पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४४०

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५३६ ताम्बूल सिंहल, पार ब्रह्ममें पत्ते के लिए इसको खेतो होतो है। काफो होता है । तो भी लोग दम ही खेतो उतनी नहीं बहुतांका अनुमान है *ि यवतोप पानका प्रादि वामस्थान करते। है, वहों में यह मयंत्र फल गया है। ___गभारत -माज को पिता पर प्रदेश में पानका पानी के खतो बड़ो कष्टमाध्य है। इसके खेतमें ताप आदर अधिक है। इमान । ५१को खेन में भी लोगांका पौर रमका परिमाग बगवर ममान रहना जरूरी है। प्राग्रह ज्यादा पाया जाता है । इम देशमें जो लोग पान. किमानका मेगा देख भाल रखनो पड़ता है। स्थान को खेतो करते हैं, वे 'बरे' नाममे प्रमिल हैं। पानके भेदम इमको खेतामें कुछ कुछ पार्थ क्य है। मन्द्राज के खेतको यहां बरोजा कहते हैं। कहाँ कहीं 'पानका कोडम्बातुर जिले में पानको खेतो काफो होती है, वहाँ टगडा' भी कहते है। पानको लता बड़ो कोमल होतो है जमानको काम लायक बनाने के बाद उसमें दो फुट नाड़ा और बहत कम उत्ताप वा आलोकसे नष्ट वा दूषित हो नाना ग्वोद कर मेड़ बना देते हैं, जिमका प्राकार ठोक जाती है। यदि अच्छी तरह देख भान रवी जाय पामोका होलोर या लसर जमा हो जाता है । भाद्रमाम में तोलाभमें दो वर्ष का परियमफल मिन्नता है। पाना इन में डोके किनारे मौलमिरो के बीज बोये जाते हैं और खेन बाम और टट्टियांमे इस तरह ढक दिया जाता पाखिनमाम तक सम को जड़म पानो भो दिया जाता है, कि जिमसे फिर पानां पर धप ओर जोरको हवा न है। उसके बाद दो वर्ष के पुराने पानके पाधोंको उपाट नगे। पानको लताओं को ढकने के लिए और लपेट कर ? र उनको एक एक गांठसे एक एक ट, कड़ा बनात हैं। चढ़ाने के लिए बड़े बड़े पत्तांवाना अरुणवृक्ष बोया जाता प्रत्येक मौलसिरोके नोचे दो टकड़े गाड़ देते हैं । प्रथम है। यहाँ पानका बरोजा बहुत बड़ा होता है और खेत १५ दिन तक एक दिन अन्तर पानो देते हैं । पोछे मप्ताह हमेशाके लिए रक्त है. तया जितने भो किमान है, में एक बार पानी दिया जाता है भोर मी तरह तोन मभी कई एक बराजको जमान बॉट लत हैं। यहाँ महोने बोत जाते हैं। उसके बाद माघमाम प्रारम्भमें बरोजाके भीतर बहत तगेरजर्ममें गमियों में व्याघ्र आदि गोबर, राख पत्यादिको खाद देते रहते हैं। नाले के अपर जानवर आवित हैं। यहां भो २ वर्ष तक पानको जमो हुई मिट्टी को उठा कर खादके ऊपर देत हैं। खेतो होतो है। प्रथम वष को उटक और द्वितीय वर्ष इसके बाद पानको लतामों को उता मालमिरो के पौधोम को करवा कहते हैं। पहला फपलको हो कीमत ज्यादा बाँव देते है। एक वर्ष तक इसी तरह लताको वृद्धिक होता है। नोभार जिले को खेम कुछ फाक है। यहाँ माथ माथ किमानको उसे बांधना पड़ता है। एक बार खेती करनसे १२ वर्ष तक फमल होता वर्ष के बाद लसा अपनसे हो उस पर लिपट कर चढ़ है। यहांको खेतो मन्द्राज की तरह होती है। मोल मकतो है । प्रसाद सावन में फिर खाद देनी पड़ती है।। मरो के बदले यहां मावा' वा जयन्तीवृक्ष लगाते हैं। प्रथम वर्ष के बादसे हो प्रतिदिन जड़के पामक पत्त । खेतके चारों ओर ‘पाङ्ग' या मदारको खटियाँ गाड़ टोरते हैं। इस तरह १६ महोने तक पत्ते तोडे जा कर बाड़ी लगा देते हैं। जयन्तोवृक्ष के सूव जान पर सकी है। गुग्गुल के पेड़ लगा देते है। दश बारह वर्ष बाद वे ___ महत प्रच्छे खेतमें बीधा पोछे हर महोने ५ कोणि बरोजा बदल डालते हैं। अन्यान्य स्थानों से यहाँको खेतो पान होते है । १०० पत्तोका १ कत्तस ( गुच्छा ) परिश्रम और पड़चने कम परतो है। होता है, २५ क त समें पालागि और ८० पालागिमे १ गाल-बङ्गालमें जो खोग पानको खेती करते हैं। कोणि होता है। प्रति पालागि । के भावसे बिकती है। वे 'बार' कहलाते हैं। ये 'तामलो' या ताम्ब लो जातिः इस साह प्रति बोध में हर महीने २०, के पान होते हैं से पृथक और निमाणोके होते है। पानक खेतको और १६ महनिमे ३२०० रुपयेको फसल होतो है । यहाँ 'बरज' करते हैं। बरज देखने में अच्छा होता है। पानको खेतोम जैसा परिश्रम परता है. वैसा लाभ भी यहॉ वर्षमान नामक स्थानमें था गाकि निकटवर्ती