पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

तापी-नाये सब जगह मुविधानुमार ज्वार-भाटा नहीं होता। तापसी नदी के मुहानके पास वारिताप्य नामक एक भड़ौचसे सागरमाम तक ज्वार-भाटा ठोक होता है। तोर्थ है, जिसका वर्तमान नाम वारिपाव है। कहा इम नदाम रतो बहुत जमतो है, सलिए इसको जाता है, कि यहां तपसोने सपतेश लिङ्गको स्थापना गतिका परिवर्तन दवनपं पाता है तथा बादकं वरूत और तपस्या को थी। एमके पखिममें कुछ दूरी पर एक किनारेको यो कर निकटवर्ती ग्राम नगर प्रादि प्रावित कुरुक्षेत्र है। करती है। पहले दश बोस वर्ष बाद कभी कभी भया- तापोखडके मतमे-इम पुण्यक्षेत्रमें नपसीके पुत्र कुर नक बाढ़ पातो थो, जिससे सूरत और निकटवर्ती नगर ने कठोर तपस्या की थी, इस कारण इसका नाम कुर. वा ग्रामोंके कितने हो प्राणियोंको मृत्यु होतो थी तथा क्षेत्र पड़ गया है । ( तापीखें. ८५०) इसनी चोजे नष्ट होतो थो कि जिसको कोई शमार ताया-मागरसङ्गम भी एक प्रमिड सोध है। यहाँसे नहीं। इस समय पहले की तरह बाढ़ नहीं पातो, कुछ दूरी पर नाविकोंके सुभोतके लिए एक बहुत ऊंचा इसीसे खैर है। किन्तु रेतो बराबर जमा करतो है। पका बत्तो-घर बना हुआ है। समुद्र में प्रायः पाठ कोस बड़े बड़े इञ्जिनियनि नाना कोशल किये, पर इसको दूरीसे रमका उजाला दिखलाई देता है। गेक न सके। २ सूर्य को एक कन्या। ३ यमुना नदी। नापतौके मुहाने पर सुवेली नामका एक विध्वस्त तापोज (मं० पु०) माक्षिकधातु, सोमा मकवो । बन्दर दोख पड़ता है। किमो ममय यूरोपीय बणि कोंके तापोममुद्भव (म० त्रि.) १ जो तापो नदोके किनारे या बहुतर बाणिज्यपात वहां पहुंचा करते थे। अंग्रेज उमके पास पाममें उत्पन्न हो। ( को ) २ पग्निप्रस्तर, और पुत गोजोंमें यहा घोग्तर युद्ध हुआ था; किन्तु अब एक प्रकारका खनिज पदार्थ । ३ मणिभद, एक मणिका सुलोको बन्दर नहीं कहा जा सकता। रेतो जम कर नाम। यहां नदोका स्रोत बन्द हो जानसे यह प्राचोन बन्दर नापेन्द्र (म.पु. ) सूर्य । परित्यक्त ही है। सापखर (म. पु. ) तोथ भेद, एक सोथ का नाम । ___ सापतो नदोके दोनों किनारों पर जैसे हिन्द्र तोयाँको साप्य ( म० की. ) साप हितं ताप-यत्। धातुमाक्षिक, सोनामकवो। भरमार है, समी तरह प्राचीन बौद्धक्षेत्रोंका भी प्रभाव नहीं है। प्रसिद्ध अजन्ता (अजण्ट। गुहा तापतोके दक्षिणा प्यक (म क्लो०) ताप्यमेव स्वाथै कन् । धातु माक्षिक, सोनामक्खो। तट पर अवस्थित है। इसके किनारे बाघ नामक ताप्य त्यम जक (स'• क्ली०) ताप्युत्था संज्ञा यस्य बहुव्री. स्थानमें छोटेसे पहाड़ पर बोडी हारा खोदित तीन गुहाए हैं। कप । धातुमक्षिक, सोनामकली। प्रति बारह वर्ष के अन्समें तःपताके तोरवर्ती बोड़न ताफ ता ( फा० पु. ) एक प्रकारका चमकदार रेशमी कपड़ा। मामक ग्राममें मेला हुआ करता है, जिसमें हजारों नाब (फा० स्त्रो०) १ ताप, गरमी। २ चमक, पाभा। यात्रियों का समागम होता है। इस समय तापतोके ३ सामर्थ्य, शक्ति, मजाल । ४ धैर्य, हिचत, साहस । किनारे सूरतसे दो मोल दूरी पर गुले खर और अश्विनी. ताबड़तोड़ (हिकि.वि.) पण्डित क्रामसे, लगातार, कुमार तीर्थ हो सर्व प्रधान है। अब भी मैकड़ी हिन्दू बराबर । जल सौध में जाते हैं। स्कन्दपुराणके तापोखण्ड में १५ ताबा (हि. वि० ) ताने देखो। और कई अध्याय अग्खिनोकुमार और गुरसरका साबत (प्र. पु०) वह मन्दक जिसमें मृतदेह रख कर माहात्म्य वर्णित है। अब भी बहुतसे लोग गले वरमें गाड़मके लिये ले जाते है। शवदा करने पति है मौका विद्या है, कि यहां का प्र.वि.) १ बयोभूत, धोन, मातहत। २पना. तापसोके साथ गा पा मिलो है। मुवती, या पावन्द ।