पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४३२

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४२८ सावेदार-तामस ताबेदार ( प. वि.) पासाकारो, टहन करनेवाला। साममशास्त्रका विषय पत्रपुरा में इस प्रकार लिखा है- सायेदारी (फा० स्त्री० ) ( मवकाई, नौकरी। २ सेवा, पाशुपत नामक शेवशास्त्र, कणादोन महत् वैशेषिक टल। शास्त्र, गोतमोत न्यायशास्त्र, कपिलोत सांख्य, जैमिनि- ताम (म० ५०) ताम्यतऽनन तम करण पत्र । १ भोषण, कथित मोमांसा, वृहस्पतिकथित चार्वाकशास्त्र, बुधुरुपो डरावना, भयङ्कर । २ दोष, विकार। ३ मनोविकार, विष्णु कथित बोदशास्त्र, शङ्कगचाय कथित मायावाद- व्याकनता, बैचैन।। ४ दुःख, वंश, कष्ट । ५ ग्लानि, युक्त वेदान्तशास्त्र, ये मभो ताममशास्त्र है। इनके श्रवण लज्जा।६ पाप। करनेमे शानियोका भौ पातित्य होता है। इन तामम- ताम (हि. पु.) १ क्रोध, गुम्मा। २ अन्ध र, धेरा। शास्त्रमि वैदका यथार्थ अथ तिरोहित हुआ है और तामजान ( हिं० पु०) एक प्रकारको छ।टो खुनो । इममें कर्ममात्र हो त्याज्य है जोपत्मा परमात्मा ऐक्य पालको। प्रतिपादित हुआ है । ब्रह्म का श्रेठरूप निगुग रूममें ताम: (हि. वि० ) १ सिमका रंग सविसा हो । (पु.)। दशित हुआ है जग नाश के लिए कनियुगमे उन २ जद रंगका एक प्रकारका पत्थर । ३ एक तरहका शास्त्रको उत्पत्ति हुई है। कागज । ४ खल्वाट मम्तक गजेको घोपड़ी। कूम पुराणमें लिखा है, कि तामम तन्त्रका विषय है। तामर (स' क्लो.) सामग्लानि राति वा । १ जन्न इस जगत्में श्रुति और स्मृति के विरुद्ध जो शास्त्र हैं, वे पानी। २ हत, घो। सभा तामस हैं। कराल, मरव, यामल, वाम-ये मभी तामरम (स क्लो०) तामरे जले सम्तोति सम-ड १ पद्म, ताममशास्त्र हैं। कमल । साम्यतऽमन रस्यते पति रम' कर्मधा । २ म्वण , अष्टादश पुराणों में छह मात्विक, छह राजम और छह सोमा । ३ ताम्र, ताँबा । ४ धुम्त र, धतूग। ५ मारम। तामम हैं। जिनमें मत्मा, कूम लिङ्ग, शिव, स्कन्द ये ६ छन्दोमेद, एक छन्दका नाम । इसमें बारह अक्षर हर्ति छह साममपुराणाम शिवका माहात्मा विशेषरूपसे हैं। ५।८।११।१२ वा वर्ण गुरु रहता है। कोर्मित इत्रा है। तामरमो ( स० स्त्रो० ) तामरस डोप । पद्मिनी। विष्ण नारद, भागवत, गरुड़, पन, बराह य छह तामस्तको ( स० स्त्रो० । भूम्यामलको, भू-विला । साविकपुराण हैं इन सात्विकपुराणों में विष्णका माहात्मा तामलिग (म पु०) देशभेद, एक देशका नाम । कहा गया है। तामन्निन्त्रक ( स पु. ) तामलिन स्वार्थ कन् । तमलुक ब्रह्माण्ड, ब्रायवैवत, मार्कण्डेय, भविष्य, वामन बना देश । ये छह राजमपुराण हैं। इनमें ब्रह्मका माहात्मा वर्णित तामन क (हि.पु. ) ताम्रलिप्त देखे।। है। (मत्स्यपु.) तामस ( म पु०) तमम्तमोगुण: प्रधानत्वं नास्त्रस्य ति कणाद, गौतम, शक्ति, उपमन्य, जैमिनि, दुर्वामा, अण् । १ मर्प, सांप । २ खन, दुष्ट । ३ उल क, उल्ल । मृकण्ड, वनस्पति, शुक्राचार्य जमदग्नि, ये सव तामम ४ चतुर्थ मनु, मन्वन्तरमै विष्णु के अवतार हरि; इन्द्र मुनि थे। गोतम, बाई म्पत्य, सामुद्र, यम, शक, प्रौशनस विगिरव, देवता वतिगण, ज्योतिर्धाम प्रादि समर्षि, ये सामस स्मृतिया है। वृषख्याति नरादि मनुके पुत्रगण । (माग० ८ २० अ०) मनुष्यों को स्वभावमे हो नान प्रकारको श्रद्धा होतो ५ क्रोध, गुम्मा । ६ अन्धकार, अधेरा । ७ अज्ञान, मोह। है - सात्विको, गजमो पोर ताममो। जो लोग भूत ८ एक शस्त्र का नाम । और प्रेतादि पर बहा रखते ओर उनको उपाममा करते (त्रि०) तमोगुगायुक्ता. जिसमें तमोगुण हो । १० तम-है. उनको ताममो अजा ममझनी चाहिये। प्रधानगुणक. जिमका तमोगुण प्रधान हो। तमोऽधिकत्य उसके सिवा आहार, यज्ञ, ता, दान आदि जगत्के प्रवत्त पण । ११ तमोगुणाधिकार हारा प्रवत शास्त्रविशेष सम्मणे कार्य हो तोम प्रकार के होते हैं। पाईपक्क तथा