पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४३५

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तामसध्यान-वामिल चारों तरफ पनिष्टराशि उपस्थित होती है। राहुः समित' वा 'तमि" रूपा हो गया है। पूर्वनियमानुमार सतोंमें यदि शिी और काल काटिकवशिष्ट गहुका द्रावित शब्द पालि भाषामें दमिलो तगा उसमे नामिरवा दर्शन हो, तो पूर्व वत्फल होगा। सूय बिम्बस्य कंतु जहाँ तामिल हुआ है। शगवार्य के चारोग्कभाष द्रमिल जहां दिखलाई देंगे, वहां वहाँके राज मोका पमल शब्दका उल्लेख है । इस मिल शब्दका तामिल व्याकरणा- होगा। सूर्य मण्डल में यदि दण्डा'त तुसंस्थान दिख- के अनुसार तिरमिड़' क्या होता है। किसोके मतसे लाई दे, तो नरपतिको मृत्यु, और कवन्धम स्थान दोख म तिरमिड़ शब्दसे भो तामिल शब्दको उत्पत्ति हो पड़े, तो व्याधिका भय हाता है। ध्वांहाकार दोखनेसे सकती है। चोरीका भय तथा कोलकाकार दोखने पर दुर्भिक्ष होता प्रसिद्ध पाश्चात्यपदार्थ वित् मि० मिनिने ईसाको सो है। (वृहत्संहिता ३ अ०) केतु दखा। शताब्दोमें इम तामिल देशका तरपिना ( Tropine.) ताममध्यान ( म क्लो०) वट भैरवका ध्ये यरूप भेद। नाममे उल्लेख किया है तथा तत्य र्ववर्ती भूवत्तान्तमूलक वट कभैरवका ध्यान तीन प्रकारका है-त्वक, राजस पिटिन'को तालिका में दमिरिक ( Damirice ) नामसे और तामस । (तन्त्रसा. ) इमका उल्लख मिलता है। तामसमद्य ( म० को०) कई बारको खींचो हुई शराब। नामक ण । -जैना के शत्र अयमाहात्मा (७१)-में लिखा है-- तामसवाण ( म पु० ) एक शस्त्र का नाम । 'इतश्व वृषभस्वामिसूनुद्रवित इत्यभूत् । तामसमन्यामी ( स० वि० ) जो गाईस्था धर्म को छोड़ यत्राम द्रविदो देश: पप्रथे बहुशस्यभूः ॥" मोक्षको कामना के लिये वनमें धूम घूम कर तपस्या करते । यहां श्रादिनाय ऋषभदेव के द्रविड़ नामक एक पुत्र हैं, वे हो नामसमन्यासो कहलाते हैं। हुए थे, जिनके नामसे बहुशस्य पालो यह द्रविड़ देश तामसिक (स० वि०) तममा तमोगुणेन नि त तामम. प्रसिद्ध हुआ है। किन्तु महाभारत, हरिवंश भादिक ठा । तमोगुणका कार्य । तामसा देखो। मतमे द्राविड़ नामक जाति के वामके कारण रम जनपद ताममो (म स्त्रो०) तमोऽधकारप्राधान्य न पम्ति का द्रविड़ वा द्राविड़ नाम पड़ा है। मनुसंहिता पादिके अस्यां तमस-अण, स्त्रियाँ डोष । १ अन्धकारबहला मतसे द्राविड़ जाति पहले क्षत्रिय थो । वेद तथा बाह्मण रात्रि, पन्धेरो रात । २ महाकालो । ३ जटामांसी, बाल दर्शन न होने के कारण वे वृषलत्वको प्राप्त हुए थे। छड़। ४ तमोगुगायुक्ता. वह जिसमें तमोगुण हो । ५ एक (मनु ११४४ ) प्रकारको मायाविद्या । शिवजोने निकम्भिला यससे इसके मिवा आदि मे लिखा है, कि विश्वामित्र जब प्रसव हो कर इसे मेघनादको दिया था। इस विद्याक वशिष्ठको कामधेनु नन्दिनो को ले गये, उस समय प्रभावसे मेघनाद अदृश्य हो कर युद्ध करता था । (गमा) नन्दिना प्रस्रावमे द्राविड़ों की उत्पत्ति हुई। तामालेय ( म. वि. ) तमाल संख्यादि० ठञ्। तमाल "असृजत् कान् पुच्छान् प्रसावाहाविडांछकान् ।" वृक्ष पासा भाग। (आदि ११७५३) तामिन · दक्षिणापथ को दक्षिणप्रान्तवामो एक विस्तीर्ण इधर जैनोंक श यमाहात्मामें लिखा है, ऋषभ जाति और उनको भाषा। पुत्र द्रविड़की मन्तान हा द्रावि, नामसे प्रसिद्ध दुई तामिल शब्दका सस्तरूप द्राविड़ है। मनुमहिता, था। ( शत्र जयमा० ॥२) महाभारत आदि प्राचीन ग्रन्यों में, द्राविड़ नामक जनपद जनपदका अवस्थान-महाभारतके निमालिग्वित रोकों के और वहाक अधिवासियोका द्राविड़ नाम उल्लेख है। इमाकी म शताब्दी में चीन-परिव्राजक युएननुशंग द्राविड़ शब्दका म गधो-( पानि )-रूप दमिलो * है। द्रावि दे में आये थे। उन्होंने इस स्थानका 'चि-ो-लो' (Chi- तामिल भाषामें 'द' को जगह 'त' होता है. मतासे nmolo नानसे लेख किया है, जिसका इस देशका 'दिम'

  • महावंश, २१ परिच्छेद ।

वा 'दिमर' होता है।