया। बदि शून्यविन्दु । तापोश अपर उठ जाय तो तापक्रममें तापमपत्री ( स. स्त्री.) तापसप्रिय पत्र यस्या बहुव्री. घटा कर में शोधन कर लेना होगा। जातिवात डोष । दमनकाहच, दौना नामक पौधा । इसके मिवाय पोर भो सामयिक परिवर्तन हुवा तापमप्रिय (संपु०) तापमानां प्रियः, इ.सत् । १. करते हैं। जिनका कारण तापमानयत्रका उत्तम हो विशेष, चिरोंजीका पड़। २ सादो वृक्ष, गुणाका कर सहसा शोतल हो जाना है। इसीलिए किसी ताप- पेड़ । (वि० ३ तापस प्रियमान, जो तपस्त्रियों का प्रिय मानयन्त्रका वाष्पीभाव बिन्दु निर्दिष्ट करने के पहले हो हो। उसका धमीभावविन्द निश्चय कर लेना उचित है, नहीं तापमप्रिया (मस्त्री) तापसाना प्रिया, तत् । द्राक्षा, तो गणनामें अवश्य भूल होगी। दाख, मुनका। द्राक्षा देखो। पाजकल तापमानयत्र द्वारा पांधी पानो इत्यादि तापमवृक्ष (म.पु.) तापसता देखो । जितने विषय बताये जाते हैं। उनका वर्णन करना तापसा ( स्त्री) द्राक्षा, दाख । दुःसाध्य है । ज्वर पाने पर वह दुःसाध्य है या मुसाध्य, तापसो स' स्त्रो०) १ तपस्या करनेवाली स्त्री। २ सपखो- इसका निर्णय भी तापमानसे होता है और भी पख्य उपकार हो रहे हैं। ताप देखें। तापसेतु (स• पु० । विशेष, एक प्रकारको ईख । तापत्रिष्ण(म'• त्रि.) ताप-इष्णु च । १ सानोय, ' साप मेष्ट (स० पु०। तापसप्रिय देखो। सापने योग्य । २ यन्त्रणादायक जिसमे दुःख हो। तापमेष्टा ( स० स्त्री. ) तापमप्रिया देखो। तापचित (म'• कौ० तपसि चीयते चि-त स्वार्थे प्रण । तापस्य ( स. क्लो. ) तापसस्य धर्म था। तापमधर्म, १ यत्रभेद, एक यन्त्रका नाम। यज्ञ देखो । २ यज्ञाग्नि- भेद, यन्त्रको अग्नि । तपखियाँका कत्तव्य। वानप्रस्थका हितकर धर्म से तापम (स० वि०) तपःशीलमम्य तपस्-ण । छत्रादिभ्यो णः । तापस्य है। तापस्य ही मोक्षका एकमात्र साधन है। पा ६२। १ तपस्वी, तपस्या करनेवाला । (पु.) पहले राजर्षि गण इस धर्म को तमें ग्रहण करते थे। २ दमनकक्ष, दौना नामका पौधा । (लो.) ३ तमाल तापस्वेद (संपु.) तापने स्वेदः ३.तत्। स्वदक्रिया- पत्र, तेजपत्ता । ४ दाक्षिणात्य के अन्तर्गत एक पोराणिक विशेष ; गरम बालू, नमक, वस्त्र, हाथ, पागको पाँच जनपद । टसेमीने इसका Tabassi नामसे उसख किया पादिसे सेक कर पसीना निकालनेको क्रिया। है। अनुमान किया जाता है कि इसकी वर्तमान पव- तापहर ( स.वि.) ताप परति ट। सापनाथका, खिति खानदेशमें है। (पु.) ५ वक पक्षी, बगला बुखारको दूर करनेवाला। ६ विशेष, एक प्रकारको ईख । (सुश्रुत १४४५) तापहरी । म स्त्री० ) तापहर स्त्रिया कोप । व्यसन तापसक (सं• पु०) तापस पल्पार्थेकन् । सामान्य योगी, विशेष, एक प्रकारका पकवान । इसको प्रस्तुत-प्रणाली- शेटा तपस्वी, वह तपस्खो जिसकी तपस्या थोड़ी हो। उरदको बरी पौर धोए हुए चावलको इन्दोके साथ तापसज (सको०) तापसात् जायते जन-ड । तेजपत्ता घोमें सलते है। तल जान पर उसमें उतना हो जल डास सापसतह (सं० पु.) तापसप्रियस्तरः मध्यादलोपित कर उबालते है। अच्छी तरहसे वबल आने पर कर्मधा। दो इक्ष, हिंगोट वृक्ष, गुषाका पड़। उसमें अदरख और हींग डालते हैं। इस तरह जो तपखो लोग वनमें गुदीका सही काम में लाते थे। द्रव्य प्रस्तुनीता, उसे तारो या तापहरो कहते है। सौर इनका नाम पड़ा। गुप-यसकारक, सार्वाक, कफकारक, शरीरको प;