पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/५२५

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५२१ पसी की फलके गुण-कषाय, पाग, वातकारक, एपी। उसो समयमे तिलो एकाला जिला कप मोतस पौर मधु। पके फलके गुण-मार, जिग्ध, दुवंर, गण्य हुपा है। भारतवर्ष के दक्षिण पूर्व कोणमें केवल अषद, गुरु, व्रण पोर वातनाशक, पित्त, महपौर रजा- यको जिम्मा अपलवर्ती है। इसके उत्तर और उत्तर- दोषकारक तथा विषद। (राजनि०) पूर्व में मदुरा जिम्मा, दक्षिण में मान्धार उपसागर तथा भावप्रवाशक मतमे इसके को फलके गुण-चारक, पश्चिममें पश्चिमघाट पर्वतमाला है। सो पर्वतमानामे वायुवर्षक, गोतवाय और लघु। पके फलक गुण- यह विवाह राज्यसे पम्लग हो गया है । मेम्बर नामक मधुररस, गुरु, पित्तदोष. प्रमेह, रक्तदोष और कफ- स्थानसे कुमारिका अन्तरोप तकका उपकूमा भाग ८५ माधक । मोल लम्बा है। जिलेको लम्बाई १२२ मील पौर चौड़ाई तिन्दुकतीर्थ-तो विशेष, एक तोथ का नाम । यह व्रज- ०४ मोल है। यहाँको भूमि साधारणत: समतल है, मण्डलके अन्तर्गत है। इस तोध में स्नानादि करनेसे किन्तु पूर्व को पोर कुक ठालू है। पश्चिममें पर्वतमाला विष्णु लोकका प्राप्ति होती है । (श्रीवृन्दावनलीलामृत) ४०८० पुट ऊंची है। पर्वतके नोचेकी नमोनशी सिन्दुकाशतिफल (सपु०) होपान्तर खुनूग, एक प्रकार- जंचाई समुद्रपृष्ठसे ८०० फुट मे अधिक नहीं है। इस का खजूर। जिलेमें ३४ नदियाँ प्रवाहित है, जिसमेसे प्रधान तान तिन्दुकालि (स'• को०) तिन्दुकवीज, द फलका पर्णी ८० मोल सम्बो है पोर पश्चिमघाटसे उत्पब हुई दीया। है। पापनाशम् खाममें इसका एक सुन्दर जलप्रपात तिन्दुकि (स० स्त्री०) तिन्दुको निपातनात् स्वः । तिन्दुक, है। विवानदी इसको प्रधान उपनदो है, जो कुत्ताल दूका पेड़। नामक स्थानके अपरसे निकली है। साम्रपर्णीक विमारे मिन्टुकिनी ( म स्त्रो.) सिन्दुकस्सदाकारः फलेऽस्तास्याः तिबवेलो और पलामकोटा नगर अवस्थित है। पार तिन्दुक-इनि डोप । प्रावत की लमा, भगवस बली। भो एक दूसरो बड़ो नदो है। इसके किनारे सातुर नगर ति'दुको ( स० स्त्रो० ) ति दुक गौरा० कोष । ति दुक, पड़ता है। इस जिलेका उत्तरी भाग प्रायः वृक्षरहित तेंदू। है और दक्षिणी भागमें तालवन। . तिन्दुज (स'. पु. ) लोध्रवक्ष, लोधका पड़। इतिहाससका खतबतिहास नहीं है, वरन निन्दुल (म. पु. ) तिदुक . पृषोदरादित्वात् कस्य । मदुरा पोर विवार के तिहासके साथ मिला एपा है। तिदुक, दू। यहाँ बहुत दिनोंसे द्रविड़ सभ्यता प्रचलित है। पौर तिधरिया-बङ्गालक दार्जिलिङ्ग प्रगत कारसोय यहाँके मोती निकालनेका व्यवसाय. योक लोगों को भो उपविभागका एक ग्राम। यह पक्षा. २६५१ २० माल म था। कोलकई नगरमें पाण्ड य, र, और चोल और देवा. ८८२० पू० के मध्य समुद्रपृष्ठसे २७४८ फुट राजगण राज्य करते थे। पन्तमें लड़ाई झगड़ा होने के जी पर अवस्थित है। यहां दाजिलि-हिमालय बाद पाण्डाही रस देशके अधिपति हुए । पगस्थ ऋषि रेलवे ( Darjeeling Himalayan Railway ) का ने सबसे पहले इस देश में पाय ग्रामण उपनिवेश सापन एक कारखाना है। इसके मिवा यहां उतरेलवे कम्पमो किया। प्रवाद है कि अगस्थ ऋषि ताम्रपर्यो नदोके को पोरसे एक चिकित्सासय भी। उत्पत्तिखानमें पगस्यपर्वत पर पाज भो नीवित है। तिबवेलो-मन्द्रान प्रदेशके पन्तर्गत मदुरा राज्यका एक ब्राह्मणोंका कहना है कि अगस्ता हो तामिल भाषाके जिला । यह पचा. और ४३७. तथा देशा. सृष्टिकर्ता थे। पाहय राजापोको पाली राजधानी . ७७१२ पौर ७८.२३ पू०में अवस्थित है। भूपरिमाण कोलकई में बौर दूसरी मदुराम धी । बोलकरका सख ५३८८ वर्गसौत। टलेमोके पन्य तथा परिमास प्रन्बमें पाया जाता है। पता . मा जब १७४४१ पार्वरक नवाबवे राज्यभुत अन्योंमें या नगर मुझ निकालनेके व्यवसायका प्रधान Vol. Ix. 181