पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/४७०

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४६६ ताराइट-तारानाथ माताको शाप देने के लिए तैयार हा, तब ब्रह्माने उसको २ पञ्जाबके नालगढ़ राज्यके अन्तर्गत एक गिरि- निषेध कर तारामे पुन: पका--" तारे ! तुम सच मच कह दुर्ग। यह प्रक्षा० २९.१० उ० और देशा• ७६५० दो यह पुत्र किम का है " तागने हाथ जोड़कर कहा- पू०के मध्य सहनदीके बायें किनारे अवस्थित है। "यह महात्मा कमार दम्य रन्तम भगवान् मोमदेवका १८१४-१५ ई० में युद्ध के समय गोरखा सेनाने इस दुर्ग में पुत्र है।" यह सुन कर प्रजापति मोमदेवने अपने पुत्र प्राथय लेकर गरेजों के विरुद्ध युद्ध किया था। को ग्रहण किया और उमका नाम वुध रकवा । यह वुध तागग्रह ( म पु० ) मङ्गल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि अब भी गगनाइनमें चन्द्रको प्रतिकन दिशाम उदित नपाँच ग्रहोंका समुष्ट। होता है। तागचक्र ( म क्लो. ) ताराणां चक्र', ६-तत् । तन्त्रोक्ता मोमदेव इम पापमे महमा राजयक्ष्मागेगमे पाक्रान्त चक्रद। इस चक्रडारा दोक्षणीय मन्त्रका शभाश भ हो दिन दिन सोणमगडन होने लगे । अन्तमें चन्द्रन इम जाना जाता है। नक्षत्र और दीक्षा दरो। को शान्ति निमित्त अपने पिताको शरण लो । माता . , ताराचमन (म० को०) तारायाः आवमनं, ६ तत् । तारा- प्रविन इनके पापको शान्ति कर दी। पीके चट पाम पूजाविषयक प्राचमन । तारापूजामें यह पाचमन करना हो कर पूर्ववत् दोनिशानी और पूर्ण मण्डल हो गये। पड़ता है। ताग देखो। अतिमध्य चक्षुका ताग, बांग्वकी पतलो पर्याय- साराचरण व्याम-पिन्दकि एक अच्छ ग्रन्थकार। ये कनोनिका, तारका ओर बिम्बिनी । .१८८८ ई०के लगभग विद्यमान थे। इन्होंने नाथानन्द- प्रकाशिका नामक ग्रन्य रचा है। ७ बुद्ध अमोघमिडको स्त्री। ८ जनशक्ति विशेष ।। तागज (सम्बो एक वराज । (ऋ. प्राति १५॥४) माराकूट (म'• लो०) ताराणां कूट', ६-तत्। तारा तागज ( फा० पु. )१ लूट पाट । २ नाग, बरबादी। विषयक कूटभेद, फलित ज्योतिष में वरकन्या शुभा- तारात्मकनक्षत्र ( स पु० तारोंका ममूह जो पाकाश. शुभ फलको सूचित करनेवाना एक कूट। इसका में क्रान्तिकृत्सके उत्तर और दक्षिण को भोर रहता है। विचार विवाह स्थिर करनेके पहले किया जाता है। इम समूहमें अखिनो भग्गो पाटि है। विवाह और नक्षत्र देखो। नाटियो (म स्त्रो०) १ एक महाविद्या। तारा देखो। ताराक्ष ( स० पु० ) दैत्य भेट, एक देत्यका नाम। २ हिमालयका गहरा और अन्धकारमय गूढस्थान तारकाक्ष देखो। तथा भाषण दृश्वका एक गिरिशृङ्ग जो शिमलाके निकट तागगञ्ज-बङ्गापुर जिलेके अन्तर्गत एक ग्राम। यहां विद्यमान है। ३ जैनों की एक शामनदेवी। धान, पाट और तमाकूका व्यवसाय अधिक होता है। ताराधिप ( स० पु० ) ताराणां अधिपः, ६-तत् । १ चन्द्र, तारागढ़-१ अजमेर के मैरवाराके अन्तर्गत एक गिरिदुर्ग। चन्द्रमा। तागया: अधिपः । २ शिव, महादेव । ३ वह यह यक्षा० २६२६२. और देशा० ७४४०१४ पू०में स्पति। ४ बालि और सुग्रोव । ५ नक्षत्राधिप, अखि, अवस्थित है। अजमेरको ओर शैलशृङ्ग जिधर ढाल यम प्रभृति नक्षत्रों के अधिपति । तारा देखो। हो गया है, उधर हो यह दुर्ग अवस्थित है। इसके ताराधोश ( म० पु० ) तारायाः अधोगः, ६-तत् । चारों ओर दुर्भा प्राचौर हैं। पूर्व ममयके सभी राज- ताराधिप देखो। गण मी दुर्भद्य दुर्ग में रहते थे। राधोन पोर चौहान- तारानगर-बाद प्रदेश के अन्तर्गत एक प्राचीन ग्राम । के साथ जब लड़ाई छिड़ी थी, तब १२१० ६०में जहां (भ• ब्रह्मख० १९४०) मै.यद हुमेनन प्राणत्याग किया था, वो तुङ्गमङ्गके तागनाथ (स.पु.) ताराणां नाथः । १ चन्द्र चन्द्रमा । अपर उनको भी एक सुन्दर मसजिद बनी है। अभी २ तिब्बत के एक सुप्रसिद्ध बौडपगिडत । इन्होंने १७वों नमोगवादके चंगरेज सैनिक लोग यहां वायुसेवनको शताब्दी में एक बौद्धधर्म का इतिहास रचा है। भारतीय पाते है। पुराविदगव नका यथेष्ट पादर करते है।