पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/५०५

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तिजारत-तितिक्ष तिजारत (प. स्त्री०) बाणिज्य, व्यापार, रोजगार। तिड़ो (हि. स्त्रो० ) तोन बूटियोका ताशका पत्ता। तिजारा-राजपूतामाके पन्सग त पलवार राज्यका एक तिण्टो (सं. स्त्रो०) त्रिवत, निशोथ । शहर । यह पक्षा० २७५६ उ. और देशा० ७६५१ पू० सिण्डिवनम् --१ मन्द्राजके पारकट जिलेका उपविभाग । अलक्षार नगरसे ३० मोल उत्तर-पश्चिममें अवस्थित है। इसमें तिगिडवनम्, तिरुवनमलय और विस,पुरम नाम: लोकम'ख्या प्रायः ७७८४ है। इस स्थानसे राजपूताना के तोन तालुक लगते हैं। मालवा रेलवेका खैरताल सृशन बहत ममीप है। कहा जाता है, कि तेजपाल नामक जादो राजपूत इस शहर. २ मे १२२८ उ० तथा.देशा० ७८१३ मे ८० पू०के के प्रतिष्ठाता है। कृषिकार्य, वस्त्र बुनना तथा कागज मध्य बङ्गालको खाडीके किनारे अवस्थित है। भूपरिमाण प्रस्तुत करना यहाँके अधिवामियोका प्रधान उपजाविका ८२६ वर्ग मोन भोर लोक 'ख्या लगभग ३१६०१८ है । है। यह शहर मेवात राज्यकी प्राचीन राजधानी है। इनमें एक शटर घोर ४७२ ग्राम लगत। यहाँ म्युनिम्पालिटिका बन्दोवस्त है। शहर के दक्षिणमें ३ उक्त तालुकका एक शहर । यह पक्षा० १२१५ भरतरो नामक प्रमिद पठान समाधि विद्यमान है, जो उ० ओर देशा. ७.३० पू०में अवस्थित है। इसका शुद्ध उत्तरो भारतवर्ष के सभो समाधियाँसे बड़ो है। कहा नाम तिनविणिवनम् है, जिका अथ इमलोका जङ्गाल जाता है, कि यहाँ के पूर्व शामनकर्ता सिकन्दर लोदोके होता है । या इमलोके बहुतसे वन देखने में प्रति है। भाई अलाउद्दीन पालमखाँने इसे निर्माण किया है। लोकमख्या प्राय. ११३७३ है। यहां डाकघर स्क ल और अस्पताल है। तितउ ( • पु०) तन्यन्ते भृष्टयवा अति तन-डउ । ___२ इसी राज्य के उत्तर-पूर्व में अवस्थित एक तह तनोतेडउः सन्यच्च । उण ५१५२ । १ चालमो, चसनी, सोल। इसमें कुल १८८ ग्राम लगते हैं । यहाँको लोक- कन्ननी । २ छत्र, छाता। संख्या प्रायः ६६८२६ है, जिनमें एक तिहाई मेयो हैं। तितर बितर हि लि. ) जो एकत्र न हो, किराया मुगलों के शासनकालमें यह स्थान आगरा प्रदेशका मर- हा. बिखरा हुआ। कार या जिला था। १७६३ ई० में यह तहसील जाटोंर ति रोखो (हिं स्त्री. ) एक छोटो निडिया । प्रधान सूरजमलके अधीन आई। इसके बाद १७६५ सितन्नो (हिं स्त्रो.) १ एक उड़नेवाना सुन्दर कोड़ा ईमें सिख डकैतोंने इस तहसोलमें लट-मार मचायो, या फतिंगा । यह कोड़ा बगोचमि फन्नों पर ठता हुपा तथा जाटोको भगा कर इसे अपने अधिकारमें कर लिया, दिखाई पड़ता हे भार फलांक पराग और रस पादि किन्तु १७८६ में यह पुनः भरतपुरके जाटोंके अधिकार पा कर जोवन निर्वाह करता है। इसका विशेष विवरण भुता हा । भरतपुर के प्रधान गवर्म एटके विरुद्ध हो जाने प्रजापति शब्दमें देखो। २ गेहादिक खेतो में होमवालो से उमका राज्य छोन कर अलवारको अर्पण किया गया। एक प्रकारकी घास । यह हाथ मवाहाथ तक बढ़ती १८२६ ई०में महाराज बबीसिहने इस तहमोलको है। इसको पत्तियाँ बहुत पतलो पतलो होतो हैं। बलवन्तसिह पर सौंपा। बलवन्त सिंहने नि:सन्तान पत्तियां और बीज दबाके काममें प्रति है। अवस्था में प्रागात्याग किया, बाद १८४५ ई में यह अल- तितलोआ (हिं पु० ) कड़वा कद्द, तितलीको। वार राज्यमें मिला दिया गया। तितारा (हिं० पु०) १ एक प्रकारका बाजा नो मितारसे तिजारो (हि. स्त्री.) वह बुखार जो हर तोसरे दिन मिलता जुलता है। २ फमलको तीसरी वारकी सिंचाई। जाड़ा दे कर पाता है। (वि.) ३ जिसमें तीन तार हो। तिजिन ( स० पु० ) तिज इनच, किच । चन्द्रमा । तितिबा ( अ० पु.) १ ढकोसला । २ शेष। २ परिशिष्ट, तिजिल (संपु०) तेजयति तोरणोकरोति, तिज-इलच । उपस हार । तिजगुपादिभ्यः कित् । उण १।५।१ चन्द्रमा । २ राक्षस। तितिक्ष (स• त्रि. ) सित स्वार्थे सन्-अच्वा । १ गोतो. Vol. Ix. 128