पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४७

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हाताने किन्तु इस बातको मं मान कर वैविवार राजन रुपये सेनामा उपायोका अवलम्बन वार अच, की गतिको रोकने मांग बैठे। लगे।बड़ेबाट बबाविसने जब देखा कि, टीपू माज विवार राजने पर्वत पोर समुद्रके मध्यवर्ती अपने में वशीभूत नही गोंगे और उनको बय करना भी राज्यको उत्तर सीमाका दुर्ग तुड़वा दिया। पब तक सामान्य बात नहीं, तब उनीने खयं को सुरक्षेत्र में टीपू विवाह र जय करने के लिए विशेष प्रयत्न कर सर पवतरण किया । ये महिरक गिरिपाट मुमलोपाट थे, पब तक विवाद राज्य दुर्भद्य था, किसी भी तरफसे पार गये, वहाँसे उन्होंने कोयलये बंगार यावा बो। शव के पानिका मार्ग नहीं था। अब मौका देख कर यहां टीपूके साथ धोरतर युग होने लगे। १५१ . टोपूने सेना बढ़ाई। २० मार्चको गतको गन पोने परमात् दुर्ग पाममण १७८८० के २८ दिसम्बरको उन्होंने विवादर पर किया । निजामको प्रा१.... ना पाकर लार्ड पाक्रमण किया । मद्राज-गवर्मेण्ट उसका कुछ भी प्रति कर्नवालिसके साथ मिल गई। बड़े शाटने उस महतो बाद न कर सको । त्रिवार राज्य पर पाक्रमण होनेका सेनाके साथ श्रीरंगपत्तनको तरफ यात्रा की। अप्रेज सम्बाद पाकर मामाफड़नवोपने टोचूकं विरुद्ध युद्ध करने मेभापति पबरकम्बो उनके साथ देने को पग्रसर हुए। के लिए १७५० ई. के मार्च मासमें अंग्रेजोंसे .सन्धि कर सम विषम विपदक समय टीपू ने जब देखा कि महा. लो।जलाई मास में निनामके साथ में शशि सनक विका पारखी है जिसका प्रतिरोध करना मन्धि इ । बर्ड लाट कर्न वालिमन महाराज उनको हैसियतसे बाहर है, सब वे अपनी समस्त सेना- सेनापति मेडोज पर मैन्य परिचालनका भार दिया। को एकत्र करके राजधानीक रक्षार्थ यत्नवान् हुए। १३ १५. ई०को २६वों मईको १५००० मुदा ममा पलको परिर्करा नामक स्थानमें शव पोंकि सास भीषण से कर ग्रेज सेनापति त्रिधिनायबी मे चल दिये। वर्षगा एमा। २१ जुलाईको सेनानं कोयम्बातुरमें उपस्थित हो १३ अमोलकी रातको बड़े लाटनं दुर्ग अधिकार कर कुछ दुर्ग पर कमा कर लिया। मेम्बरके भीतर ही करने की चेष्टा को।१४ पमोलको दुपारको समय चोर भीतर पालघाटचेरी और दिन्दिगुम्न नकि अधिकार सर युधकं बाद टौप पराजित हुए। किन्तु सार्ड कर्म- में पा गया। अब वह विपुलवाहिनी महिमूरको मोमा ___ वालिमके जयलाभसे विशेष कुछ लाभ नहीं पचा। उन- पर उपखित हुई। टीपू सुलतान भी निश्चित नहीं थे, वो मेनाका रसद निवट गई. इसलिए उन्हें पौधे उन्होंने विपुल विक्रमी शतकी गति रोक कर ज. लौटना पड़ा। इस समय मौका पाकर टोपने वनको मेनापति कर्नल कापड पर पाक्रमण किया। 'ग्रंज. मालगाड़ियों और भण्डार लाट लिया। सेनापतिको पीठ दिखा कर भाग जाना पड़ा। यहां तो सम समय बड़े लाट बड़े साटने पड़ गये। इस जी सेना टोपूका कुछ कर न सकी, पर उधर मल समय यदि ग्रेज सेनापति कालान लिटल, परशराम- बार उपकूलमें कर्नल हारनिने टीपू सेनापति इमेन- रावारा परिचालित. महाराष्ट्र सेनाकै साथ बाबर अशोको परास्त कर दिया। सहायता न करते तो शायद उस पभियानसे वे लौट कर ___उधर महाराष्ट्र-सन्योन बम्बईको अंग्रेजी सेनाकं न पाते। कुछ भी हो, दूसरी बारके बुराव भो कुछ फल साथ मिल करके टीपू पन्ध सेनापति वदरसा जमान् नहीं था। पबकी बार टोपूको चारो तरफसे पाक और कुतुब-उदोन्को पराजित कर धाग्वार दुर्ग अधिः मण करनेके अभिप्रायसे परसरामराव पौरकतान लिट्स. कार कर लिया, पर निजाम सेनासहित कपालदुर्ग में बहुसंख्यक मेगा से कर सत्तर-पत्रिम, निजामने पौर बहादुरबन्द अधिकार करने को अबसर ए, इसी पपनी और पंजौ सेना ले कर उत्तर-पूर्व तथा लाई प्रकार चारों पोरसे पाकान्स हो कर भी दृढ़प्रतिन्त्र टीपू कनवालिसने महाराङ्ग वीर परिपके साथ मनभाग किसी ससस विचलित नहीं एपस पहल सास- पामर किया। ..