पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४४१

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४३७ स्थानमें इसको खेती पधिक होती है। उलुबेडियाके कीचड़ का चूरा, सरमों को खाली प्रादि पानके लिये बहन निकटवर्ती बाटल ग्राम के पान भबसे उमदा होते हैं, उमदा खाद है। डोको दुलो लताको नष्ट कर इमलिए यहींको खेतोकी ताकोब लिवो जाती है। देती है। बरजमें मैला पामो न देना चाहिये। बङ्गालमें तोन प्रकारके पान होते हैं-'मांचो', वा ग्वामा, बरजम पानोका जमना भो अनिष्टकर है। पानको लता- कर्पूरकाठी और देयो वा बङ्गला। कपूर काठो पाम में निम्नलिखित दोष लग जाते हैं- खान में मोठा और कर्पूरगन्धविशिष्ट होता है। इसको दाग लगना-पानक पत्तों पर काले काले दाग खेती बहुत कम होतो है; खेतो ज्यादा होने पर भी यह लगना। यह दाग क्रमशः पायतन में बढ़ता रहता है कम उपजता है। और पत्ते नष्ट हो जाते हैं। __पानका बरज किसी तालाब वा नहरके निकटवर्ती पान के डण्ठनाका काला होना और अन्समें पत्त ऊंचे स्थान पर होना चाहिए। इसके लिये चिकनी मिट्टो का जाना । हो अच्छी है। बरजमें घास प्रादि नहीं होने देना। ३। मुरझाना-पत्ताका क्रमश: मूरख कर मुरझा जाना। चाहिये, होने पर जड़मे उखाड़ देना चाहिए । मिट्ठोको । पत्तों के किनारे लाला हो जाना । १ या १॥ फुट तक फाड़े से कर चागे तरफ नाले खोट ५। पत्ते के किनारों का मुड़ जाना । दें और ऊँची बाड़ बना दें। नये बरजमें तालाबका ये रोग मिर्फ पत्तों में लगते हैं। पर देना पड़ता है। मिट्टके डनोको फोड़ कर नति- ६ अङ्गारी-यह मक्रामक पोड़ा है, यह लताकी बार कमॉचियाँ गाड़ देनी पड़तो हैं। उन कमाँचियोंके गों में होता है, जिममे लता क्रमशः कालो हो कर सूख पास ही नागरवेल (पान)को एक एक गॉठ गाड़ देवें; जातो है। जिपनाम पारो रोग लग जाय और कमांचियाँ ४५ हाथ अंचो होनी चाहिए। बनके उममे यदि अन्य लताका सम्पर्क हो, तो उसमें भो यस अपर चारों तरफ मनकटो का दो तो है। टट्टियाँ को गेग लग जाता है। इस गेग हान पर उस लताको मजबूत करनकं लिए बोच बीच में बौम के खेटे गाड़ वमे तुरन्त उदाड़ देना चाहिये और जड़की कुछ दिये जाते हैं। 'गोंज' अर्थात् जो कमांचियां गड़ो जाता मिट्टो भी निकाल कर फेक देनी चाहिये। हैं, उनकी एक पंक १८ इञ्च और एक पंक्ति १७ च ७। 'गान्दो' वा गांठो' - ल में गान्दो रोग लगने अन्तरमें होती है तया १८ इञ्चका पति म आमने सामन पर उम को जड़ लाल हो जाती है और अन्त में सूख दो गोजो'का अग्रभाग खींच कर एकत्र बांध देते हैं। जातो है। पानको गांठ २७ इञ्च दूरको कमचो ( गोंज )के नोचे उक्त रोगाम लहसुनका रम मिट्टी के साथ मिला कर गाड़ते हैं। एक एक गाँठ एक हाथ या एक फुट लम्बो उस मिट्टोको लताको जड में देना चाहिये। इससे लाभ काटी जातो है । इमे तिरछो गाड कर खज के पत्तोंसे होता है। ढक देते हैं। जेठसे लगा कर कातिक तक रोपण कार्य उद्दिष्या-यहां भो सङ्गालको तरह खेतो होती है। एक के उत्पन्न होतं हो उतना कमचियोंक एक लतामे ५०.६० वर्ष तक पत्ते तोड़े जा मकते है। साथ मूजसे उसको वाँध देते हैं । पोछे घरज के ऊपर तक इस तरह उडिष्यामें बोघा पोछे खर्च बाद दे कर मालमें पहुंचने पर उमको नोचे को तरफ मुका देते हैं। बोच ४००) मे ४५० रुपये तक लाभ होता है। बीच में तालाबका पङ्क और पौधा आदिको सड़ा-सुखा कर रम्बई-यहां पानको खेतोका उतना आदर नहीं जड़में देते हैं। इस तरह प्रत्ये क बार मिट्टी दे देते होता। पहमदनगरमें पान के पत्ते ३ वर्ष से पहले नहीं 'बरज' विलक्षण ऊँचा हो जाता है। वोटुल ग्राममें तोड़े जाते। यहांको खेती मन्द्राज जैमी है । ८ दिन एक एक पुराने बरजको अमोम रकमंजिले मकान के अन्तर देकर पत्ते तोड़े जाते हैं। बराबर अ'ची हो गई है। गोबरका चूरा, तालाबके पूनामें पामके खेतको पानमाला कहते हैं। यहां Vol. I. 110