पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/५०७

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वितुमीर बाद इसने और दूसरी दूसरे देशों पर चढ़ाई करने बाद मोनाहाटी मोठोके मेनेजर डेविस माहवन भो को पाना दी। कार्तिकी पूर्णिमाका दिन था, पूंडा इसमें जमीन्दारका साथ दिया। सबने मिल कर तित नामक ग्राममें बड़ी धूमधामसे एक उत्सव होनेवाला पर चढ़ाई कर दो। दोनों पक्षके बहुत से लोग लड़ाई में था। तितुमौरका पागमन सुन कर मन कोई तितर मारे गये। कितनों ने गोरमा गोविन्दपुरमें जा कर पाश्रय बितर हो गये और डरसे जहां तहां जा छिपे। वहां लिया। तितुको जब मालुम पड़ा कि शत्र के कितने हो पहुंच कर सितमोरने एक गोहत्या कर डाली । यह देख लोग उक्त ग्राम में जा छिपे हैं, तब उसने वहा धावा मारा। पुजारीसे रहा न गया, उसने तुरंत देवो के हाथ से खा ले दोनों पक्षमें इच्छामतो नदी के किनारे घमसान युद्ध हुषा। कर हत्या कारो मुसलमानोको खण्ड खण्ड कर दिया। तितुके अधिकांश लोग मारे गये और कुछ नदोमें इब पोछे बहुतोंसे घेरे आने पर पाप भो मारे गये। म मरे । लेह मे नदो का जन लाल हो गया. सितमोर किमी समय वहांके जमींदार तथा ग्रामवामी भो तितमोर पर प्रकार प्राण ले कर भागा । इस लड़ाई में तितु इतमा टट पड़े। बचावका कोई रास्ता न देख तितमोरने विपदग्रस्त हुआ था, कि उमे जोषित देख उसके भनु- अपने बचे खुचे अनुचरीको लौट जानेका हुक्म दे दिया। चर लोग उसे ईश्वरप्रेरित समझने लगे थे। इतना जाते समय इमने देव मन्दिरमें गोमांस लटकवा दिया होने पर भी तितुके इने गिने अनुचरोंका माहस तनिक और दो ब्राह्मणों के मुझमें भी बलपूर्वक ठंस दिया। भो घटा न था। बारासात के ज्वाइण्ट मजिष्ट्रेटको यह बात माल म ___ उधर कदम्बगाछो थाना के दरोगाके मारे जाने पर वहां- होने पर उन्होंने वहां के दरोगा को ति सुमोर के विरुद्ध भेजा। के ज्वाइण्ट मजिष्ट्रेट निष्टको न बैठे थे। वे गवर्मेण्टको दरोगा जातिके ब्राह्मण थे। उन्होंने लगभग डेढ़ सौ बर- इस बात को सूचना देकर उपयुक्त मैन्याल संग्रह कर कन्दाज और बहुत से चौकोदारोको साथ ले तितमोर रहे थे। गवमेण्टमे सोचा था, कि ति के थोड़े से प्रस्त्र पर चढ़ाई कर दो। तितमोरके पास भी ५००।६०० मी हथियारबन्द थे । पाखिर दोनों में मुठभेड़ हो हो गई। शस्त्र विहोन मनुष्यों के लिये अधिक सैन्यदलकी जरूरत दरोगा साहब बहुतमे अनुचरोंके साथ मारे गये। इस नहीं। इसलिए उन्होंने पुन: कुछ चोकोदार, बरकन्दाज- जोत पर तितुका साहस और भी बढ़ गया। उसने | । कुछ अनियमित मेना और ४ गोरा अश्वारोही तितुके विरुद्ध भेजे। वे पाकर तितुका बाल बांका भी न कर अपनेको भारतका अहितोय अधीखर समझ कर तमाम घोषणा कर दी और सबको सूचना दे दो कि जो उमे सक, बल्कि एक अगरेज पवारोही और कुछ मिपाही आधिपत्य न मानेगा और तदनुसार कर न भेजेगा, मारे गए। इस समय तितमोरका दल खुब बढ़ा चढ़ा उसका मिर धड़से अलग कर दिया जायगा । यहां तक था, तथा दिनोंदिन इसकी भोर भो पुष्टि होतो जातो थी। कि उसन बाँसका एक किला भी बना लिया था। उसो जो कुछ हो, काल हो मनुष्यको उग्रत बनाता है और किलेक भोतर तितुके अनुचर लोग रहते थे और उनका काल ही उसे गड़े में गिराता है। सितमोरको भो वहो दरबार भो उसी जगह लगता था। हालत हुई। उसकी बादशाहो सदा एक मो न रहो, इस समय इसकी तूती तमाममें बोलने लगो। लोग। शोघ्र हो उसका दपे : " हो गया भार अन्त में अधःपतन- डरमे देश छोड़ कर भागने लगे। कुछ तो टाकीमें प्रौर को प्राप्त हुआ। कुछ गोबरडांगामें रहने लगे। किन्तु वहां भी उन्हें १८३१ ई०की १८वौं नवम्बरके सबेरे लेफ टेनेण्ट सनिक भी चैन न थी। गोबरडांगाके जमींदारने कल- टाउं हारा परिचालित एक दल अगरेजो सेना, एक कत से दो सौ हवसी, दो तीन सौ लाठीबाज तथा कुछ दल देशीय पदातिक और कुछ गोलन्दाज सेना पूर्वप्रेरित हाथो तितुके विरुद्ध भेजे। फलतः तितु गोबरडांगामें सेनाके साथ मिल गई और सबोंने मिल कर तितमोर पपमा प्रभुत्व जमा न सका पौर वानहो कर उसे लौटना बांमके किलेको चारों पोरसे घेर लिया। विद्रोहियों की पड़ा। धर्मोन्मत्तताने उन्हें इतना उत्साहित कर दिया था, कि..