पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४५०

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अन्तमें उसका रंग बदन कर चिल्कल सफेद हो जाता जो ताँगा जवापुष्पको तरह लाल, सिन्ध पोर कोमल है। उसके बाद ठण्डा हो पर उपका रंग सुनहरी हो है, जो प्राघातसे नष्ट नहीं होता। पोर जिसमें लोहा वा जाता है। इमोको .. golil कहते हैं। मोमा मिना नहीं रहता वही ताँवा उत्तम है पोर ५। Mimirim goli-यह धातु भी प्रिन्सम मारणके लिए उपयोगी है। धातुके ममान है, पर उपादानके भागामें कुछ तारतम्य | जो तौबा काला, हवा, अत्यन्त स्वच्छ वा सफेद और होता है। आघातमे नष्ट हो जाता है; तथा जिसमें लोहा और ६ | Tonipat -- ८४५ भाग तॉबा पौर १५५ भाग मीमा मिला होता है, वह ताँ वा दूषित है। ऐसा ताबा जम्ता मिला कर वह धातु बनाई जाती है। यह कहना मारण के लिए मम्म गा अनुपयोगी है। प्रत्य क्ति नहीं, कि इमक ममान वारसद धातु और दूमगे तॉबको शोधनविधि-तॉबे का बहुत बारीक पत्र बना नहीं है। इसका तार भी बहुत महोन और बढ़िया वार उसे पागमें जलावें। पोछे उमे ज्वनन्त अङ्गारवत् बनता है। तप्त अवस्थामें तैल तक, कांजो. गोमूत्र और कुलथोका ____७ lmmitation bronze -ये दो बस्तु भो। काथ, इन सब मिसे प्रत्य में तोन तीन बार डुबाने प्रन्सम धातु के ममान है। भागामें इतना तारतम्य है। पर तोबा विशुद्ध होता है। कि इसमें ६६ भाग तांबा पड़ता है और ३२ भाग जम्ता। अशोधित ताम्र विषमे भो ज्यादा अनिष्टकर है। रमका रंग साफ पोला है। इससे मूर्तियां बना | क्यांकि विषमें तो मिफ एक हो प्रकार का दोष है और करती हैं। बिना शोधे हुए तॉबेमें ८ प्रकार के दोष भी हैं। अशोधित ८। कॉमा (fiell-metal or pronman) काम्य देखो। ताँबेके मेवन करनेमे भ्रम, कं, दस्त, पमीना, उरक्लोद, टोम्बक धातुको पोट कर उममे .. पञ्च मूळ, दाह और अरुचि उत्पन्न होती है। यह पष्टदोष- पतलो चहर बनाई जा सकती है। हम तरहको पतन्नो युक्त ताँबा ही एक मात्र विष है। चहरको "गोलन्दाजी धातु" ( Dutch metal ) कहत ताम्र की मारणविधि -तांबेको पतनी पतली पत्तियों है। बोञ्जरग और ब्रोनचुण भो इमो पोलम्दाजी को पागमें जलावें, फिर सान दिन अम्लमें डबो कर खरल धातुको बिरोजा और पाना के साथ पोम कर बनाया जाता में डालें और उसमें चतुर्थाश पारद डाल कर अलके है। कहीं कहीं तेल के साथ भो पोम लेते हैं। हारा एक प्रहर तक घोटे। पोछे खरलमे निकाल ताँबा प्रति पवित्र धातु होने के कारण, हमारे देशमें लें। फिर दूना गन्धक अम्न हाग पोम कर उन साम- देवपूजाके सम्म न बरतन प्रादि इमोसे बनते हैं, जैसे पत्रोंको लेप कर गोलकाकृति करें तथा स्वरस (पदरख), ताम्रकुंण्ड, घट, घटी, पप्पमात्र, जनशङ्ग प्रादि । सांबेके | हिलमोचिका वा पुनर्ण वा पोस कर कल्क बनावें । उस पुष्पपात में नाना प्रकारके नक्शे खुटे हुए होते हैं। कल्कके द्वारा उक्त गोलकर्क जपर दो अंगुल परिमित लेप रिन्टप्रोमा विखास है, कि कलिकालमें तॉबके पात्र पर दें। उसके बाद उस गोलकको एक पात्र स्थापन करें रख कर भाजन करनेका निषेव है. किन्तु मुमलमान लोग और बालुका हारा उस पात्रको भर कर उसका मुह एक प्रायः हमेशा तबिका बना काममें लाते हैं। वे डा. मरबेमे ढक दें। फिर मिट्टो, नमक और पानी एक साथ डगवी, रकाबी वगैरह सभी बरतनों पर कलई चढ़वा | मिला कर पात्र भोर सरबके बीचको सेधको बन्द कर लेते हैं। तंबाकू रखने के लिए वे बड़े बड़े सबिके हडे दें। पोछे चूल्हे पर चढ़ा कर चार प्रहर पर्यन्त अग्नि काममें लाते हैं। के उत्तापमें पकायें। पम्नि के उत्तापको क्रमशः बढ़ाते पायुर्वेद, ऐलोपाथिक, होमियोपाथिक, कोमी और रहना चाहिये । इस तरह पाक करके, थोतल होने पर, पवधौतिक चिकित्सा-प्रणालोमे गामा तरहसे पोषध | गोनकको निकाल कर जिमीकन्दके (पोलके) रसमें एक लिए तबिका व्यवहार होता है। | प्र तक घोटें और फिर उसे पोसके भीतर भर दें।